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बिहार में शराबबंदी सही ढंग से लागू नहीं, हाईकोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी, गिनाई ढेरों खामियां

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Published : Oct 18, 2022, 11:07 PM IST

बिहार मद्य निषेध और उत्पाद कानून 2016 को सही ढंग से राज्य में लागू नहीं किया जा रहा है. ये कहना है पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह का. उन्होंने कहा कि शराब माफिया पर एक्शन नहीं होता लेकिन ड्राइवर, खलासी को अभियुक्त बनाया जाता है. न्यायाधीश ने एक दो नहीं बल्कि इस कानून में सरकारी शिथिलता की ढेरों कमियां गिनाईं हैं. पूरे मामले को संज्ञान लेने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा है.

Liquor Ban In Bihar
Liquor Ban In Bihar

पटना: पटना हाइकोर्ट ने राज्य की जनता के स्वास्थ्य, जीवन खतरे में डाल कर राज्य मशीनरी द्वारा बिहार मद्य निषेध और उत्पाद कानून 2016 (Liquor Ban In Bihar)को सही ढंग से नहीं लागू करने पर नाराजगी जाहिर की. जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए ये टिप्प्णी की.


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संज्ञान लेने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा केस: कोर्ट ने इसे बड़ा जनहित याचिका मानते हुए इस पर संज्ञान लेने के लिए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष भेजा है. उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण इससे जुड़े कई अपराधों में बढ़ोतरी हुई हैं. उन्होंने कहा कि जहरीली शराब को नष्ट करने का तरीके का भूमि की उर्वरता पर घातक प्रभाव डालता है. शराब में मिले हुए रासायनिक पदार्थ Micro Organism पर असर डालता है. जिससे भूमि के उपजाऊ होने पर बुरा असर पड़ता है. इसका बुरा असर पेय जल पर भी पड़ता है. जिससे कैंसर और अन्य घातक बीमारियां हो जाती हैं.

शराब विनष्टीकरण की नीति भी नहीं: राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इसके घातक प्रभाव को देखते हुए शराब की बोतलों और प्लास्टिक से चूडियां बनायी जाने लगीं हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी कि पर्यावरण को देखते हुए नीति बनाई जाए, जिससे इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके. इसे मद्यनिषेध को सही और प्रभावी ढंग से लागू नहीं करने के कारण शराब की तस्करी होने लगी. इसमें नेपाल और अन्य देशों तक शराब की तस्करी होने लगी हैं.

केसों की संख्या बढ़ीं: कोर्ट ने कहा कि विधि व्यवस्था सम्भालने में पुलिस बल को इन अपराधियों से जूझना पड़ता है. साथ ही इससे कानून व्यवस्था पर भी असर पड़ता हैं. साथ ही शराब की तस्करी के लिए अवैध वाहनों का इस्तेमाल किया जाने लगा. जिसका रेजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर आदि फर्जी होने लगे. पुलिस जब इन वाहनों को पकड़ लेती है, तो फिर अदालत में ही आना होता है. शराब के अवैध कारोबार में छोटे उम्र के किशोरों को शामिल कर लिया जाता है. इससे अपराध और अपराधियों की संख्या और गम्भीरता बढ़ती जा रही है.

जांच एजेंसी नहीं निभा रहीं कर्तव्य: जांच करने वाली एजेन्सी भी अपने कर्तव्य को सही ढंग से नहीं निभाती है. पुलिस शराब स्मग्लरों और गैंग ऑपरेट करने वालोंं के खिलाफ चार्ज शीट दायर नहीं करती. वह ड्राइवर, क्लीनर, खलासी जैसे लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर देती है. जिनका इसमें कोई सीधी भागीदारी नहीं होती हैं. जो इस मामले में दोषी अधिकारी हैं, उनके विरुद्ध सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती है. पुलिस, ट्रांसपोर्ट, उत्पाद और अन्य सम्बंधित विभागों के दोषी और जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिये.

जहरीली शराब से बिहार में मौत भी बड़े पैमाने पर होने लगी है. इस पर भी सरकार को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है. जो भी लोग इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार और दोषी हो, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की आवश्यकता है. मद्यनिषेध और उत्पाद कानून से सम्बंधित मामले बड़े पैमाने पर राज्य की अदालतों में सुनवाई हेतु लंबित है. इससे अदालतों के सामान्य कामकाज को भी प्रभावित करता है.

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