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Doctor's Day Special: पोशाक की गरिमा को चार चांद लगा रहे हिमाचल के डॉक्टर्स, देश भर में बनाई पहचान

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Published : Jul 1, 2021, 10:27 AM IST

सेवा के संसार में छोटे पहाड़ी राज्य के डॉक्टर्स ने बड़ा नाम कमाया है. चाहे देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का जिक्र हो या, दुनिया को रैबीज का सबसे सस्ता इलाज देने वाला पद्मश्री डॉ. ओमेश भारती का, सभी देवभूमि से संबंध रखते हैं. इतना ही नहीं, कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई की रणनीति बनाने वालों में भी हिमाचल के डॉ. वीके पॉल ने अग्रणी भूमिका निभाई है.

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फोटो.

शिमला: छोटे पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के डॉक्टर्स ने अपनी मेधा से देश भर में पहचान बनाई है. जिस महान डॉ. बीसी राय के नाम पर ये दिवस मनाया जाता है, उन्हीं के नाम से जारी अवार्ड भी हिमाचल से संबंध रखने वाले डॉक्टर्स को मिल चुका है. सेवा के संसार में देवभूमि के डॉक्टर्स ने बड़ा नाम कमाया है. इस समय देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स दिल्ली की कमान हिमाचल के डॉ. रणदीप गुलेरिया के हाथ में है. उनके पिता डॉ. जेएस गुलेरिया भी एम्स दिल्ली में डीन रह चुके हैं. डॉ. रणदीप गुलेरिया के भाई डॉ. संदीप गुलेरिया ने स्वर्गीय अरुण जेटली का किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली टीम को लीड किया था. वे भी एम्स में सेवाएं दे चुके हैं.

बड़ी बात है कि डॉ. रणदीप गुलेरिया देश के सबसे बड़े चिकित्सा सम्मान डॉ. बीसी रॉय सेनेटरी अवार्ड से अलंकृत हो चुके हैं. इसी कड़ी में एक और बड़ा नाम डॉ. वीके पॉल का है. कांगड़ा जिला के देहरा के रहने वाले डॉ. पॉल विश्वविख्यात बाल रोग विशेषज्ञ हैं. वे इस समय नीती आयोग में भी सक्रिय हैं. कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई की रणनीति डॉ. पाल के नेतृत्व में ही बनी है. डॉ. पॉल भी बीसी राय अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं.

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डॉ. रणदीप गुलेरिया.

हिमाचल के युवा डॉक्टर्स ने भी मचाई धूम

हिमाचल प्रदेश के युवा डॉक्टर्स भी अपनी खास पहचान बनाने में आगे हैं. हमीरपुर से संबंध रखने वाले डॉ. अरुण शर्मा भारत के पहले डॉक्टर हैं, जिन्होंने कार्डियोवास्कुलर रेडियोलॉजी (Cardiovascular Radiology) एंड एंडोवस्कुलर इंटरवेंशन (Endovascular intervention) यानी सीवीआर एंड ईआई में डीएम की डिग्री हासिल की है. पहले ये डिग्री विदेश के चिकित्सा संस्थानों में ही करवाई जाती थी. सबसे पहले एम्स दिल्ली में जब ये डीएम डिग्री शुरू की गई तो समूचे देश से डॉक्टर अरुण शर्मा ही सिलेक्ट हुए. दिल्ली एम्स में सेवाएं देने के बाद डॉ. अरुण शर्मा अब पीजीआईएमआर चंडीगढ़ में तैनात हैं. इसी तरह हिमाचल के डॉक्टर सुरजीत भारद्वाज भी एम्स दिल्ली में बालरोग विभाग में सेवाएं देने के बाद अब अपने गृह प्रदेश हिमाचल में तैनात हैं. उन्होंने न्यूनेटल पीडियाट्रिक्स में डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन की है. दिलचस्प बात ये है कि डॉ. अरुण शर्मा व डॉ. सुरजीत भारद्वाज ने जब पीजीआई चंडीगढ़ से अपने-अपने विभाग में पीजी एंट्रेस की प्रवेश परीक्षा दी तो वे जीडीओ कैटेगरी में देश के टॉपर रहे हैं. एमडी की डिग्री लेने के बाद दोनों ने डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन की और डॉ. अरुण तो अपनी फील्ड में डीएम करने वाले देश के पहले डॉक्टर हैं.

