ETV Bharat / bharat

यहां की गुफाओं में रावण ने की थी तपस्या, जानिए क्यों कहते हैं त्रिकुट पर्वत

author img

By

Published : Apr 13, 2022, 3:01 PM IST

झारखंड का त्रिकुट पर्वत इन दिनों रोपवे होदसे को लेकर पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. रामनवमी के दिन हुए हादसे में यहां 3 लोगों की मौत हो गई जबिक 60 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. त्रिकुट पर्वत क्या है, क्यों लोग यहां आते हैं? जानते हैं इस रिपोर्ट में...

त्रिकुट पर्वत
त्रिकुट पर्वत

देवघर : झारखंड रोपवे हादसे (Jharkhand Ropeway Incident) के बाद अचानक त्रिकुट पर्वत सुर्खियों में आ गया. रविवार को हुए रोपवे हादसे में यहां एक साथ 63 जिंदगियां फंस गई. तीन दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में 60 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि तीन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. आखिर लोग यहां क्यों घुमने आते हैं, त्रिकुट पर्वत पर क्या है खास...

रावण का हेलीपैड : बाबानगरी देवघर से महज 20 किलोमीटर दूर हरीभरी वादियों के बीच तीन चोटियों वाला त्रिकूट पर्वत मौजूद है. मान्यता है कि इस पहाड़ की कहानी त्रेता युग से जुड़ी हुई है. यहां रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था. लोगों का ये भी मानना है कि यहां रावण का हेलीपैड था और वो यहां अपने पुष्पक विमान से आता और तपस्या करता था. यहां एक तरफ एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे पर्यटकों को आकर्षित करता है तो वहीं दूसरी तरफ विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर भी लोगों को अपनी तरफ खींच लाता है.

त्रिकुट पर्वत
त्रिकुट पर्वत

रावण और जटायू के बीच हुआ था युद्ध : देवघर के कंकड़-कंकड़ में शंकर का वास है. कहा जाता है कि देवघर में जितने भी धार्मिक स्थल हैं उसकी प्रमाणिकता भी मौजूद है. देवघर से महज 20 किलोमीटर दूर हरीभरी वादियों के बीच तीन चोटियों वाला त्रिकूट पर्वत मौजूद है. मान्यता है कि इस पहाड़ की कहानी त्रेता युग से जुड़ी हुई है. यहां रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था. लोगों का ये भी मानना है कि यहां रावण का हेलीपैड था और वो यहां अपने पुष्पक विमान से आता और तपस्या करता था.

त्रिकुट पर्वत रोपवे
त्रिकुट पर्वत रोपवे

क्यों कहा जाता है त्रिकुट पर्वत : मान्यता है कि यहां पर रावण को एक साथ ब्रम्हा, विष्ण और महेश का दर्शन हुआ था. यहां जो पहाड़ है उसके तीन शिखर हैं, जिन्हें ब्रम्हा, विष्णु और महेश के रूप में जाना जाता है. पहाड़ की तराई में बाबा त्रिकुटेश्वर नाथ का मंदिर है. मान्यता है कि इसकी स्थापना रावण ने ही की थी. लोगों का कहना है कि यहां माता सीता ने जो दीप जलाया था, वह आज भी मौजूद है. इसे देखने दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं.

बाबा त्रिकुटेश्वर नाथ का मंदिर
बाबा त्रिकुटेश्वर नाथ का मंदिर

चोटी पर शालिग्राम पत्थर: इस पहाड़ की चोटी पर विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है, जिसे विष्णु टॉप कहा जाता है. सिर्फ दो कोण पर टिके इस पत्थर के बीच 14 इंच का फासला है. मान्यता है कि जो इसके बीच से पार हो जाता है उसके ग्रह कट जाते हैं. इसके अलावा यहां हाथी पहाड़ भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है. जहां 40 फीट से बड़ी हाथी की आकृति की चट्टान है और शेष नाग की आकृति की एक नाव रूपी आसन भी है, जिसे भगवान विष्णु के शयन के रूप में देखा जाता है.

पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए रोपवे की सुविधा: इन धार्मिक मान्यताओं के अलावा यहां 1 हजार 282 फीट की सबसे ऊंची चोटी पर ले जाने के लिए रोपवे भी है. जिसकी लंबाई 2 हजार 512 फीट है. 26 ट्रॉलियों वाली ये रोपवे एशिया की सबसे ऊंची रोपवे है जो सिर्फ 8 मिनट में पर्वत के शिखर पर पहुंचा देती है. अगर आप धार्मिक कथाओं के साथ प्रकृति की खूबसूरती, रहस्य और रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं तो एक बार त्रिकूट की पहाड़ी पर जरूर आएं.

त्रिकुट पर्वत पर पर्यटक
त्रिकुट पर्वत पर पर्यटक

पढ़ें : झारखंड: तीन दिनों तक चला 63 जान बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन, नहीं बचाई जा सकीं तीन जिंदगियां

Ropeway Accidents Chronology: जानिए, देश में कब-कब और कहां-कहां हुए ऐसे रोपवे हादसे

देवघर रोपवे हादसा: 48 घंटे से हवा में झूल रही जिंदगियां, आधुनिक भारत का तंत्र बेबस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.