ETV Bharat / state

स्थापना दिवस विशेष: आज भी जान जोखिम में डाल स्कूल जाने को विवश नौनिहाल, गांव का हाल बदहाल

author img

By

Published : Nov 8, 2022, 11:41 AM IST

Updated : Nov 8, 2022, 12:31 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

झारखंड के बने हुए 22 साल हो चुके हैं, लेकिन आलम ये है कि आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं हैं (Road To Many Villages In Jharkhand). चुनावों के वक्त विकास के लंबे चौड़े वादे किए जाते हैं. एक ऐसी तस्वीर दिखाई जाती है जिसमें सब खुशहाल हैं, लेकिन हकीकत उससे जुदा है. चतरा का हेसातू गांव आज भी विकास की रोशनी से महरूम है. गांव तक आने जाने के लिए एक अदद सड़क तक नहीं है. बच्चे जान जोखिम में डाल कर स्कूल जाते हैं ताकी उनका भविष्य बेहतर हो सके.

चतरा: झारखंड अपना 22 वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. जब प्रदेश बना तो यहां के लोगों को उम्मीद थी कि विकास की रफ्तार तेज होगी और आम लोगों को जीवन बेहतर होगा. लेकिन लोगों की उम्मीद पर शायद हमारे नेतागण खरे नहीं उतरे. यही वजह है कि आज भी झारखंड में कई ऐसे गांव हैं जहां सड़के नहीं है (Road To Many Villages In Jharkhand), इलाज की सुविधा नहीं है. हालांकि चुनावों के वक्त कई नारे गढ़े जाते हैं चाहे अच्छे दिन आने का नारा हो या फिर मेरा देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है का नारा हो. इन नारों को सुन कर ऐसा लगता है कि वाकई भारत में बहुत कुछ बदल रहा है. लेकिन झारखंड के कई ऐसे जिले हैं जो अति नक्सल प्रभावित हैं जहां आज भी विकास नहीं पहुंचा है. इन्हीं में से एक है चतरा जिला जहां नक्सलियों के खिलाफ अभियान में केंद्र और राज्य सरकार करोड़ों खर्च कर रहे हैं. विकास के दावे भी किए जा रहे हैं लेकिन यहां के हेसातू गांव में आज भी विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई है.

ये भी पढ़ें: झारखंड स्थापना दिवस: राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसता रहा झारखंड, विकास रहा ठप

चतरा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर उग्रवाद के साए में रहने वाला हेसातू गांव आज भी विकास से कोसों दूर है. हेसातू गांव में ना सड़क है और ना ही नदी पार करने के लिए पुल है. इस गांव के लोग नदी और पहाड़ों से घिरे हुए हैं. लोगों के आवागमन के लिए सड़क नहीं है, जिसके चलते लोग कच्चे रास्तों से आने जाने को मजबूर रहते हैं. हालांकि, गांव के दर्जनों लोगों ने नदी पर पुल और पक्की सड़क निर्माण को लेकर उपायुक्त और मंत्री को अवगत कराया लेकिन आज भी सड़क निर्माण नहीं हो पाया है.

देखें वीडियो

बच्चों को क्योंकि अपना भविष्य सुधारना है इसलिए स्कूल तो जाना ही होगा. यही वजह है कि बच्चे कच्चे रास्तों से होते हुए नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. यही हाल आम लोगों का भी नदी पार करने में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, कई बार तो जिंदगी पर ही आफत बन पड़ती है. बरसात के दिनों में हालात और खराब हो जाते हैं. इस दौरान जब किसी की तबीयत खराब होती है तो उन्हें खाट पर ही ले जाया जाता है. बरसात के दिनों में सिंदुरिया नदी में बाढ़ जैसे भयावह स्थिति होती, जिसके चलते हेसातू, भंडार समेत अन्य गांवों का संपर्क टूट जाता है.

बरसात के दिनों में लोगों के लिए नदी पार करना एक चुनौती हो जाती है. आवागमन लगभग बंद हो जाता है. अगर गांव में किसी महिला को प्रसव या इलाज के लिए ले जाना होता है तो एंबुलेंस भी गांव में नहीं आती तब फिर उन्हें खाट की डोली बनाकर नदी पार कराया जाता है. कई बार समुचित इलाज के बिना मरीज की मौत भी हो जाती है. इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने डीसी अंजली यादव को ग्रामीणों की समस्याओं से अवगत कराया तो, उन्होंने जल्द ही हेसातू गांव में पुल का निर्माण का आश्वासन दिया है. बहरहाल, ग्रामीणों से हर बार चुनावो में नेताओं ने वादे किए योजनाओं का भरोसा भी दिया लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद आज तक वादे पूरे नहीं हुए. एक बार फिर ग्रामीणों को आश्वसन मिला है तो उन्हें उम्मीद है कि इस बार विकास की किरण उन तक जरूर पहुंचेगी.

Last Updated :Nov 8, 2022, 12:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.