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आदिवासियों के महाजुटान में उड़ी मर्यादाओं की धज्जी! शासन प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक पर आपत्तिजनक टिप्पणी

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Published : Mar 16, 2022, 10:50 PM IST

Updated : Mar 16, 2022, 11:06 PM IST

Provocative statements were made in public meeting
Provocative statements were made in public meeting

आदिवासी संगठनों का बुधवार को नए विधानसभा के धरना स्थल पर महाजुटान हुआ. इस आदिवासी जन आक्रोश रैली में नेताओं ने ना केवल विधानसभा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की बल्कि शासन प्रशासन के प्रति भड़काऊ बयान भी दिए.

रांची: आदिवासियों के शासन-प्रशासन और नियंत्रण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे आदिवासी संगठनों का बुधवार को नए विधानसभा स्थित धरना स्थल पर महाजुटान हुआ. आदिवासी जन आक्रोश रैली के नाम से आयोजित इस जनसभा में नेताओं ने ना केवल विधानसभा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की बल्कि शासन प्रशासन के प्रति भड़काऊ बयान भी दिए. सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने यहां तक कह डाला कि सूबे में दिकू राज्य नहीं चलेगा और जो विधायक संविधान की पांचवें अनुसूची के तहत संवैधानिक प्रावधान को लागू कराने में साथ नहीं देते, उन्हें घर से खींचकर पीटना चाहिए. इसमें कहा गया कि शिड्यूल क्षेत्र के 15 जिलों के बाहर मुख्यमंत्री राज चलेगा जहां आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्था ही चलेगी. जनसभा में पेसा के तहत चुनाव नहीं होने पर पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया.



हेमंत सरकार पर भी बरसे आदिवासी नेता: आदिवासियों के पारंपरिक हथियार तीर धनुष लेकर आदिवासी जन आक्रोश रैली में पहुंचे लोगों ने वर्तमान हेमंत सरकार पर भी जमकर भड़ास निकाली. कहने को तो यह जनसभा आदिवासी समाज से जुड़े लोगों के लिए था. मगर इस कार्यक्रम में कांग्रेस के दो विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी और खिजड़ी विधायक राजेश कच्छप भी मौजूद थे. इसके अलावा जनसभा में बड़ी संख्या में टाना भगत और पड़हा व्यवस्था, कंपाट मुंडा, मानकी मुंडा, मानकी महतो, डोकलो सोहोर, मांझी परगनैत, सीमा चट्टा, होजोर भूमकाल सहित 32 परंपरागत आदिवासी व्यवस्था के लोग शामिल थे.

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आदिवासी जन आक्रोश रैली में स्थानीय नीति, स्थानीय भाषा, सीएनटी एसपीटी एक्ट को प्रभावपूर्ण लागू करने जैसे मुद्दे पर भी जमकर चर्चा हुई. नेताओं ने स्थानीयता को 1932 नहीं 1908 के खतियान के आधार पर लागू करने की मांग की गई. इसके अलावा सीएनटी, एसपीटी के प्रावधान को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग की गई. आदिवासी संगठनों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर पूर्व में की गई मांग को दोहराया है. ज्ञापन में झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरकार के द्वारा की जा रही तैयारी को असंवैधानिक बताते हुए तत्काल रोकने की मांग की गई है.

Last Updated :Mar 16, 2022, 11:06 PM IST
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