ETV Bharat / state

Himachal High Court: एनएचएआई पर आरोप, फोरलेन निर्माण में गलतियों से हुई हिमाचल में तबाही, 25 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब देंगे अटॉर्नी जनरल

author img

By

Published : Aug 22, 2023, 7:23 AM IST

हिमाचल में आई आपदा का कारण फोरलेन निर्माण में इंजीनियरिंग की गलतियों को एक बड़ा कारण माना जा रहा है. मामले से जुड़ी एक याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मामले में अटॉर्नी जनरल को अपना पक्ष रखने के लिए 25 अगस्त तक का समय दिया है. (Himachal High Court) (Allegations on NHAI) (Devastation in Himachal).

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

शिमला: हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में आई तबाही का कारण फोरलेन निर्माण में इंजीनियरिंग की गलतियों को माना जा रहा है. इस आशय के आरोप से जुड़ी याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है. हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल का पक्ष जानने के आदेश दिए थे. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल वर्चुअल माध्यम से पेश हुए. उन्होंने हिमाचल हाईकोर्ट से शुक्रवार तक का समय मांगा.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस गंभीर मामले में हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने और पैरवी करने को लेकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. अटॉर्नी जनरल के आग्रह पर हाईकोर्ट ने उन्हें शुक्रवार को पेश होने के लिए कहा. मामले पर सुनवाई 25 अगस्त को होगी. खुद अटॉर्नी जनरल ने 25 अगस्त तक सुनवाई टालने का आग्रह किया था. मामले की सुनवाई हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल कर रहे हैं.

खंडपीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में भारी बारिश के कारण नेशनल हाईवेज में बहुत नुकसान हुआ है और उन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. भूस्खलन के कारण शिमला-चंडीगढ़ व चंडीगढ़-मनाली हाईवे प्रभावित हैं. इससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस समस्या की भयावहता को ध्यान में रखते हुए अटॉर्नी जनरल का पक्ष जानना जरूरी है. उल्लेखनीय है कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में साढ़े चार दशक का अनुभव वाले इंजीनियर श्यामकांत धर्माधिकारी ने नेशनल हाईवे की कटिंग आदि में इंजीनियरिंग की गलतियों का आरोप लगाया है.

उन्होंने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे शिकायती पत्र में कहा कि पहाड़ों के कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. हिमाचल में त्रुटिपूर्ण इंजीनियरिंग से बनाई जा रही भूमिगत सुरंगें, सडक़ों और पुलों के कारण पहाड़ों का अनप्लांड और अनसाइंटिफिक खनन हुआ है. सड़कों में ढलान के अलावा अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण करना नुकसान का कारण बनता है. अदालत को बताया गया कि बेशक इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती है, लेकिन इस जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला को प्राथमिकता देने की सख्त जरूरत है. यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी त्रुटि पाई जाती है तो अनेक बेकसूर लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है.

तकनीक की कमी और पुराने तरीकों उपयोग के कारण सड़क की रिटेनिंग दीवारें कमजोर हो रही हैं. जल निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है. चिंता का विषय है कि सड़क के दोनों तरफ तीन मीटर तक जमीन अतिरिक्त रूप से अधिग्रहीत की गई है, जबकि शहरों और ग्रामीण इलाकों में सर्विस लेन नहीं है. इससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा रहता है. पत्र में आरोप लगाया गया है कि वनों के अंधाधुंध काटे जाने से पहाड़ में मिट्टी का कटाव हुआ है. यही कारण है कि हिमाचल में लगातार भूस्खलन हो रहा है.

हाईकोर्ट ने इस शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल का पक्ष जानने के आदेश दिए थे. अब मामले पर 25 अगस्त को सुनवाई होगी. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में इस साल मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण आठ हजार करोड़ रुपए से अधिक की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है. नेशनल हाईवे निरंतर भूस्खलन के कारण बाधित हैं. भूस्खलन से अनेक लोगों की जान गई है और कई दुर्घटनाएं हुई हैं. इस बार के नुकसान को देखते हुए जनता व एक्सपर्ट हाईवे निर्माण में खामियों पर सवाल उठा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Himachal High Court: 10 साल पहले चरस तस्करी मामले में निचली अदालत ने सुनाई थी 9 साल की कठोर कारावास की सजा, हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.