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'विशेष दर्जे' पर JDU के अंदर ही एक राय नहीं, ललन सिंह और नीतीश कुमार में विरोधाभास!

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Published : Apr 20, 2022, 9:49 PM IST

Special Status to Bihar
Special Status to Bihar

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा (Special Status to Bihar) देने की मांग को लेकर पहले जदयू और बीजेपी नेताओं के बीच विरोधाभास दिखता था, लेकिन अब जदयू के अंदर ही इस मुद्दे पर विरोधाभास दिखने लगा है. इसे लेकर जहां जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अभियान चला रहे हैं, तो वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि अभी इसे मुद्दा बनाना सही नहीं है. ललन सिंह के उलट नीतीश कुमार के बयान से विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

पटना: बिहार में लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा को लेकर सियासत (Politics on Special Status to Bihar) हो रही है. विशेष दर्जे को लेकर सभी दलों ने सर्वसम्मत प्रस्ताव विधानसभा और विधान परिषद से पास कराकर केंद्र को भेजा था लेकिन अब जो मापदंड तय किया गया है, उसके बाद केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. बिहार की सत्ताधारी दल जदयू 2020 चुनाव के रिजल्ट के बाद से इसे फिर से मुद्दा बना रही है.

विशेष दर्जे को लेकर JDU में विरोधाभास: विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU National President Lalan Singh) और जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (JDU Parliamentary Board President Upendra Kushwaha) जिस प्रकार से अभियान चला रहे हैं, उसको लेकर बीजेपी से टकराव भी होता रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कड़ी नाराजगी भी जताते रहे हैं. वहीं, डिप्टी सीएम रेणु देवी ने तो साफ कह दिया था कि विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं है. बीजेपी और जेडीयू के बीच विरोधाभास बना हुआ है, लेकिन यही विरोधाभास जदयू के अंदर भी खुलकर (Lalan Singh Vs Nitish Kumar) दिखने लगा है.

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''इस मुद्दे की अभी चर्चा करने की जरूरत नहीं है. हमलोग ये सब काम करते ही रहते हैं और जो बिहार के लिए जरूरत होती है उसके लिए केन्द्र से बात भी करते रहते हैं. इसको अभी इश्यू बनाने से क्या फायदा. छोड़िए कौन क्या बोलता है. हम लोग तो बिहार के लिए लगातार काम कर रहे हैं. सब देख रहे हैं.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

''जब रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट बनाई गई थी, उस रिपोर्ट में कई राज्यों को पिछड़ा घोषित किया गया था, जिसमें बिहार भी था और उस रिपोर्ट में अनुशंसा की गई थी कि उन पिछड़े राज्यों को आगे लाना चाहिए. लेकिन उस समय की कांग्रेस सरकार ने इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया. बगैर स्पेशल स्टेटस के अंबेडकर के सपनों का बिहार नहीं बन सकता है. बिहार को जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा तब तक बिहार विकसित नहीं होगा.''- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

ललन सिंह और सीएम नीतीश के बीच मतभेद: राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह तो बड़ा अभियान चला रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ नीतीश कुमार एक तरह से उस अभियान की खुद हवा निकाल रहे हैं. पिछले दिनों जनता दरबार में नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे के सवाल पर साफ कहा इसे मुद्दा बनाना अभी सही नहीं होगा. पहले जदयू के साथ विशेष राज्य के मुद्दे पर जदयू का मतभेद था, लेकिन अब जदयू में ही राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच मतभेद (Differences between Lalan Singh and CM Nitish) दिख रहा है. विपक्ष को हमला करने का एक मुद्दा मिल गया है.

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD spokesperson Mrityunjay Tiwari) का कहना है कि जनता समझ नहीं पा रही है कि एक तरफ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अभियान चला रहे हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि अभी इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. सब जानते हैं कि जदयू में नीतीश कुमार जो बोलेंगे वही होना है.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्रा (Congress spokesperson Premchand Mishra) का कहना है कि विशेष राज्य के दर्जे को लेकर जदयू राजनीति कर रही है, जब केंद्र सरकार और बीजेपी ने साफ कर दिया है कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है और यह नीतीश कुमार को पता है उसके बावजूद इस पर अभियान चलाना लोगों को गुमराह करने जैसा है.

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अजय झा (Political Analyst Professor Ajay Jha) का भी कहना है कि नीतीश कुमार को पता है कि अब विशेष राज्य का दर्जा बिहार को नहीं मिलना है, इसलिए अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के अभियान को एक तरह से खारिज कर रहे हैं. ऐसे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले तो बिहार का तेजी से विकास होगा और हर बिहारी चाहता है कि इसे मिलना चाहिए. नीतीश कुमार का बयान स्ट्रेटजी के तहत भी हो सकता है.

बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह (BJP Spokesperson Arvind Singh) ने कहा कि बीजेपी ने तो पहले ही साफ कर दिया है कि जो मापदंड है उसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं विशेष पैकेज की मदद दी जा रही है. बिहार नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है, लेकिन जदयू नेताओं के लिए ललन सिंह की तरफ से अभियान चलाने और नीतीश कुमार के बयान के बाद कुछ भी बोलना मुश्किल हो रहा है.

जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद (JDU Spokesperson Arvind Nishad) ने कहा कि लंबे समय से जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे पर अभियान चलाया है, संघर्ष चलाया है, मांग किया है और बिहार का ये वाजिब मांग है. हम इस मांग से कहां पीछे हट रहे हैं. सीएम नीतीश ने अभी जो कहा है किस संदर्भ में कहा है मुझे इसकी जानकारी नहीं है. पूरी तस्वीर जब साफ हो जाएगी तो हम लोग इस पर आगे बात करेंगे.

विशेष राज्य के दर्जे के लिए पैमाना: देश में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. हालांकि, अब जम्मू-कश्मीर को हटा लें तो 10 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा अभी भी है. पांच राज्य आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, गोवा के साथ बिहार विशेष राज्य के दर्जे की मांग लगातार कर रहा है. अब किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं.

  1. राज्य दुर्गम क्षेत्रों वाला पर्वतीय भू-भाग हो.
  2. किसी राज्य की कोई भी सीमा अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती हो.
  3. राज्य की प्रति व्यक्ति आय और गैर कर राजस्व कम हो.
  4. राज्य में आधारभूत ढांचा नहीं हो या पर्याप्त नहीं हो.
  5. राज्य में जनजातीय जनसंख्या की बहुलता हो अथवा जनसंख्या घनत्व कम हो.

बिहार पैमाने पर खरा नहीं उतरता: बिहार इन शर्तों पर खरा नहीं उतरता है, इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल रहा पा रहा है, लेकिन जदयू ने डेढ़ दशक पहले से ही विशेष राज्य का अभियान चलाना शुरू किया. पटना से लेकर दिल्ली तक रैली भी की. बिहार विधानसभा और विधान परिषद से सर्वसम्मति प्रस्ताव भी पास कराकर केंद्र को भेजा गया. एक करोड़ हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपा गया, लेकिन उस समय यूपीए सरकार थी और बिहार सरकार की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. बाद में 15वें वित्त आयोग ने जो नियम बनाया उसमें बिहार फिट नहीं बैठ रहा है.

JDU ने भी पहले छोड़ दी थी मांग: जदयू की ओर से इस अभियान को छोड़ भी दिया गया, लेकिन जब 2020 में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब हुआ तब फिर से इस अभियान को जोर-शोर से चलाना शुरू किया गया, लेकिन पार्टी के अंदर अब इस पर एक राय नहीं दिख रही है. ललन सिंह के अभियान के खिलाफ ही नीतीश कुमार अब बयान दे रहे हैं. विशेष राज्य को लेकर जदयू नेताओं का तर्क रहा है कि विकसित राज्यों की तुलना में बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है. प्रति व्यक्ति आय यहां काफी कम है. बिहार में औद्योगिक निवेश नहीं हुआ है और बड़ी संख्या में लोगों का यहां से हर साल पलायन होता है. बाढ़ से बिहार को हर साल करोड़ों का नुकसान होता है. यह सब बड़े मुद्दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी बिहार की मांग को नजरअंदाज किया जाता रहा है और अब तो इस पर राजनीति शुरू है.

पार्टी नेताओं की अलग-अलग राय: जदयू के अंदर पहले भी कई नेताओं ने विशेष राज्य के दर्जे पर अलग-अलग बयान दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और योजना विकास सहित ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा था कि जब केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकती है तो पार्टी को इसे छोड़ देना चाहिए. केंद्र विशेष मदद ही दे दे हालांकि कुछ दिनों के बाद ही विजेंद्र यादव अपने बयान से यू टर्न हो गए. इसी तरह समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने भी बयान दिया था कि विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा अब पार्टी को छोड़ देना चाहिए.

'विशेष' को लेकर अलग पड़े ललन सिंह: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने भी बयान दिया था कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते करते थक चुके हैं अब नहीं कर सकते हैं. एक तरह से जदयू के अंदर ही विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर मंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अब उससे भी बढ़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अलग-अलग राय दिख रही है. जिस प्रकार से राष्ट्रीय अध्यक्ष अभियान चला रहे थे नीतीश कुमार विरोध में जाकर एक तरह से बयान दे दिया है. साफ दिख रहा है कि विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर ललन सिंह अब पार्टी में ही अलग-थलग होते जा रहे हैं.

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