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Khiru Mahto, Rajya Sabha: RCP की राज्यसभा उम्मीदवारी से पत्ता साफ, JDU से खीरू महतो को मिला टिकट

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Published : May 29, 2022, 8:59 PM IST

Khiru Mahto JDU Rajya Sabha candidate
Khiru Mahto JDU Rajya Sabha candidate

जेडीयू ने राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections 2022) के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. जेडीयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को उम्मीदवार बनाया गया है. खीरू महतो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

पटना: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) के राज्यसभा प्रत्याशी नहीं बनाये जाने को लेकर अटकलें सही साबित हुईं. जेडीयू ने आरसीपी सिंह का टिकट काट दिया है. जेडीयू ने अपने झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो काे राज्यसभा का टिकट (Khiru Mahto JDU Rajya Sabha candidate) दिया है. खीरू महतो के नाम की घोषणा होने के बाद आरसीपी सिंह ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है. उन्होंने अपने आवास से मीडिया कर्मियों को जाने के लिए कह दिया. किसी से भी वे बातचीत नहीं कर रहे हैं.

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ललन सिंह के करीबी है खीरू महतो: जेडीयू के राज्यसभा प्रत्याशी खीरू महतो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के काफी खास हैं. बीते साल उन्हें झारखंड जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. खीरू महतो झारखंड के प्रभारी श्रवण कुमार के भी चहेते हैं. दूसरी ओर आरसीपी सिंह का टिकट काटकर खीरू महतो को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अब जेडीयू में भीतरघात की आशंका जतायी जा रही है.

अब क्या करेंगे आरसीपी: राज्यसभा टिकट नहीं मिलने से अब आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बने रहने को संदेह उत्पन्न हो गया है. बताया जाता है कि जेडीयू ने उन्हें राज्य की राजनीति में स्थापित करने का ऑफर दिया है. सूत्रों के मुताबिक आरसीपी सिंह केद्रीय मंत्रिमंडल से हटने के बाद उन्हें विधान परिषद के रास्ते राज्य में मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि अभी तक इस बारे में पार्टी की ओर औपचारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है.

जेडीयू खेमे में नाराजगी: दरअसल, जदयू खेमे में इस बात को लेकर नाराजगी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल पार्टी को समानुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. नीतीश कुमार की इच्छा के विरुद्ध आरसीपी सिंह ने भाजपा के सांकेतिक प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया था. इसी बात से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी है. जेडीयू के प्रत्याशी की घोषणा में विलंब का सबसे बड़ा कारण भी यही है. जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार ने एक तीर से तीन निशाने साधे हैं. एक ओर जहां बीजेपी को मैसेज दिया है वहीं आरसीपी सिंह पर भी लगाम कसी है. तीसरा संदेश नीतीश ने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि पार्टी के लिए लगन से मेहनत करने वालों को मौका मिलता है. नीतीश कुमार दूरगामी परिणाम को को देखते हुए संयम के साथ निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं. एक बार फिर उन्होंने इसे साबित कर दिया है.

ललन सिंह वर्सेस आरसीपी सिंह : आरसीपी सिंह पिछले 28 सालों से नीतीश कुमार के साथ हैं तो वहीं ललन सिंह उनसे भी पहले से नीतीश कुमार से जुड़े हुए हैं. हालांकि बीच में ललन सिंह जरूर विद्रोही हो गए थे. इसके बावजूद ललन सिंह की नीतीश कुमार से नजदीकियां को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. केंद्र में जब से आरसीपी सिंह मंत्री बने हैं, तब से ललन सिंह उनसे नाराज हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव से लेकर पार्टी के कई कार्यक्रमों को लेकर भी विरोधाभास दोनों नेताओं का सामने आ चुका है.

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