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Himachal High Court: हाईकोर्ट का अहम आदेश, हिमाचल में नदियों, नालों और झरनों में कूड़े-कचरे की डंपिंग पर तत्काल प्रभाव से लगाई रोक

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 13, 2023, 9:22 PM IST

हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य की नदियों, नालों और झरना को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया है. कोर्ट ने प्रदेश की नदियों और नालों में कूड़ा डंपिंग करने पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए हैं. (Himachal High Court) (Himachal High Court bans garbage dumping in rivers)

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शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में नदियों, नालों और झरनों में कूड़े-कचरे की डंपिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. अदालत ने प्रदेश के सभी पांच नगर निगमों, नगर परिषदों व अन्य निकायों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश की अनुपालना की जिम्मेदारी दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश जारी किए हैं. खंडपीठ ने इस संदर्भ में विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए.

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सोलन जिला के बद्दी इंडस्ट्रियल एरिया के केंदड़ूवाल ठोस कचरा निष्पादन संयंत्र की स्थापना को लेकर पूर्व निर्धारित 36 शर्तों की अनुपालना जरूरी है, लेकिन अभी तक इनमें से एक भी शर्त की अनुपालना नहीं की गई है. इस पर खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एनवायरनमेंट इंजीनियर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की प्रतिनिधि वैज्ञानिक विशेषकर डॉक्टर भावना सिंह के साथ मिलकर उक्त संयंत्र के निरीक्षण का आदेश दिया. ये निरीक्षण 19 अक्टूबर को किया जाएगा. साथ ही अदालत ने ये आदेश भी दिए कि जरूरत पड़ने पर फिर निरीक्षण किया जाए और इसकी स्टेट्स रिपोर्ट सौंपी जाए.

गीले व सूखे कचरे को अलग किया जाए: उल्लेखनीय है कि हिमाचल में पर्यावरण संरक्षण के लिए हाईकोर्ट के समक्ष विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन याचिकाओं की सुनवाई में अदालत ने पूर्व में दिए गए आदेशों की अक्षरश: अनुपालना के लिए कहा है. पूर्व में जारी आदेश में कस्बों में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने के लिए कहा गया है. अदालत ने हफ्ते में कम से कम तीन बार कचरा इकट्ठा करने के लिए निकायों को आदेश दिए हैं. अदालत ने सभी संबंधित अफसरों व कर्मियों को आदेश दिए हैं कि वे ठोस और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्र करें. इसके बाद कचरे ढोने वाले वाहनों से कूड़े को अलग-अलग ठिकानों पर पहुंचाया जाए.

कोर्ट ने सभी नगर पालिका अधिकारियों को आदेश का पालन करने के लिए अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया है. अदालती आदेश की अनुपालना की जिम्मेदारी संबंधित कमिश्नर्स, नगर निगमों के सचिवों, नगर पालिका परिषदों के कार्यपालक अधिकारियों एवं नगर पंचायतों के सचिवों की रहेगी. इन अधिकारियों को अदालत के आदेशों को लागू करने के संबंध में अपना निजी शपथ पत्र भी दाखिल करने के लिए कहा गया है. अगली सुनवाई में ये शपथ पत्र दाखिल करना होगा.

मामले में अदालत को बताया गया था कि नगर निगमों ने कूड़े कचरे की समस्या की शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी किए हुए हैं. इस पर अदालत ने नगर निगम को मीडिया में विज्ञापन के जरिए टोल फ्री नंबर 98052-01916 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के आदेश भी दिए थे. कोर्ट ने पाया था कि प्रदेश में कूड़ा निस्तारण साइट्स को एफसीए अप्रूवल का इंतजार है. इसलिए कोर्ट ने क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय पर्यावरण वन संरक्षण मंत्रालय को प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया.

हाईकोर्ट ने देश के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को हिमाचल में बिलासपुर, घुमारवीं, चुवाड़ी, बंजार, चौपाल, नेरवा, रोहडू, ठियोग, आनी, शाहपुर, चिडग़ांव और ऊना के अंब में कूड़ा निस्तारित संयंत्र स्थापित करने के लिए चयनित स्थानों से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार की ओर से विशेष हिदायत पेश करने के आदेश भी दिए थे. सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी बताया गया कि पालमपुर में 5 टन प्रतिदिन बायोमिथेनेशन संयंत्र स्थापित करने की योजना है. इस पर अदालत ने पालमपुर नगर निगम से इस संयत्र से जुड़ी स्टेट्स रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. इस मामले पर हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है.

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