पांवटा साहिब: मूंगफली को सस्ता काजू कहा जाता है और इसमें स्वाद के साथ साथ कई प्रकार के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने सबंधी गुण भी होते हैं. मूंगफली को कई प्रकार से उपयोग किया जाता है. मूंगफली में होने वाले विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी बनाते हैं.
ऐसे में अब ठंड के सीजन में मूंगफली हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर पांवटा साहिब में भारी मात्रा में बिकती थी. शहर में जगह-जगह मूंगफली की रेहड़ियां लगी रहती थी. शाम के समय मूंगफली खरीदने के लिए लोगों का जमावड़ा नजर आता था पर इस बार कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि मूंगफली का कारोबार ही उजड़ा सा नजर आ रहा है.
क्या फायदा है मूंगफली का
जब लोगों से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पांवटा साहिब में जगह जगह मूंगफली के ठेले और रेहड़ियां नजर आती थी, लेकिन इस बार मूंगफली शहर में कम मात्रा में मिल रही है और दाम भी आसमान छू रहे हैं. कोरोना वायरस से पहले भी रोजगार ठप पड़े है. ऐसे में मूंगफली का स्वाद टिका होता जा रहा है.
20 सालों से मूंगफली बेच रहे एक बुजुर्ग ने बताया कि पांवटा साहिब में यूपी से हर वर्ष मूंगफली में लाई जाती थी. वहीं, इस बार यूपी की मूंगफली ना आने की वजह से हरियाणा से मूंगफली महंगे दामों पर लाई जाती है. ना तो उसका स्वाद है और ना ही ज्यादा लोग पसंद कर रहे हैं. जिसकी मार रेहड़ी वालों पर पड़ रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे में घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है.
पांवटा साहिब में बाहरी राज्यों से लोग यहां आ कर मूंगफलियां बेचते हैं. सीजन के दौरान कई क्विंटल मूंगफली यहां पर बेचकर अच्छी आमदनी कमा कर अपने घर चले जाते हैं. ऐसे में इस बार इनको भी मूंगफली का कारोबार महंगा पड़ गया.
वहीं, बाहरी राज्यों के लोगों ने बताया कि कोरोना ने इस बार उनको भी रुला कर रख दिया है. पहले तो महंगे दामों पर मूंगफली खरीदनी पड़ी और अब सस्ते दामों पर बेचने के बाद भी कोई लेने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ₹120 किलो मूंगफली बेची जा रही थी. वहीं, इस बार भी ₹120 किलो मूंगफली बेची जा रही है. कम खरीदारी होने की वजह से अब उन्होंने रेट भी ₹100 किलो कर दिए हैं पर फिर भी मूंगफली कम बिक रही है.
वहीं, पांवटा साहिब के परशुराम चौक पर हर वर्ष रेहड़ी और दुकान पर क्विंटल मूंगफली बेचने वाले एक दुकानदार ने बताया कि पिछले वर्ष 5 क्विंटल मूंगफली बिकी थी, लेकिन इस बार तो 1 क्विंटल का आंकड़ा पार करना भी मुश्किल हो गया है.