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हिमाचल में 2021-22 के बजट की तैयारी, 10 फरवरी को होगी प्लानिंग बोर्ड की बैठक

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Published : Jan 19, 2021, 10:10 PM IST

budget 2021-22
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प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट की तैयारी शुरू कर दी है. कोविड संकट के कारण बेशक इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश की सालाना योजना का आकार तय नहीं होगा, लेकिन योजना बोर्ड की मीटिंग में कई अहम वित्तीय मसलों पर चर्चा की जाएगी.

शिमला: हिमाचल सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट की तैयारी शुरू कर दी है. कोविड संकट के कारण बेशक इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश की सालाना योजना का आकार तय नहीं होगा, लेकिन योजना बोर्ड की मीटिंग में कई अहम वित्तीय मसलों पर चर्चा की जाएगी.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे. राज्य योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन और पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश ध्वाला के साथ बोर्ड के सदस्य, वित्त विभाग के अधिकारी और अन्य विभागों के मुखिया मीटिंग में मौजूद रहेंगे. हिमाचल में राज्य योजना बोर्ड कायम किया गया है और ये प्रदेश की सालाना योजनागत व गैर योजनागत कार्यों के लिए बजट का प्रावधान करता है.

कोविड संकट के कारण इस बार ये प्लान व नॉन प्लान वाला मामला नहीं होगा. फिर केंद्र सरकार ने भी योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन किया हुआ है. ये सही है कि केंद्रीय स्तर पर नीति आयोग काम करता है और हिमाचल में अभी भी योजना बोर्ड का अस्तित्व है. इस वित्त वर्ष से पहले हिमाचल में योजना बोर्ड ही प्रदेश की सालाना योजना का आकार तय करता आया है.

बजट का राजस्व व पूंजीगत के तौर पर वर्गीकरण

योजना का आकार तय होने से पहले हिमाचल में विधायक प्राथमिकता निधि की बैठकें होती हैं. फिलहाल, हिमाचल में इस बार योजना बोर्ड की बैठक दस फरवरी को तय की गई है. हिमाचल सरकार ने अब बजट का राजस्व व पूंजीगत के तौर पर वर्गीकरण किया है. प्लान व नॉन प्लान बजट न होने की वजह से अब योजना का आकार भी तय नहीं होगा. अब बजट को पूंजीगत एवं राजस्व खर्च में दर्शाया जाएगा.

अनुसूचित जाति उप-योजना यानी एससी नॉन-प्लान, जनजातीय क्षेत्र उप-योजना यानी एसटी नॉन प्लान, पिछड़ा क्षेत्र उप-योजना यानी बैकवर्ड एरिया नॉन-प्लान तथा क्षेत्रीय और विकेंद्रीकृत योजना कार्यक्रमों को अब क्रमश: अनुसूचित जाति विकास योजना, जनजातीय क्षेत्र विकास योजना, आकांक्षी खंड विकास योजना और क्षेत्रीय एवं विकेंद्रीकृत विकास कार्यक्रम के तौर पर जाना जाएगा.

28 व 29 जनवरी को विधायक प्राथमिकताओं की बैठक

वहीं, योजना बोर्ड की बैठक से पहले 28 व 29 जनवरी को विधायक प्राथमिकताओं की बैठक का आयोजन होगा. इसमें 28 जनवरी को सुबह 10.30 बजे से 1.30 बजे तक सोलन, सिरमौर व शिमला तथा दोपहर बाद 2 बजे से 5 बजे तक मंडी, कुल्लू और बिलासपुर जिले के विधायकों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी.

इसके अलावा 29 जनवरी को सुबह 10.30 बजे से 1.30 बजे तक कांगड़ा व किन्नौर जिलों और दोपहर बाद 2 से 5 बजे तक चंबा, ऊना, हमीरपुर और लाहौल-स्पीति जिले के विधायकों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी. इन बैठकों में वार्षिक बजट 2021-22 की विधायक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिए विचार-विमर्श किया जाएगा.

बैठकों में विधायकों से वर्ष 2021-22 के लिए मितव्ययता उपायों, वित्तीय संसाधन जुटाने एवं बेहतर प्रशासन को लेकर मिले सुझावों पर भी चर्चा होगी. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार प्रदेश के आम नागरिकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और वित्तीय क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं से बजट को लेकर सुझाव आमंत्रित करती आई है.

हिमाचल पर 58 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज

हिमाचल पर 58 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. प्रदेश के पास खुद के वित्तीय संसाधन कम हैं. हिमाचल अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए केंद्रीय मदद पर निर्भर है. प्रदेश को 15वें वित्तीय आयोग से पिछली बार काफी राहत मिली थी. आयोग से हिमाचल को रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट के तौर पर अच्छी खासी रकम मिली थी.

प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या पौने दो लाख के करीब है. उनके वेतन और सेवानिवृत कर्मियों की पेंशन पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. राज्य में बजट के एक रुपए में से सरकारी कर्मियों के वेतन पर 26.66 पैसे, पेंशन पर 14.79 पैसे खर्च होते हैं. विकास के लिए महज 41.22 पैसे बचते हैं. सरकार को कई बार खर्च के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है.

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