सबसे बड़े अस्पताल की कमान युवा डॉक्टर के पास

हिमाचल के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल की कमान युवा न्यूरोसर्जन डॉ. जनकराज के हाथ में है. वे अस्पताल के सीनियर एमएस हैं. डॉ. जनकराज ने बीएचयू से न्यूरोसर्जरी में एमसीएच की डिग्री गोल्ड मेडल के साथ ली है. वे एमएस पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही आपात परिस्थितियों में मरीजों की सर्जरी भी करते हैं. इसी तरह कोविड के खिलाफ लड़ाई में फ्रंट लाइन पर खड़े युवा डॉ. विमल भारती ने दिन-रात काम किया है. मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के भी निजी चिकित्सक रह चुके हैं.

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डॉ. जनकराज.

रिसर्च में बड़ा नाम, हिमाचली डॉक्टर के पास कमान

देश के उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल सहित राजस्थान के कई हिस्सों की सेवा में योगदान देने वाला चंडीगढ़ का पीजीआईएमईआर (PGIMER) देश के नामी मेडिकल कॉलेज अस्पताल व रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में जाना जाता है. यहां के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जगतराम भी हिमाचल के सिरमौर जिला के रहने वाले हैं. डॉ. जगतराम दुनिया भर में मशहूर आई सर्जन हैं. डॉ. जगतराम इंटरनेशनल ऑप्थेमोलॉजी अकादमी (International Ophthalmologists Academy) के सदस्य हैं. मेडिकल साइंस में देश और विदेश के 24 बड़े अवार्ड डॉ. जगतराम के खाते में दर्ज हैं. वे पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के एडवांस्ड आई सेंटर के हेड रहे हैं. इसी तरह पंजाब की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस के वाइस चांसलर हिमाचल के ऊना जिला के रहने वाले डॉ. राजबहादुर हैं. डॉ. राजबहादुर दुनिया के नामी आर्थोपेडिक सर्जन हैं. उनके पास यूके, यूएसए, स्विटजरलैंड सहित अन्य देशों की फैलोशिप है. चार दशक के रिसर्च अनुभव से सज्जित डॉ. राजबहादुर पूर्व में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल चंडीगढ़ के भी प्रमुख रहे हैं.

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प्रो. डॉ. जगतराम.

हिमाचल के डॉक्टर ने विश्व को दिया रैबीज के खिलाफ सस्ता इलाज

दुनिया को रैबीज का सबसे सस्ता इलाज देने वाले डॉ. ओमेश भारती भी हिमाचल से हैं. उनके रैबीज इलाज के प्रोटोकॉल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूर किया है. अब पूरी दुनिया में यही प्रोटोकॉल लागू है. डॉ. भारती को मानवता की इस सेवा के लिए भारत सरकार ने पदमश्री से सम्मानित किया है. इन दिनों डॉ. भारती सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. डॉ. भारती को दुनिया के कई देशों के बड़े सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है. सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने और इसके विभिन्न आयामों पर शोध करने वाले डॉ. भारती देश के पहले चिकित्सक हैं. डॉ. भारती भी कांगड़ा जिला से संबंध रखते हैं और इस समय शिमला में सरकारी नौकरी में हैं.

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डॉ. ओमेश भारती.

नेशनल मेडिकल कमीशन में हिमाचली डॉक्टर्स का जलवा

देश में मेडिकल एजूकेशन को रेगुलेट करने के लिए नए सिरे से गठित नेशनल मेडिकल कमीशन में भी देवभूमि हिमाचल के डॉक्टर्स का डंका बजता है. देश में मेडिकल एजूकेशन व चिकित्सा से संबंधित सभी नीतियां नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी तैयार कर रहा है. इस कमीशन में हिमाचल के प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कश्यप, प्रोफेसर डॉ. राजबहादुर, प्रोफेसर डॉ. जगत राम व प्रोफेसर डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित डेंटल चिकित्सा में विख्यात नाम डॉ. महेश वर्मा अलग-अलग रूप से शामिल किए गए हैं. नीती आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) प्रोफेसर डॉ. विनोद पॉल, जिन्होंने कमीशन के सदस्यों का ऐलान किया था, वे भी हिमाचल से ही हैं. चिकित्सा शिक्षा संबंधी नीतियां बनाने में इनके अनुभव का बहुत योगदान रहेगा. डॉ. कश्यप आईजीएमसी अस्पताल के प्रिंसिपल रहे हैं. बाद में वे करनाल के कल्पना चावला मेडिकल इंस्टीट्यूट के निदेशक रहे और अब हिमाचल में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के वीसी हैं.

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प्रोफेसर डॉ. विनोद पॉल

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