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हिमाचल के एमपी नहीं खर्च पाए सांसद निधि, जनता को अभी तक नहीं मिला एक भी रुपये का लाभ

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Published : Feb 6, 2020, 7:54 PM IST

Updated : Feb 6, 2020, 8:45 PM IST

Himachal MP could not spend money of MP fund
Himachal MP could not spend money of MP fund

हिमाचल के चारों सांसद अभी तक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना फंड का एक भी रुपया खर्च नहीं हो पाए हैं. जिससे निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए सांसदों को मिलने वाले एमपी लैड यानी लोकल एरिया डवलपमेंट स्कीम फंड का जनता को लाभ नहीं मिल रहा है.

शिमला: हिमाचल के चार सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में अब तक एमपी लैड यानी संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना फंड का एक भी रुपया खर्च नहीं हो पाया है. हालांकि जिला अथॉरिटी के पास पैसा गया है, लेकिन अभी तक खर्च नहीं हुआ है.

राज्य के चार सांसदों को पहली किस्त के तौर पर दस करोड़ रुपए मिले हैं. ब्याज सहित यह रकम 10.19 करोड़ रुपये है. दिलचस्प बात है कि यह सारी रकम अनस्पैंट है यानी खर्च नहीं हुई है. इस तरह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए सांसदों को मिलने वाले एमपी लैड यानी लोकल एरिया डवलपमेंट स्कीम फंड का जनता को लाभ नहीं मिल रहा है.

नई लोकसभा का गठन हुए नौ महीने का समय होने जा रहा है, लेकिन सांसद निधि खर्च करने में किसी का ध्यान नहीं दिखाई दे रहा. यह सही है कि सांसद निधि जारी होने और जिला अथॉरिटी से उस पैसे को संबंधित विकास कार्य के लिए पहुंचाना एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन आठ महीने से भी अधिक समय से एक भी पैसा खर्च न होना सवालिया निशान तो छोड़ता ही है.

सांसद निधि के पैसे का ब्यौरा केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पास रहता है. फरवरी के पहले हफ्ते के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने हिमाचल के सभी चारों सांसदों को अढ़ाई करोड़ प्रति सांसद के हिसाब से 10 करोड़ रुपये जारी किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सांसद निधि का यह पैसा अभी जिला अथॉरिटी के पास अनस्पैंट है. हर सांसद को प्रति साल पांच करोड़ रुपये सांसद निधि जारी होती है. ऐसे में एक कार्यकाल में एक सांसद को 25 करोड़ रुपये अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए मिलते हैं.

यह बजट जिला प्रशासन के माध्यम से खर्च किया जाता है. सांसद निधि की दूसरी किश्त उसी समय जारी होती है, जब पहली किश्त में मिले बजट से हुए कार्यों का यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट और ऑडिट सर्टिफिकेट (एसी) केंद्र को भेजा जाएगा. मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2019-20 में हिमाचल के चार सांसदों को कुल मिलाकर 20 करोड़ रुपये की निधि मिलनी है.

शिमला से सुरेश कश्यप पहली बार सांसद बने हैं. कांगड़ा से किशन कपूर, मंडी से रामस्वरूप और हमीरपुर से अनुराग ठाकुर लोकसभा के लिए चुने गए हैं. चालू वित्त वर्ष के अब दो महीने से भी कम बचे है. सवाल यह है कि जो बजट बीते 8 महीनों में खर्च नहीं किया गया, वो दो महीने में कैसे खर्च हो पाएगा.

फिसड्डी हैं देश के अन्य राज्यों के सांसद भी
केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए सभी राज्यों के सांसदों को सांसद निधि के तहत 1200 करोड़ रुपए जारी किए हैं. ब्याज सहित यह रकम 1217.50 करोड़ रुपये बनती है. अभी तक सांसद 20.82 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाए हैं. रिपोर्ट बताती है कि कुल 1217.50 करोड़ रुपये में से 1193 करोड़ रुपये अनस्पेंट है.

केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश कर दिया है, लेकिन पहले बजट में सांसदों को मिली अढ़ाई-अढ़ाई करोड़ की पहली किश्त ही खर्च नहीं हुई है. आंकड़ो के अनुसार मध्य प्रदेश ने सांसद निधि से मिले 75 करोड़ में से सबसे ज्यादा 10.11 करोड़ रुपये खर्च हो पाए हैं.

इसी तरह बिहार में 77.50 करोड़ में 2.24 करोड़, चंडीगढ़ में 30 करोड़ में से 4.53 करोड़, हरियाणा में 22.50 करोड़ में से 1.35 करोड़, झारखंड में 25 करोड़ में से 0.05 करोड़, पंजाब में 32 करोड़ में से 1.42 करोड़ और तेलंगाना में 42.50 करोड़ में से 1.12 करोड़ रुपये सांसद निधि के तौर पर खर्च हुए हैं.

