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कुशा और मौली के धागों से सोलन की मंजू ने बनाई पवित्र राखी, देश-प्रदेश में बढ़ी डिमांड

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Published : Aug 11, 2021, 6:15 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 7:41 PM IST

कुशा से बनाए गए उत्पाद
कुशा से बनाए गए उत्पाद

जिला सोलन की रहने वाली मंजू कुशा और मौली के धागों से राखियां बना रही हैं. इन राखियों की देश और प्रदेश में काफी मांग बढ़ रही है. एक राखी को बनाने में 15 -20 मिनट लगते हैं. इन राखियों से मंजू को अच्छी आमदनी भी हो रही है.

सोलन: देश और प्रदेश में इन दिनों कोरोना महामारी अपना कहर बरपा रही है. महामारी के चलते इस बार अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ''वोकल फॉर लोकल'' का सपना हिमाचल के सोलन जिले की रहने वाली मंजू कहीं ना कहीं सच करती दिख रही हैं.

भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार को और भी ज्यादा पवित्र बनाने के लिए जिला सोलन के कंडाघाट उपमंडल की ग्राम पंचायत तूंदल की रहने वाली मंजू इस बार कुशा और मौली के धागों से राखियां बना रही हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंजू ने बताया कि आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार करने के लिए वे इस बार कुशा और मौली के धागों से राखियां बना रही हैं.

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मंजू ने बताया कि अमावस्या के दिन कुशा को निकालकर रख लिया जाता है. उस दिन कुशा निकालकर रखने से उसे शुद्ध माना जाता है. एक राखी को बनाने में 15-20 मिनट का समय लगता है. मंजू ने बताया कि उन्हें इस बार घर पर ही राखियां बनाकर बेहद खुशी महसूस हो रही है.

मंजू की बनाई हुई राखियां
मंजू की बनाई हुई राखियां

राखियों को प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी लोग पसंद कर रहे हैं. अब तक मंजू हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में 150 राखियां कूरियर के जरिये भेज चुकी हैं, वहीं उन्हें करीब 500 राखियों की डिमांड नोएडा-दिल्ली से आई है. मंजू ने हर राखी का दाम 30 रुपये रखा है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है. वहीं, उन्होंने अन्य महिलाओं से भी अपील की है कि वे भी अपने हाथों के हुनर को सबके सामने लाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकती हैं.

बता दें कि कुशा से बनाए गए उत्पादों की आज प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देशभर में डिमांड है. वर्ष 2018 में उन्होंने हिंदू धर्म में पवित्र माने जाने वाली कुशा से उत्पादों को बनाने की ट्रेनिंग ली थी. उस समय 21 महिलाओं ने ट्रेनिंग ली थी, लेकिन उनमें से सिर्फ मंजू ने ही कुशा के उत्पाद बनाने शुरू किये.

मंजू की बनाई हुई राखियां
मंजू की बनाई हुई राखियां

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने तो उनकी तकदीर ही बदल डाली. इस मिशन के तहत उन्हें कहलोग में अपने उत्पादों को बेचने के लिए दुकान मिली हुई है. आसपास की कई पंचायतों की महिलाओं को वह ट्रेनिंग भी दे रही हैं. घर बैठे ही आज मंजू प्रति माह 10 से 15 हजार की कमाई कर रही हैं. खंड विकास कार्यालय के माध्यम से उनके उत्पादों की मांग आज अन्य राज्यों से भी आ रही है.

मंजू की बनाई हुई राखियां
मंजू की बनाई हुई राखियां

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में बेहतर कार्य करने के लिए मंजू को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्हें सम्मानित किया गया था. वहीं, बिलासपुर, शिमला, सोलन, चंडीगढ़ और नोएडा में सरस मेले में मंजू अपने उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगा चुकी हैं. मंजू कुशा से चपाती बॉक्स, पूजा आसन, पूजा टोकरी, पेन स्टैंड, पूजा चप्पल, टेबल लैंप, फ्लावर पॉट और फ्रूट बास्केट सहित कई प्रकार के उत्पाद बना रही है.

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Last Updated :Aug 11, 2021, 7:41 PM IST
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