ETV Bharat / city

नक्सली और अपराधी किरायेदार बन शहर में ले रहे शरण, सिटीजन पोर्टल को अब पुलिस बनाएगी हथियार

author img

By

Published : Sep 24, 2020, 4:41 PM IST

रांची नक्सलियों और अपराधियों के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है. क्योंकि अपराधी किसी बड़ी घटना को अंजाम देकर यहां छिपकर रहते हैं. इसका मुख्य कारण है सिटीजन पोर्टल को किरदार वेरिफिकेशन के लिए सही से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. अब पुलिस इसे फिर से कारगर बनाने की कोशिश में जुट गई है.

citizen-portal
सिटीजन पोर्टल को अब पुलिस बनाएगी हथियार

रांची: नक्सली और अपराधी शहर में किरायेदार बनकर शरण ले रहे हैं. मकान मालिकों की लापरवाही से आबादी के बीच नाम बदलकर और पहचान छुपाकर रहने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. हाल ही में रांची पुलिस ने लूट, चोरी, डकैती और नक्सली सहित अन्य आपराधिक वारदातों में शामिल कई अपराधियों को शहर के अलग-अलग इलाकों से पकड़ा गया है. खुलासे में सामने आया कि इनमें से कई दूसरे जिलों से आकर राजधानी में किराए के मकान में रहते थे.

देखें स्पेशल स्टोरी
वारदात को अंजाम देकर हो जाते हैं फरार
दूसरे शहर से आकर राजधानी में वारदातें करते और फिर फरार हो जाते थे. ये सिर्फ पुलिस और मकान मालिक की लापरवाही के चलते ही संभव होता है. लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस की लचर कार्यशैली और मकान मालिकों की अनदेखी के चलते अब तक किरायेदार वेरिफिकेशन का काम कागजों में ही निपटाया जा रहा है. जब अपराध होता है तब पता लगता है कि अपराधी तो वर्षों से क्षेत्र में रह रहा था और उसके मकान मालिक को पता-ठिकाना तक नहीं मालूम था.
सिटीजन पोर्टल को बनाया जा रहा हथियार
रांची पुलिस के अनुसार कोरोना संक्रमण की वजह से बीट पुलिसिंग का काम बेहद प्रभावित हो रहा है. ऐसे में अब सिटीजन पोर्टल को किरदार वेरिफिकेशन के लिए अमल में लाया जा रहा है. सिटीजन पोर्टल का पुलिस सोशल मीडिया और पोस्टर के बैनर के जरिए प्रचार प्रसार भी करेगी ताकि अधिक से अधिक लोग जागरुक हो और इसके माध्यम से अपने किरायेदारों की जानकारी पुलिस तक पहुंचाएं.
नक्सलियों का सेफ जोन बनता जा रहा राजधानी
राजधानी रांची नक्सलियों का सेफ जोन बनता जा रहा है. रांची के हटिया, तुपुदाना, धुर्वा, रातू और पंडरा का इलाका अपराधियों की शरणस्थली बन रही है. खूंटी, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, चक्रधरपुर, लातेहार, पलामू, चतरा, लोहरदगा सहित अन्य जिलों से भागकर नक्सली रांची का रुख कर रहे हैं. मोस्टवांटेड नक्सली रांची में पहचान छुपाकर रह रहे हैं. ऐसे में नक्सलियों की पहचान स्थानीय स्तर पर नहीं हो पा रही. रांची में कई नक्सली पकड़े गए हैं, इनमें कई इनामी नक्सली हैं, अधिकांश नक्सली मजदूरों का वेश धारण कर रांची के शहरी क्षेत्रों में रह रहे हैं. कुख्यात नक्सली जेठा कच्छप भी तुपुदाना और कर्रा थाने की सीमाना इलाके से पकड़ा गया था. रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम का कहना है कि विशेष रूप से पीएलएफआई नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गई है, क्योंकि वही राजधानी रांची के लिए चुनौती बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें- रांचीः सांप के काटने से महिला की मौत, घर में पसरा मातम


