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रांची में ड्रग्स कारोबार में महिलाओं की एंट्री ने बढ़ाई पुलिस की मुसीबत, तस्करी का हाईटेक तरीका बनी आफत

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Published : Dec 1, 2021, 7:57 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 8:26 PM IST

women in drugs business in Ranchi
women in drugs business in Ranchi

रांची के ड्रग्स कारोबार में महिलाओं की एंट्री हो चुकी है. महिलाएं इतने हाईटेक तरीके से रांची में नशे का कारोबार कर रही हैं कि पुलिस को इन्हें पकड़ पाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है. इस धंधे में कॉलेज की कम उम्र की लड़कियों से लेकर अधेड़ महिलाएं तक शामिल हैं.

रांची: राजधानी रांची में ड्रग्स कारोबार में महिलाओं की एंट्री से यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीले टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. इस धंधे में महिलाओं की इंट्री ने पुलिस के परेशानी को और बढ़ा दिया है. रिपोर्ट के अनुसार केवल राजधानी रांची में ही एक दर्जन से ज्यादा महिलाएं सीधे तौर पर मादक पदार्थों के कारोबार से जुड़ी हुईं हैं.

महिलाओं का बड़ा रैकेट सक्रिय
रांची में ड्रग्स कारोबार को फैलाने के लिए तस्करों ने महिलाओं को अपने टीम में शामिल किया है. इस रैकेट में कॉलेज जाने वाली लड़कियां से लेकर सब्जी बेचने वाली महिलाएं तक शामिल हैं. कॉलेज जाने वाली वैसी लड़कियां जो जल्द से जल्द पैसा कमाने की चाहत रखती हैं वह तस्करों के निशाने पर हैं. पढ़ी लिखी लड़कियां हाईटेक तरीके से ड्रग्स का कारोबार कर रही हैं. यह लड़कियां व्हाट्सएप पर ही अपने ग्राहक खोजती हैं और फिर ऑनलाइन पेमेंट लेकर, बड़े ही शातिराना तरीके से ड्रग्स की डिलेवरी करती हैं.

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ज्यादा उम्र की महिलाएं भी सक्रिय
वहीं, इस धंधे में कुछ अधेड़ महिलाएं भी शामिल हैं. पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नशे के कारोबारी इन महिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ये महिलाएं अपने कपड़ों में छिपा कर गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीले टेबलेट को अपने ग्राहकों तक पहुचाती हैं. ड्रग्स बेचने वाली महिलाओं का एक स्थान निश्चित होता है जहां वे पहले से खड़ी रहती हैं और खरीदार उन तक पहुंच कर आसानी से ड्रग्स खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. पुलिस महिलाओं पर संदेह नहीं करती है, यही वजह है कि नशे के तस्कर पैसों का लालच देकर महिलाओं को भी इस धंधे में शामिल कर चुके हैं.

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100, 200 और 500 के करंसी का इस्तेमाल
रांची में ब्राउन शुगर के धंधेबाज इसे पुड़िया पैकेट में नहीं बल्कि नोट में मोड़कर बेच रहे हैं. खरीदने वाले मुड़े नोट पर ही ब्राउन शुगर को जलाकर नशा करते हैं. इससे न तो इसकी तस्करी पुलिस पकड़ पा रही है और न ही कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल रही है. ब्राउन शुगर के नशे के लिए दो, पांच और दस के नोट बंडलों में हर दिन जलाए जा रहे हैं. नशेड़ियों और ब्राउन शुगर के धंधेबाजों को कटे-फटे नोट बदली करने वाले वेंडर ऐसे नोट मुहैया करा रहे हैं. नोट में भी मोटे कमीशन का खेल चल रहा है. 100 रुपये के नोट के लिए 120 से 150 रुपये तक की वसूली की जा रही है. ब्राइन शुगर की बिक्री के लिए धंधेबाजों ने कोड वर्ड दे रखा है. कहीं इसे बीएस तो कहीं चीनी बोलकर इसकी बिक्री और इस्तेमाल हो रहा है.

