बोकारो: सिमटते जंगल और बढ़ते शहरीकरण के चलते दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती से जूझ रही है. समस्या के समाधान के लिए कार्बन उत्सर्जन घटाने से लेकर वन क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में इलेक्ट्रोस्टील वेदांता ने मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल कर प्लांट के पास जंगल लगाकर पहल की है. झारखंड में पहली बार लगाए गये मियावाकी फॉरेस्ट का उद्घाटन मुख्य वन संरक्षक बोकारो बी वेंकेटेश्वरलू ने किया.
झारखंड में मियावाकी फॉरेस्ट के तहत पहला प्लांटेशन यहां किया गया है. 2 एकड़ से अधिक इलाके में 53000 विभिन्न तरह के पौधों को लगाया गया है. जिसमें फल के पौधे शामिल हैं. मुख्य वन संरक्षक बी वेंकेटेश्वरलू ने बताया कि झारखंड में मियावाकी फॉरेस्ट प्लांटेशन के तहत पहला प्लांटेशन यहां किया गया है. इस प्लांटेशन में कम दूरी पर अधिक पौधे लगाने का काम किया जाता है.
मुख्य वन संरक्षक बी वेंकेटेश्वरलू ने बताया किसी भी फॉरेस्ट को तैयार करने में 100 साल लगता है. लेकिन इस मियावाकी फॉरेस्ट प्लांटेशन से 30 साल में फॉरेस्ट पूरी तरह से तैयार हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस तरह के पौधे लगाए जाने से वायु और ध्वनि प्रदूषण में भी काफी कमी आती है. इस विधि से प्लांट और शहरी क्षेत्र में जो गैप है उसको भरने का काम किया जाता है.यह एक अच्छा प्रयास कंपनी के द्वारा किया गया है और आने वाले समय में इसका लाभ भी यहां के लोगों को मिलेगा.
वहीं कंपनी के सीईओ आशीष गुप्ता ने बताया कि कंपनी पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण को लेकर कटिबद्ध है. आने वाले समय में और भी इस तरह का प्लांटेशन किया जाएगा. ताकि पर्यावरण पूरी तरह से संरक्षित रह सके.
जापान से आई मियावाकी: कम जगह में ज्यादा पौधे लगाने की मियावाकी तकनीक Miyawaki Technique जापान Japan की है. एक वर्ग मीटर के दायरे में दो से चार पौधे लगाए जाते हैं. घना होने के चलते पौधे तेजी से बढ़ते हैं. सूरज की रोशनी नीचे नहीं पहुंच पाती, इस कारण जमीन में नमी बनी रहती है. घने पेड़ों के नीचे घास भी नहीं उग पाता है. यह विधि जंगल को बढ़ाने फायदे मंद है.