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कृषि कानून से किसान होंगे सशक्त, वनोत्पाद खरीद में झारखंड सरकार फेल: अर्जुन मुंडा

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Published : Oct 3, 2020, 9:14 PM IST

Updated : Oct 3, 2020, 9:33 PM IST

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कृषि कानून को लेकर प्रदेश भाजपा ऑफिस में प्रेसवार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून के मूर्त रूप लेने से अब किसानों की उपज अलग-अलग देशों तक पहुंचेगी.

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

रांची: कृषि कानून के खिलाफ विपक्षी पाटियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पंजाब और हरियाणा समेत कई जगहों पर किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन केंद्रीय मंत्रियों का कहना है कि कृषि कानून से ना सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी भागीदारी सुनिश्चित होगी. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कृषि कानून को लेकर प्रदेश भाजपा ऑफिस में प्रेस ब्रीफिंग की.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

'कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से फसल का उचित दाम मिलेगा'

मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि 2 ट्रिलियन की इकोनामी को 5 ट्रिलियन तक ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर भारतीय को जोड़ने के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है. तीन कृषि कानून के मूर्त रूप लेने से अब किसानों की उपज अलग-अलग देशों तक पहुंचेगी. उन्हें बेहतर बाजार का लाभ मिलेगा, किसान स्वायत बनेंगे. अब तक मध्यम और सीमांत किसानों को सही तरीके से बाजार नहीं मिल पाता था. कई ऐसे फसल होते थे जिसे किसान मंडी तक ले जाने में सक्षम नहीं थे, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से फसल का उचित दाम मिलेगा.

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'आयात से ज्यादा निर्यात का रास्ता खोला जाए'

यह पूछे जाने पर कि कानून में एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है. विपक्ष इस को मुद्दा बना रहा है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि एमएसपी भी लागू रहेगी और मंडी की व्यवस्था भी चलेगी. अगर किसान चाहेगा तो अपने उत्पाद को कहीं भी ले जाकर बेच सकेगा. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया का नारा दिया था उसके बाद मेड इन इंडिया का नारा दिया है. अब जरूरी है कि आयात से ज्यादा निर्यात का रास्ता खोला जाए.

'एनडीए सरकार के कार्यकाल में ज्यादा खरीददारी'

उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में अनाज की खरीददारी की तुलना एनडीए सरकार के कार्यकाल से की. 2009 से 2014 तक यूपीए सरकार के कार्यकाल में धान का क्रय 2494 लाख एमटी था. जबकि एनडीए के शासनकाल में 2790 लाख मैट्रिक टन धान की खरीद हुई. यूपीए के कार्यकाल में एक लाख 68 हजार करोड़ का गेहूं क्रय हुआ था. एनडीए के कार्यकाल में 2 लाख 89 हजार करोड़ की खरीदारी हुई. तिलहन और दलहन की खरीदारी भी एनडीए सरकार के कार्यकाल में सबसे ज्यादा हुई है.

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'भ्रांति फैलाने की कोशिश'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष लोगों के बीच भ्रांति फैलाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन किसान समझने लगे हैं कि सभी कृषि कानून उनके हित में है. किसानों की आय दोगुनी हो इसके लिए मछली उत्पादन को भी इसी श्रेणी में रखा गया है. किसान मजबूत होंगे तो देश मजबूत होगा. कृषि कानून पर अकाली दल ने एनडीए से नाता तोड़े जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह उनका अपना स्टैंड है, क्योंकि बिल लाने से पहले व्यापक स्तर पर कंसल्टेशन हुआ था.

वनोत्पाद खरीद में झारखंड फिसड्डी

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए उनका मंत्रालय गंभीरता से काम कर रहा है. अब तक लघु उत्पाद की मार्केटिंग 4 हजार करोड़ रुपए की हो चुकी है. इसमें 1 हजार करोड़ रुपए की मार्केटिंग राज्य सरकारों ने की है. लेकिन झारखंड सरकार ने इस मद में दिए गए 61 करोड़ का कोई इस्तेमाल अब तक नहीं किया है.

Last Updated :Oct 3, 2020, 9:33 PM IST
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