कहीं पुलिस सजग तो कहीं लापरवाह
ऐसा नहीं है कि रांची पुलिस नशे के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है, लेकिन यह सिर्फ कुछ थाना क्षेत्रों में ही सीमित होकर रह गया है. नशे की तस्करी के लिए कभी बदनाम रहे सुखदेव नगर इलाके में इंस्पेक्टर ममता के आने के बाद तस्करों पर काफी हद तक नकेल कसा गया है. 1 वर्ष के भीतर ही केवल सुखदेव नगर थाना क्षेत्र से ही एक दर्जन से ज्यादा तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है. वहीं, भारी मात्रा में नशीली दवाइयां और ड्रग्स भी बरामद किए गए हैं. रांची पुलिस के पकड़ में आई दो महिला ड्रग्स तस्कर भी इंस्पेक्टर ममता के प्रयास से सलाखों के पीछे पहुंचाई गई है. रांची के अरगोड़ा, बरियातू और लालपुर थाना क्षेत्रों में भी तस्करों पर नकेल कसा गया है, लेकिन बाकी थानों में कार्रवाई के नाम पर काम सिर्फ कागजों पर ही हो रही है. रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा के अनुसार राजधानी में किसी तरह के ड्रग्स से कारोबार को पनपने नहीं दिया जाएगा. ड्रग्स कारोबार पर नकेल कसने के लिए पुलिस हर तरह से काम कर रही है. जिसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है.

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अफीम सुखाकर बनाया जाता है ब्राउन सुगर
झारखंड में तस्कर अफीम सुखाकर ब्राउन शुगर तैयार करते हैं. अगस्त महीने में चतरा पुलिस राजपुर थानाक्षेत्र से 1 किलो 150 ग्राम ब्राउन शुगर के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया. बकचुम्बा गांव निवासी रघुबीर ठाकुर और सदर थाना क्षेत्र के लोवगड़ा निवासी बिजय दांगी अपने-अपने घरों में ब्राउन शुगर तैयार कर रहे थे. मौके पर पुलिस दोनों तस्करों को उनके घर से ब्राउन शुगर सहित रंगे हाथ गिरफ्तार किया. बरामद ब्राउन सुगर की कीमत 15 लाख रुपये बताई गई. दरअसल, झारखंड में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सली यूपी और पंजाब के तस्करों के साथ मिलकर अफीम की खेती बड़े पैमाने पर करवाते हैं. क्योंकि अफीम से ही ब्राउन शुगर बनता है इसलिए झारखंड को नशे के सौदागर एक बड़े बाजार के रूप में देखते हैं.

सप्लायर अपने एजेंट को बनाते हैं एडिक्टेड, फिर कराते हैं तस्करी
रांची में ड्रग्स तस्करों ने तेजी से अपना पांव पसारा है. हर कोने में नशीली पाउडर के एजेंट हैं. जिन्हें, तस्करों ने पहले ब्राउन शुगर का एडिटेड बनाया इसके बाद उनसे तस्करी कराई जा रही है. हाल में ही बरियातू इलाके से हुई गिरफ्तारी से इसका खुलासा हुआ है. पकड़े गए छह अपराधियों में एक ऐसा अपराधी था जो थाने के पुलिसकर्मियों को बार-बार हाथ जोड़कर आग्रह करते हुए ब्राउन शुगर मांग रहा था.

क्या कहते हैं आंकड़े
झारखंड पुलिस ने साल 2021 में 1506 किलोग्राम गांजा बरामद किया. वहीं, 60 गांजे के पौधे भी नष्ट किए गए. पुलिस ने विभिन्न जिलों में चले अभियान के दौरान 21687.320 किलोग्राम डोडा, 256 किलो अफीम, 500 ग्राम ब्राउन शुगर, 100 ग्राम हेरोइन जब्त किया है. पुलिस ने इस दौरान नारकोटिक्स एक्ट में 304 मुकदमें दर्ज किए हैं, वहीं 463 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. 2020 में पुलिस ने अभियान के दौरान 21 अलग अलग ब्रांड की दवाईया जब्त की थी, जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा था. वहीं, पुलिस ने नारकोटिक्स एक्ट में 382 मुकदमे दर्ज कर 524 लोगों को जेल भेजा था. 2019 में पुलिस ने नारकोटिक्स से जुड़े 256 केस में 328, जबकि 2018 में पुलिस ने 237 मुकदमें दर्ज कर 301 लोगों को जेल भेजा था.

Last Updated :Dec 1, 2021, 8:26 PM IST
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