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वर्ल्ड टूरिज्म डे: प्राकृतिक सुंदरता पर भारी कोरोना, अर्श से फर्श तक पहुंचा हिमाचल में पर्यटन कारोबार

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Published : Sep 27, 2020, 12:18 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 6:10 AM IST

साल के 12 महीने पर्यटकों से गुलजार रहने वाले हिमाचल के पर्यटन स्थलों में इस साल मार्च महीने से सन्नाटा पसरा हुआ है. हाल ही में प्रदेश सरकार ने हिमाचल को पर्यटकों के लिए बिना किसी शर्त के खोल दिया है पर पर्यटक महामारी के चलते अभी घरों में निकलने से गुरेज कर रहे हैं. बड़ी कम संख्या में पर्यटक हिमाचल का रूख कर रहे हैं.

प्राकृतिक सुंदरता पर भारी कोरोना
प्राकृतिक सुंदरता पर भारी कोरोना

शिमला: 27 सितंबर को हर साल वर्ल्ड टूरिज्म डे के रूप में मनाया जाता है. विश्व पर्यटन दिवस की शुरुआत साल 1970 में विश्व पर्यटन संस्था ने की थी. 1980 में पहली बार विश्व पर्यटन दिवस मनाया गया था. इस दिन को मनाने का उद्देश्य टूरिज्म के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाना है, लेकिन साल 2020 में कोरोना पर्यटन कारोबार के लिए ग्रहण बनकर आया है.

विश्वभर में महामारी ने चंद महीनों में करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. लोगों के स्वास्थ्य के साथ वैश्विक महामारी ने सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को बुरी तरह से प्रभावित किया है. महामारी के चलते आर्थिक मंदी आ गई, जिस वजह से काम-धंधे ठप हो गए और लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.

वीडियो रिपोर्ट

भारत में कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा पर्यटन कारोबार को प्रभावित किया है. साल के 12 महीने पर्यटकों से गुलजार रहने वाले हिमाचल के पर्यटन स्थलों में इस साल मार्च महीने से सन्नाटा पसरा हुआ है. हाल ही में प्रदेश सरकार ने हिमाचल को पर्यटकों के लिए बिना किसी शर्त के खोल दिया है पर पर्यटक महामारी के चलते अभी घरों में निकलने से गुरेज कर रहे हैं. बड़ी कम संख्या में पर्यटक हिमाचल का रूख कर रहे हैं.

कोविड-19 की वजह से प्रदेश में मार्च माह से अगस्त तक पर्यटकों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी. आंकड़े के मुताबिक करीब पांच महीनों तक पर्यटन कारोबार बंद रहने से 55 हजार करोड़ का नुकसान आंका गया है. वहीं, पयर्टन निगम को कोविड-19 के चलते 39.97 करोड़ का नुकसान हुआ है.

इस अवधी में प्रदेश के छह हजार के करीब होटल, होम स्टे और अन्य इकाईयां पूरी तरह से बंद रही. वहीं, समर सीजन में पूर्ण लॉकडाउन से हिमाचल में पर्यटकों की आमद शून्य रही, जिस वजह से प्रदेश सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है और इसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है.

हालांकी बीते तीन सालों से हिमाचल में पर्यटन कारोबार किसी न किसी कारण से प्रभावित हुआ है. साल 2018 में राजधानी शिमला पानी की किल्लत की वजह से सुर्खियों में रहा था, जिस वजह से उम्मीद से कम पर्यटक शिमला आए थे. वहीं, साल 2019 में समर सीजन के समय लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसका असर भी पर्यटन कारोबार पर देखने को मिला था

हिमाचल की जनसंख्या करीब 70 लाख के करीब है. वहीं, प्रदेश में हर साल करीब 1.80 करोड़ पर्यटक देश-विदेशों से घूमने आते हैं. ऐसे में पर्यटन कारोबार छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी है. साल 2018 में प्रदेश में आने वाले कुल सैलानियों का आकंड़ा 1.64 करोड़ था. इसमें विदेशी पर्यटकों का आंकड़ा 3.56 लाख और देशी पर्यटकों का आकंड़ा 1.60 करोड़ था.

साल 2019 में यह आंकड़ा 1.72 करोड़ रहा, जिसमें वदेशी सैलानियों की संक्या 3.83 लाख ओर देशी सैलानियों की संख्या 1.68 करोड़ दर्ज की गई थी. वहीं इस साल कोरोना महामारी के चलते समर सीजन पूरी तरह से ठप रहा और प्रदेश में घूमने आने वाले पर्यटकों का आंकड़ा शून्य रहा.

ऐसे में जयराम सरकार के सामने कोरोना महामारी में पर्यटन कारोबार को नए पंख लगाने की चुनौती है. जहां एक ओर हिमाचल में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. वहीं, पर्यटकों के आने से महामारी के फैलने का खतरा और भी बढ़ गया है. प्रदेश के लोगों की सुरक्षा के साथ पर्यटन कारोबार को पटरी पर लाने के लिए प्रदेश सरकार को अब नई रणनीति के तहत काम करना होगा.

Last Updated :Sep 28, 2020, 6:10 AM IST
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