Himachal Teacher Transfer Policy: हिमाचल में शिक्षकों के तबादलों को लेकर बड़ा बदलाव, दूरदराज के स्कूलों में नहीं होगी टीचर्स की कमी
Himachal Teacher Transfer Policy: हिमाचल में शिक्षकों के तबादलों को लेकर बड़ा बदलाव, दूरदराज के स्कूलों में नहीं होगी टीचर्स की कमी
हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षक तबादला नीति में बड़ा बदलाब किया है. शिक्षा विभाग की नई अधिसूचना के अनुसार अब शिक्षकों का तबादला 30 किलोमीटर के दायरे में होगा, यानि की ट्रांसफर के लिए एक स्कूल से दूसरे स्कूल की दूरी 30 किलोमीटर होनी चाहिए. (Himachal Teacher Transfer Policy)
शिमला: हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के तबादले को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है. अब शिक्षकों का तबादला 30 किलोमीटर के दायरे में होगा. यानि की नई नीति के अनुसार अब ट्रांसफर के लिए एक स्कूल से दूसरे स्कूल की दूरी 30 किलोमीटर होनी चाहिए. इस नीति का सबसे ज्यादा फायदा उन दूरदराज और दुर्गम इलाकों के लिए होगा, जहां पर शिक्षक तबादला नहीं लेना चाहते हैं. ऐसे में दूरदराज के स्कूलों में शिक्षक नहीं होते थे, लेकिन अब इन स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी पूरी होगी. शिक्षा विभाग ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी है.
हिमाचल सरकार की तबादला नीति के अनुसार एक स्टेशन पर रहने की न्यूनतम अवधि 3 साल है. जिसके बाद उन्हें कहीं और ट्रांसफर किया जा सकता है. ऐसे में प्रभावशाली कर्मचारी, खासकर शहरों और कस्बों, अपने घरों के आस-पास के स्थानों में पोस्टिंग की कोशिश करते हैं. उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार नई नीति से स्कूलों और कॉलेजों में आने वाले ट्रांसफर के आवेदनों में भी कमी आएगी.
उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, तबादला नीति और सरकार के अस्पष्ट दिशानिर्देशों के कारण, कई कर्मचारी तीन साल का न्यूनतम कार्यकाल पूरा करने से पहले ही अपने किसी नजदीकी स्टेशन पर अपना ट्रांसफर करवा लेते हैं और कई सालों तक बस कुछ किलोमीटर के अंदर ही तैनात रहते हैं. जिसके चलते दूरदराज के स्कूलों में शिक्षकों के स्थान खाली रह जाते हैं. ज्यादातर शिक्षक अपने घरों के आस-पास और शहरों में तैनात होने के लिए तैयार रहते हैं.
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले पर गंभीर पूर्ण तरीके से विचार करके फैसला लिया गया है. जिसके तहत अगर कोई शिक्षक 30 किलोमीटर के दायरे में ही अपनी सेवाएं देते हैं तो उनके ठहरने को एक स्टेशन पर क्लब कर दिया जाएगा और इसे एक स्टेशन पर निरंतर सेवा के रूप में माना जाएगा. कर्मचारियों के ठहरने को सुविधाजनक स्टेशनों पर क्लब करने के सरकार के इस फैसले से शहरी शिक्षण संस्थानों में जरूरत से ज्यादा कर्मचारियों की संख्या पर रोक लगेगी और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के संस्थानों को फायदा होगा.