मकान मालिक सत्यापन कराने में नही लेते रुचि
लोग घरों व प्रतिष्ठानों में किराएदार, घरेलू नौकर, चालक, चौकीदार, निजी कर्मचारी और सैल्समैन रखते हैं, लेकिन इनका पुलिस सत्यापन नहीं करवा रहे हैं. राजधानी रांची के होटल-ढाबों, औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रदेश और बाहरी राज्यों बिहार, यूपी व बंगाल के लोग कार्य करते हैं और क्षेत्र में किराए के मकानों में रहते हैं. इसके अलावा रांची में छात्र-छात्राओं के लिए कई कोचिंग संस्थान व शिक्षण संस्थान होने से यहां भी बड़ी संख्या में बाहरी छात्र व लोग किराए पर रहते हैं. इनका पुलिस सत्यापन नहीं के बराबर है, मालिक भी इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं.

घर से अपराधी पकड़े गए तो मकान मालिक पर होगी कार्रवाई
तत्कालीन एसएसपी अनीश गुप्ता ने मकान मालिक को हिदायत देते हुए कहा था कि ऐसे मकान मालिक जिनके किराएदार किसी आपराधिक मामले में शामिल पाए जाते हैं और उनका सत्यापन भी थाने में नहीं हुआ है तो ऐसे लोगों के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र रचने का मामला दर्ज होगा. रांची पुलिस ने अब सभी मकान मालिकों के लिए अपने किराएदारों का सत्यापन कराना अनिवार्य कर दिया था. इसके लिए एसएसपी कार्यालय की ओर से एक फार्मेट भी थानों के लिए जारी किया गया था, हालांकि थाना स्तर पर लापरवाही और मकान मालिकों की अनदेखी पर यह मामला कागजों में ही सिमट कर रह गया. अब नए सिरे से रांची पुलिस मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है.

ऐसे किया जाएगा सत्यापन
किराएदार के सत्यापन के लिए मकान मालिक को ही कुछ जरूरी जानकारी थाने को देनी होगी. किराएदार का नाम, उसका व्यवसाय, फोन नंबर, उसके परिवार के सदस्यों के नाम, वर्तमान व स्थायी पता, पहले कहां रहता था और पहचान के लिए उसका पासपोर्ट, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन, आधार या कोई सरकारी पहचान पत्र में से कोई एक की फोटोकॉफी थाने को देनी होगी. इसका सत्यापन करने के बाद एक रसीद थाने की ओर से मकान मालिक को दी जाएगी. इन सभी जानकारियों को मकान मलिक या तो खुद थाने जाकर दे सकते हैं या फिर सिटीजन पोर्टल में भी डाल सकते हैं.


ये भी पढ़ें- नन्हे फरिश्ते अभियान: अब तक 22 बच्चों को किया गया रेस्क्यू


राजधानी की क्या स्थिति है

  • शहर में 02 लाख से अधिक भवन बने हैं.
  • राजधानी की 15 लाख है आबादी.
  • 02 हजार हॉस्टल और लॉज में रहने वाले किरायेदार का बदलता रहता है ठिकाना, इसकी सूचना नहीं मिलती.
  • 50 हजार से अधिक भवनों में किराये पर रहते हैं किरायेदार.



    वेरिफिकेशन नहीं कराने पर है सजा का प्रावधान
    आईपीसी धारा 188 के अनुसार अगर वेरिफिकेशन नहीं कराने पर किसी को परेशानी होती है या फिर चोट लगती है तो एक माह का कारावास या 200 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. इसके अलावा मानव जीवन, सुरक्षा व दंगे होते हैं तो छह माह का कारावास या एक हजार रुपए का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.

    पुलिस के सिस्टम की ये तीन बड़ी खामियां जो किरायेदार वेरिफिकेशन में बड़ी बाधा है.

