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ऊना में डॉक्टरों की पेन डाउन स्ट्राइक दूसरे दिन भी जारी, NPA बंद करने का किया विरोध

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Published : May 30, 2023, 4:15 PM IST

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा डॉक्टरों को दी जाने वाले नॉन प्रैक्टिस अलाउंस को बंद किए जाने से डॉक्टर नाराज हैं. जिसके विरोध में आज दूसरे दिन भी डॉक्टरों ने रीजनल अस्पताल ऊना में भी हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के नेतृत्व में सुबह 9 बजे से लेकर सुबह 11 बजे तक पेन डाउन स्ट्राइक की गई.

Doctors Pen down strike in protest against closure of NPA in Una.
NPA बंद करने के विरोध में ऊना में डॉक्टरों की पेन डाउन स्ट्राइक.

ऊना में डॉक्टरों की पेन डाउन स्ट्राइक.

ऊना: सुक्खू सरकार द्वारा डॉक्टरों को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद किए जाने के विरोध में हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने आंदोलन तेज कर दिया है. मंगलवार को भी ऊना जिला मुख्यालय के रीजनल अस्पताल में एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर पीयूष नंदा की अगुवाई में तमाम डॉक्टरों ने पेन डाउन स्ट्राइक करते हुए सरकार के फैसले पर विरोध दर्ज करवाया. डॉक्टरों ने दो टूक कहा कि सरकार द्वारा दिया जाने वाला एनपीए डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस से रोकने के लिए एक अहम कड़ी के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब एनपीए बंद करने से खुद ही डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस की इजाजत दी जा रही है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ेगा. मंगलवार सुबह पेन डाउन स्ट्राइक के दौरान कॉन्फ्रेंस हॉल में एकत्रित होकर सरकार के फैसले पर मंत्रणा कर आगामी रणनीति भी तय की गई.

सुबह 9:30 से 11 बजे तक पेन डाउन स्ट्राइक: हिमाचल सरकार द्वारा एनपीए बंद करने के विरोध में डॉक्टरों का पेन डाउन स्ट्राइक आज दूसरे दिन भी जारी रही. मंगलवार को क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में सुबह 9:30 बजे से 11 बजे तक कामकाज पूरी तरह से ठप्प रखा. इस दौरान हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के जिला महासचिव डॉक्टर पीयूष नंदा भी पेन डाउन स्ट्राइक के दौरान डॉक्टरों के साथ मौजूद रहे. एसोसिएशन की सदस्य डॉ. रंजना ने कहा कि प्रदेश सरकार को अपने फैसले पर एक बार फिर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं में कार्यरत डाक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस से रोकने के लिए ही एनपीए दिया जा रहा था, लेकिन अब एनपीए के बंद होने से डॉक्टरों में रोष है.

'आंदोलन का रुख करेंगे डॉक्टर': डॉ. रंजना ने कहा कि डॉक्टरों ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग को सरकार और उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाया, लेकिन हर बार उनकी मांग को अनदेखा किया गया है. उन्होंने कहा एनपीए का बंद होना एक तरह से डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की खुली छूट है. जिसके चलते मरीजों और उनके परिवार के लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. दूसरी तरफ डॉ. अभिषेक ने कहा कि एनपीए की मांग को लेकर पूर्व सरकार के समक्ष भी आवाज उठाई गई थी. उस वक्त भी डॉक्टरों को हड़ताल का रास्ता अख्तियार करना पड़ा, लेकिन अब एक बार फिर डॉक्टरों को उसी आंदोलन की तरफ धकेला जा रहा है.

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