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पलामू की बेटी प्राची अपूर्वा बिहार में बनी उपनिर्वाचन पदाधिकारी, बीपीएससी में प्राप्त किया 18वां रैंक

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Published : Aug 6, 2022, 9:01 AM IST

Prachi Apoorva of Palamu
पलामू की बेटी प्राची अपूर्वा बिहार में बनी उपनिर्वाचन पदाधिकारी

पलामू की प्राची अपूर्वा (Prachi Apoorva of Palamu) ने बीपीएससी में 18वां रैंक (18th rank in BPSC) प्राप्त किया है. इससे बिहार में जिला उपनिर्वाचन पदाधिकारी के पद पर चयनित हुई है. इस सफलता से प्राची के परिवार वाले काफी खुश हैं.

पलामूः शैक्षणिक व्यवस्था (Educational System) के बदले माहौल में बिना ट्यूशन और कोचिंग किए प्रतियोगी परीक्षा पास करना मुश्किल होता है. लेकिन लेकिन इस दौर में भी कुछ अभ्यर्थी बिना कोचिंग किए सफलता प्राप्त कर रहे है. पलामू की प्राची अपूर्वा (Prachi Apoorva of Palamu) ने सेल्फ स्टडी कर बीपीएससी में 18वां रैंक प्राप्त की है और वह जिला उपनिर्वाचन पदाधिकारी के पद पर चयनित हुई है. प्राची अपूर्वा मेदिनीनगर के आबादगंज की रहने वाली है.

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प्राची के पिता अमरेंद्र नारायण सरकारी शिक्षक है और मां तनूजा सिन्हा स्वास्थ्य विभाग में नैको से जुड़ी हुई है. प्राची साल 2013 में सेक्रेट हार्ट स्कूल से 10वीं पास की. इंटर परीक्षा पास करने के बाद बीआईटी सिंदरी से सिविल इंजीनियरिंग की. इसके बाद एनआईटी वारंगल में पढ़ाई शुरू की. लेकिन बीच में पढ़ाई छोड़ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. यूपीएससी की तैयारी के दौरान ही बीपीएससी की परीक्षा दिया और सफल हुई. प्राची सितंबर में यूपीएससी मेन्स की भी परीक्षा देने वाली है.

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प्राची ने सिविल सर्विसेज के लिए भूगोल विषय चयनित की और तैयारी शुरू किया था. प्राची कहती है कि हमने यूपीएससी की तैयारी के लिए कभी कोचिंग या ट्यूशन का सहारा नहीं लिया है. परीक्षा की तैयारी यूट्यूब और सोशल साइट पर मौजूद मटेरियल की मदद से पढ़ाई की. सिविल इंजीनियरिंग करने के दौरान ही उनका चयन एक मल्टीनेशनल कंपनी में हुआ था. लेकिन यह नौकरी छोड़कर सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गई थी.


बीपीएससी में 18वां रैंक मिलने के बाद प्राची के परिवार बेहद खुश है. प्राची की छोटी बहन साक्षी चारु भी पुणे से एलएलबी कर रही है. प्राची के पिता अमरेंद्र नारायण बताते हैं कि बेटी की सफलता से काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि दो बेटी है, दोनों को सशक्त बनाना उद्देश्य था. इससे दोनों बेटियां जो निर्णय ली, उस निर्णय में सहयोग किया. मां तनुजा सिन्हा बताती हैं कि दो बेटी होने के बाद समाज का काफी दबाव था. लेकिन मैंने निश्चय किया की दो ही बच्चे रहेंगे.

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