    1. वेरिफिकेशन की कोई समयसीमा तय नहीं- वेरिफिकेशन पुलिस कितने समय में करके मकान मालिक को सूचित करेगी, इसकी कोई गाइडलाइन तय नहीं है.
    2. डाक के भरोसे पुलिस- बाहरी राज्यों के मामले में पुलिस वैरिफिकेशन के लिए मकान मालिक द्वारा फार्म में भरी डिटेल को चेक कराने के लिए नौकर या किरायेदार से संबंधित उस थाने पर भेजती है, जहां का वह मूल रूप से रहने वाला है. यह सूचना डाक से ही भेजी जाती है और सत्यापन होने के बाद वापस भी सूचना डाक से ही आती है. यह प्रक्रिया इतनी लंबी हो जाती है कि महीनों बाद भी वैरिफिकेशन पूरा नहीं हो पाता.
    3. ऑफ लाइन आवेदनों का रिकॉर्ड ही नहीं- ऑनलाइन फार्म भरने वाले मकान मालिक के पास तो आवेदन का रिकॉर्ड रहता है, लेकिन थाने में वेरिफिकेशन फार्म देने वालों के पास कोई साक्ष्य नहीं रहता, जिससे वह अपने फार्म को ट्रेस कर सके. आवेदन की कोई रसीद थाने से नहीं मिलती.

    हाल के दिनों में किरायेदार के रूप में पकड़े गए नक्सली-अपराधी

    -02 मई 2020 को रांची के अरगोड़ा न्यू पिपरा टोली में पत्नी के साथ छुप कर रहे तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी) के सब जोनल कमांडर दिनेश गंझू उर्फ सौरभ गंझू को पुलिस ने दबोचा था.

    -27 जुलाई 2020 को लालपुर थाना क्षेत्र के केएम मल्लिक रोड में रहने वाले रमेश कुमार के 12 वर्षीय बेटे वैभव राज का किराएदार रोहतास जिले के रमण कुमार व प्रेमिका जमुई जिले के प्रीति हेम्ब्रम ने कर लिया. परिजनों से जब अपहरणकर्ता ने फिरौती के लिए फोन किया तो पुलिस को सूचना दी. लालपुर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. प्लसमेंट एजेंसी चलानेवाला आरोपी रमन ने प्रेमिका प्रीति को मकान मालिक से बहन बताया था.

    -26 अगस्त 2020 को नक्सलियों के लिए कूरियर का काम वाले सुरेंद्र उर्फ आर्यन को नामकुम स्थित रिंग रोड से गिरफ्तार किया. पुलिस आरोपी के पास से तीसरी अदालत संगठन का लेटर पैड के साथ साथ माओवादियों के द्वारा वसूली किए जाने वाले रसीद और लेटर पैड भी बरामद किया गया था. मूलरुप से गुमला के कामडारा इलाके का रहने वाला है. आरोपी गोंदा थाना क्षेत्र में किराए के मकान में रहा करता था, आर्यन नक्सली के लिए लेवी की रकम मांगने और फिर उसे वसूल कर संगठन तक पहुंचाने का काम करता था.

    -30 अगस्त 2020 को रांची पुलिस ने तीन पीएलएफआई नक्सलियों को नगड़ी थाना क्षेत्र के सपारोम स्थित सीएनआई चर्च के पास से गिरफ्तार किया था.

    -पीएलएफआई के एरिया कमांडर पुनई उरांव के दस्ते के नक्सली चुटिया के केतारीबगान निवासी वीरेंद्र मंडल के घर पर बाइक से नक्सली कचना पाहन व विनय तिग्गा पहुंचे थे. उनका मकान किराए पर मांग रहे थे, लेकिन कागजात भी नहीं दे रहे थे. संदेह होने पर मंडल ने इसकी जानकारी नामकुम पुलिस को दी. इसके बाद पुलिस ने दोनों को छापेमारी कर गिरफ्तार किया था.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.