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RIMS की लचर व्यवस्था को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, 7 सप्ताह में मांगा जवाब

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Published : Nov 5, 2019, 9:16 PM IST

झारखंड हाईकोर्ट

रिम्स की लचर व्यवस्था को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 7 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है.

रांची: रिम्स की लचर व्यवस्था को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान रिम्स के निदेशक सशरीर उपस्थित रहे. मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई.

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जवाब दाखिल करने का निर्देश
बता दें कि रिम्स के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने और चिकित्सा के हालात सुधारने को लेकर रिम्स निदेशक ने कहा कि सरकार का साथ मिले तो लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर विजिलेंस विंग स्थापित करेंगे. इससे दो साल में प्राइवेट प्रैक्टिस पर पूरी तरह से रोक लगाने में कामयाबी मिलेगी. कोर्ट ने 7 सप्ताह में एफिडेविट कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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नर्सों की नियुक्ति की जरूरत
मामले पर सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक ने कहा कि रिम्स की लचर व्यवस्था को सुधारने के लिए नर्सों की नियुक्ति की जरूरत है. इस मामले में सरकार की स्थानीय नीति के कारण बहाली नहीं हो पा रही है. निदेशक ने कोर्ट को बताया कि दवा दुकानों में अधिक पैसे वसूले जाने की शिकायत पर कड़ाई से रोक लगाने के उपाय रिम्स की ओर से किए जा रहे हैं.

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सरकार की ओर से भी पक्ष रखा गया
निदेशक ने कहा कि दवा दुकानों में अधिक पैसे वसूली को रोकने को लेकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रयोग में लाया जा रहा है जिसके जरिए डॉक्टर ऑनलाइन पर्ची अपलोड करेंगे, जो सीधा दवा दुकानों तक पहुंचेगी. जिसमें किसी भी तरह का कोई भी छेड़छाड़ नहीं होगा. इससे दवा दुकान वाले अधिक पैसे वसूल नहीं कर पाएंगे. इस मामले में सरकार की ओर से भी पक्ष रखा गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 7 सप्ताह में एफिडेविट दायर का जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

Intro:रांची
बाइट--विजय रंजन सिन्हा// अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

रिम्स की लचर व्यवस्था को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई सुनवाई के दौरान रिम्स के निदेशक सशरीर उपस्थित रहे.मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई रिम्स के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने और चिकित्सा के हालात सुधारने को लेकर रिम्स निदेशक ने कहा कि सरकार का साथ मिले तो लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर विजिलेंस विंग स्थापित कर दो साल में प्राइवेट प्रैक्टिस पर पूरी तरह से रोक लगाने में कामयाब हो जाएगी इसके लिए सरकार को भी मदद की जरूरत है। अदालत ने 7 सप्ताह में एफिडेविट कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है


Body:मामले पर सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक नहीं कोर्ट में उपस्थित होकर अदालत के द्वारा पूछे गए सवालों का विस्तार पूर्वक जवाब दिया निदेशक ने कहा कि रिम्स की लचर व्यवस्था को सुधारने के लिए नर्सों की नियुक्ति की जरूरत है इस मामले में सरकार कि स्थानीय नीति के कारण बहाली नहीं हो पा रही है साथिया रिम्स निदेशक ने अदालत को बताया कि दवा दुकानों में अधिक पैसे वसूले जाने की शिकायत पर कड़ाई से रोक लगाने के उपाय रिम्स के द्वारा की जा रही है।

रिम्स निदेशक ने कहा कि दवा दुकानों में अधिक पैसे वसूली को रोकने को लेकर एक ऐसी सॉफ्टवेयर प्रयोग में लाया जा रहा है जिसके जरिए डॉक्टर ऑनलाइन पर्ची अपलोड करेंगे जो सीधा दवा दुकानों तक पहुंचेगी जिसमें किसी भी प्रकार का कोई भी छेड़छाड़ नहीं होगा इससे दवा दुकान वाले अधिक पैसे वसूल नहीं कर पाएंगे इस मामले में सरकार की ओर से भी पक्ष रखा गया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत 7 सप्ताह में एफिडेविट दायर का जवाब पेश करने का निर्देश दिया हैConclusion:
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