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Himachal Pradesh High Court: चंडीगढ़-शिमला व चंडीगढ़-मनाली एनएच निर्माण में इंजीनियरिंग की खामियों पर हाई कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल को नोटिस

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Published : Aug 2, 2023, 10:05 PM IST

Updated : Aug 2, 2023, 10:12 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में नेशनल हाईवे निर्माण में इंजीनियरिंग की खामियों को लेकर मामले में अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने चंडीगढ़-शिमला व चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे को हुए नुकसान की रिपोर्ट भी तलब की है. पढ़ें पूरी खबर... (Himachal Pradesh High Court).

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में नेशनल हाईवे निर्माण में इंजीनियरिंग की खामियों को लेकर सख्ती दिखाई है. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल को इस मामले में नोटिस जारी किया है. इस संदर्भ में अदालत में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने चंडीगढ़-शिमला व चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे को हुए नुकसान की रिपोर्ट भी तलब की है.

खंडपीठ ने अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की है. हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि इस बार मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण जगह-जगह भूस्खलन से नेशनल हाईवेज को बहुत नुकसान हुआ है. खासकर उपरोक्त दो नेशनल हाईवे अधिक प्रभावित हुए हैं. यहां भूमि कटाव से मार्ग बाधित हो रहे हैं. इस कारण सामान्य जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है. समस्या की गंभीरता और इंटेसिटी को देखते हुए हाईकोर्ट ने अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है.

साढ़े चार दशक के अनुभव वाले इंजीनियर ने दाखिल की है याचिका: इंजीनियरिंग के क्षेत्र में साढ़े चार दशक का अनुभव रखने वाले श्यामकांत धर्माधिकारी ने शिकायत की है कि नेशनल हाईवे के निर्माण में खामियां हैं. धर्माधिकारी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी करने के साथ ही नुकसान की रिपोर्ट भी मांगी है. हाई कोर्ट को लिखे पत्र में धर्माधिकारी ने आरोप लगाया है कि पहाड़ों की अवैज्ञानिक कटिंग पर्यावरण बिगड़ा है.

हाई कोर्ट ने इसी शिकायती पत्र को जनहित याचिका माना. धर्माधिकारी ने पत्र में लिखा है कि इंजीनियरिंग अनुभव की कमी के परिणामस्वरूप नेशनल हाइवे के लिए बनाई गई भूमिगत सुरंगें, सडक़ें और पुलों से पहाड़ों की अनियोजित कटाई की जा रही है. सडक़ों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना ही ऐसे नुकसान का कारण बनता है. अदालत को बताया गया कि इंजीनियरिंग के बिना एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण की उम्मीद नहीं की जा सकती है. मौजूदा समय में विकास परियोजनाओं में इंजीनियरिंग और वास्तुकला की सख्त जरूरत है, लेकिन इंजीनियरिंग और वास्तुकला में जरा सी भी खामी से हजारों अनमोल जीवन खत्म हो सकते हैं. हाईकोर्ट ने इन दलीलों पर विचार करने के बाद अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई 21 अगस्त को तय कर दी.

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Last Updated : Aug 2, 2023, 10:12 PM IST
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