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हिमाचल की पहाड़ियों को बचाने का आधार बनेगी एक याचिका, हाईकोर्ट की सख्ती से बदलेंगे ग्रामीण इलाकों में कंस्ट्रक्शन के नियम

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Published : Feb 13, 2023, 6:47 AM IST

हिमाचल की पहाड़ियों को बचाने के लिए एक याचिका आधार बनेगी. सोलन जिले के एक इलाके में 6 किलोमीटर तक सड़क के दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतें खड़ी करने को चुनौती दी गई है. वहीं, अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी. (Petition in the High Court to save the hills)

हिमाचल की पहाड़ियों को बचाने का आधार बनेगी एक याचिका
हिमाचल की पहाड़ियों को बचाने का आधार बनेगी एक याचिका

शिमला: हिमाचल एक पर्वतीय राज्य होने के साथ ही भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में है. प्रदेश में विभिन्न जिलों में पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. दरअसल, हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. कुसुम बाली की तरफ से एक याचिका दाखिल कर सोलन जिले के एक इलाके में 6 किलोमीटर तक सड़क के दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतें खड़ी करने को चुनौती दी गई है.

निर्माण पर्यावरण के लिए खतरा: याचिका में कहा गया है कि ये निर्माण पर्यावरण के लिए खतरा है. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई सख्त निर्देश दिए हैं. अदालत ने पूछा है कि ऐसी कौन सी अथॉरिटी है, जिसने इस निर्माण कार्य के लिए अनुमति दी है.राज्य सरकार के बड़े अफसरों को अदालत में तलब किया जा चुका है. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में कैबिनेट में राज्य सरकार अदालत के निर्देशों के अनुसार फैसला लेगी. राज्य सरकार ये फैसला ले सकती है कि प्रदेश के जो इलाके टीसीपी एक्ट के दायरे से बाहर हैं, उन ग्रामीण इलाकों में भी पहाड़ियों को काट कर निर्माण न हो सके.

याचिका पहाड़ियों को बचाने का आधार: इस तरह अदालत में दाखिल की गई एक याचिका हिमाचल की पहाड़ियों को बचाने का आधार बनेगी. साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी होगा. उल्लेखनीय है कि तुर्किए व सीरिया में आए भूकंप के बाद से हिमाचल में भी आपदाओं को लेकर आम जनता के मन में भय है. हिमाचल पहले से ही संवेदनशील जोन में है. ऐसे में पहाड़ियों को काटकर निर्माण की इजाजत नहीं दी जा सकती. हाईकोर्ट ने भी शिमला, धर्मशाला व उक्त मामले में सोलन के समीप ग्रामीण इलाके में अंधाधुंध निर्माण पर चिंता जताई है. हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार को सोलन में 6 किलोमीटर के दायरे में सड़क के किनारे बहुमंजिला इमारतें बनाने के मामले में कई आदेश दिए हैं.

ग्रामीण इलाकों में मनमर्जी से नहीं होगा काम: इन्हीं आदेशों पर राज्य सरकार को आगामी महीने में 27 तारीख को अदालत को जवाब देना है. इससे पहले राज्य सरकार टीसीपी नियमों का दायरा बढ़ाकर ग्रामीण इलाकों में पहाड़ियों को काटकर निर्माण को रेगुलेट कर सकती है. ऐसा होने पर ग्रामीण इलाकों में मनमर्जी से निर्माण नहीं हो सकेगा. हिमाचल के लिहाज से ये बड़ी बात होगी.

कैबिनेट बैठक में होगा फैसला: हिमाचल के शहर व कस्बाई इलाके टाउन एंड कंट्री प्लानिंग यानी टीसीपी एक्ट के दायरे में आते हैं. यहां कंस्ट्रक्शन से पहले अनुमतियां व नक्शे की औपचारिकताएं हैं. ग्रामीण इलाकों में कोई खास रोक नहीं है. इधर, हाईकोर्ट में टीसीपी एक्ट से बाहर के इलाके में सड़क के किनारे 6 किलोमीटर तक अंधाधुंध निर्माण का मामला सामने आने के बाद से अदालत सख्त है. इस मामले के आने के बाद अब हिमाचल में प्लानिंग और स्पेशल एरिया के बाहर निर्माण से संबंधित पाबंदियां लागू करने के बारे में कैबिनेट मीटिंग में फैसला होगा.

27 मार्च को अगली सुनवाई: हाईकोर्ट ने 13 जनवरी को कुसुम बाली वर्सिज स्टेट केस में पूरे प्रदेश में विकास गतिविधियों को रेगुलेटेड करने के लिए आदेश जारी किए हुए हैं. मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च को तय हुई और उसने पहले राज्य सरकार को हाईकोर्ट के इस फैसले पर निर्णय लेना है. हाईकोर्ट ने कहा है कि प्लानिंग एरिया से बाहर भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के निदेशक सभी जिलों के लिए ड्राफ्ट रीजनल प्लान बनाएंगे. इस प्लान में प्राकृतिक आपदा के प्रति संवेदनशील इलाके चिन्हित किए जाएंगे. इसे एक साल के भीतर पूरा करने के निर्देश हैं. खासकर उन इलाकों पर अधिक ध्यान देना होगा, जहां निर्माण गतिविधियों की संभावना है. टीसीपी निदेशक को अंतरिम डेवलपमेंट प्लान सभी क्षेत्रों के लिए बनाने होंगे. इस योजना में नो डेवलपमेंट जोन दिखाने होंगे.

एक साल में होगा सारा काम: पहले चरण में नो डेवलपमेंट जोन उन तीन जिलों में बनेंगे, जहां विकास की ज्यादा संभावना है. यह सारा काम भी एक साल के भीतर करना होगा. यहां बता दें कि एनजीटी ने शिमला के डेवलपमेंट प्लान को पहले ही रोक रखा है. हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार को एक पॉलिसी डॉक्यूमेंट जारी करना होगा, जिसमें निर्माण गतिविधियों के लिए पहाड़ों की कटाई को रोकना होगा, इसमें पर्यावरण विभाग और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को भी साथ लिया जाएगा.

पहाड़ियों का कटान नहीं होगा: हाईकोर्ट कह चुका है कि पूरे हिमाचल में तब तक पहाड़ियों का कटान नहीं होगा, जब तक कि डायरेक्टर टीसीपी इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी हासिल न कर लें.अदालत ने यह चेतावनी भी दी है कि इन आदेशों की अवहेलना की गई तो कोई भी कंस्ट्रक्शन ध्वस्त करने के लिए तुरंत आदेश होंगे. हर 2 महीने में कोर्ट को मामले से जुड़ी अपडेट देना होगी. इस तरह एक याचिका पूरे हिमाचल में अंधाधुंध निर्माण को रोकने का आधार बन गई है.

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