ये भी पढ़ें: दिनदहाड़े चोरी की वारदात, नकदी समेत लाखों के गहने उड़े चोर

हिमाचल के एमपी नहीं खर्च पाए सांसद निधि का पैसा, जनता को अभी तक नहीं मिला एक भी रुपये का लाभ
शिमला। हिमाचल के चार सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में अब तक एमपी लैड यानी संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना फंड का एक भी रुपया खर्च नहीं हो पाया है। हालांकि जिला अथॉरिटी के पास पैसा गया है, लेकिन अभी तक खर्च नहीं हुआ है। राज्य के चार सांसदों को पहली किस्त के तौर पर दस करोड़ रुपए मिले हैं। ब्याज सहित ये रकम 10.19 करोड़ रुपए है। दिलचस्प बात है कि ये सारी रकम अनस्पैंट है यानी खर्च नहीं हुई है। इस तरह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए सांसदों को मिलने वाले एमपी लैड यानी लोकल एरिया डवलपमेंट स्कीम फंड का जनता को लाभ नहीं मिल रहा है। नई लोकसभा का गठन हुए नौ महीने का समय होने जा रहा है, परंतु सांसद निधि खर्च करने में किसी का ध्यान नहीं दिखाई दे रहा। ये सही है कि सांसद निधि जारी होने और जिला अथॉरिटी से उस पैसे को संबंधित विकास कार्य के लिए पहुंचाना एक लंबी प्रक्रिया है, किंतु आठ महीने से भी अधिक समय से एक भी पैसा खर्च न होना सवालिया निशान तो छोड़ता ही है।
सांसद निधि के पैसे का ब्यौरा केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पास रहता है। फरवरी के पहले हफ्ते के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने हिमाचल के सभी चारों सांसदों को अढ़ाई करोड़ प्रति सांसद के हिसाब से 10 करोड़ रुपए जारी किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सांसद निधि का यह पैसा अभी जिला अथॉरिटी के पास अनस्पैंट है। हर सांसद को प्रति साल पांच करोड़ रुपए सांसद निधि जारी होती है। ऐसे में एक कार्यकाल में एक सांसद को 25 करोड़ रुपए अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए मिलते हैं। यह बजट जिला प्रशासन के माध्यम से  खर्च किया जाता है। सांसद निधि की दूसरी किश्त उसी समय जारी होती है, जब पहली किश्त में मिले बजट से हुए कार्यों का यूसी यानी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट और ऑडिट सर्टिफिकेट (एसी) केंद्र को भेजा जाएगा। मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2019-20  में हिमाचल के चार सांसदों को कुल मिलाकर 20 करोड़ रुपए की निधि मिलनी है। शिमला से सुरेश कश्यप पहली बार सांसद बने हैं। कांगड़ा से किशन कपूर, मंडी से रामस्वरूप व हमीरपुर से अनुराग ठाकुर लोकसभा के लिए चुने गए हैं। चालू वित्त वर्ष के अब दो महीने से भी कम बचे है। सवाल ये है कि जो बजट बीते 8 महीनों में खर्च नहीं किया गया, वो दो महीने में कैसे खर्च हो पाएगा?
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फिसड्डी हैं देश के अन्य राज्यों के सांसद भी
केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए सभी राज्यों के सांसदों को सांसद निधि के तहत 1200 करोड़ रुपए जारी किए हैं। ब्याज सहित ये रकम 1217.50 करोड़ रुपए बनती है। अभी तक सांसद 20.82 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाए हैं। रिपोर्ट बताती है कि कुल 1217.50 करोड़ रुपए में से 1193 करोड़ रुपए अनस्पेंट है। केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश कर दिया है, परंतु पहले बजट में सांसदों को मिली अढ़ाई-अढ़ाई करोड़ की पहली किश्त ही खर्च नहीं हुई है। आंकड़ो के अनुसार मध्य प्रदेश ने सांसद निधि से मिले 75 करोड़ में से सबसे ज्यादा 10.11 करोड़ रुपए खर्च हो पाए हैं। इसी तरह बिहार में 77.50 करोड़ में 2.24 करोड़, चंडीगढ़ में 30 करोड़ में से 4.53 करोड़, हरियाणा में 22.50 करोड़ में से 1.35 करोड़, झारखंड में 25 करोड़ में से 0.05 करोड़, पंजाब में 32 करोड़ में से 1.42 करोड़ तथा तेलंगाना में 42.50 करोड़ में से 1.12 करोड़ रुपए सांसद निधि के तौर पर खर्च हुए हैं। 
Last Updated :Feb 6, 2020, 8:45 PM IST
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