शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र हॉट सीट मानी जाती है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने पहले चुनाव लड़ा और फिर अब उनके बेटे इस क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं. विक्रमादित्य सिंह 2017 में पहली बार यहां से विधानसभा के लिए चुने गए. अब वह दूसरी बार चुनावी मैदान में है. इस तरह अब कांग्रेस यहां से हैट्रिक लगाना चाह रही है. यह देखने वाली बात होगी कि क्या भाजपा के रवि मैहता कांग्रेस की इस हैट्रिक को रोक पाएंगे. (Shimla Rural Assembly constituency) (Shimla Rural Seat) (Himachal Assembly Election 2022)
डिलिमिटेशन के बाद अस्तित्व में आया है शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र: शिमला शहर के साथ लगता ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र 2007 के बाद किए गए डिलिमिटेशन से आस्तिव में आया है. इसमें पूर्व कुमारसैन विधानसभा क्षेत्र के सुन्नी क्षेत्र और कुछ कसुम्पटी हल्के के क्षेत्रों को लिया गया. डिलिमिटेशन के बाद यहां दो बार चुनाव हुए और दोनों बार ही यहां पर कांग्रेस विजयी रही है. साल 2012 में पूर्व स्व. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और वह यहां से जीते. इसके बाद 2017 में स्व. वीरभद्र सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए यह सीट खाली करवाई और खुद अर्की से चुनाव जीता. 2017 में यहां से विक्रमादित्य सिंह विधायक बने हैं. अब वह दूसरी बार चुनावी समर में है और कांग्रेस उनकी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वास्त है. (Shimla Rural Assembly constituency)
अबकी बार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में रहा 73.47 फीसदी मतदान: शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार मतदान का प्रतिशतता 73.47 रहा. इस क्षेत्र के कुल 77773 मतदाताओं में से 57142 मतदाताओं ने मतदान किया, जिनमें 28992 पुरुष और 28150 महिला मतदाता शामिल है. पिछली बार भी तकरीबन इतना ही मतदान इस क्षेत्र में रहा. 2017 में यहां पर कुल 71915 मतदाताओं में से 53083 ने मतदान किया, तब विक्रमादित्य सिंह 53.81 फीसदी मत के साथ विजयी रहे. भाजपा के डा. प्रमोद शर्मा ने 44.07 फीसदी मत लिए. निर्दलीय एमडी शर्मा ने 1.26 फीसदी मत जबकि एक अन्य निर्दलीय ने एक फीसदी से भी कम मत लिए.
अबकी बार चुनावी मैदान में हैं छह उम्मीदवार: शिमला जिले के ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार छह प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. इनमें कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह, भाजपा के रवि मेहता, आम आदमी पार्टी के प्रेम कुमार, बीएसपी से बलविंदर सिंह, आरडीपी से पूर्ण दत्त और एक निर्दलीय प्रवीण कुमार भी चुनावी दंगल में है. हालांकि कहने को तो यहां से छह उम्मीदवार हैं, लेकिन असली मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही देखा जा रहा है. इस सीट से कांग्रेस से विक्रमादित्य सिंह और भाजपा से रवि मेहता के बीच ही मुकाबला है.
स्व. वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह हैं जीत के प्रबल दावेदार: कांग्रेस पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव अपने पुराने चेहरे और वर्तमान विधायक विक्रमादित्य सिंह को चुनावी दंगल में उतारा है. विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस के दिग्गज और छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के बेटे हैं. विक्रमादित्य सिंह वर्तमान में हिमाचल कांग्रेस के महासचिव हैं. वह युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
![Himachal Assembly Election 2022](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-sml-04-shimla-gramin-ac_18112022172857_1811f_1668772737_7.jpg)
संगठन में रह चुके हैं रवि मेहता: भाजपा ने इस बार शिमला ग्रामीण सीट से रवि मेहता को मैदान में उतारा है. रवि मेहता संगठन काफी सक्रिय रहे हैं. वह भाजपा के शिमला जिला के अध्यक्ष भी रहे. वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. रवि मैहता जयराम सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को लेकर जनता के बीच गए हैं. वह अबकी बार जीतने का दावा कर रहे हैं.
![Himachal Assembly Election 2022](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-sml-04-shimla-gramin-ac_18112022172857_1811f_1668772737_531.jpg)
विक्रमादित्य सिंह के पास कितनी संपत्ति? वर्तमान विधायक विक्रमादित्य सिंह के पास 1,01,39,61,033 (101 करोड़) की चल-अचल संपत्ति है. हिमाचल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है.
रवि मेहता के पास कितनी संपत्ति? भाजपा के प्रत्याशी रवि मेहता ने हल्फनामे में अपनी चल और अचल संपत्ति 2.30 करोड़ दिखाई है. इसमें इनके परिवार की 17 लाख की चल और 2.13 करोड़ की अचल संपत्ति है.
स्व.वीरभद्र सिंह ने इस इलाके में बनाया व्यापक जनाधार: पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने 2012 में यहां से चुनाव लड़ा था और वह एक तरफा लीड ले गए. 2012 में यहां पर कुल 68326 मतदाताओं से 40423 ने मतदान किया था जो कि 59.16 फीसदी रहा. तब यहां से स्व. वीरभद्र सिंह 71.47 फीसदी मत ले गए थे, जबकि भाजपा के ईश्वर रोहाल को मात्र 22.90 फीसदी मत ही मिले थे. बाकी अन्य तीन फीसदी से कम ही मत ले पाए थे.
स्व. वीरभद्र सिंह ने मुख्यमंत्री इस पूरे इलाके में बड़े स्तर पर कासात्मक कार्य किए, जिसको सभी जानते हैं. हालांकि 2017 के चुनावों में वीरभद्र सिंह खुद अर्की चले गए और यहां से अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में उतारा और वह चुनाव भी जीते. वीरभद्र की विरासत को देखते हुए विक्रमादित्य सिंह ने इस क्षेत्र में अपना एक मजबूत आधार बना लिया है. विक्रमादित्य सिंह का दावा है कि विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने इस इलाके में काफी विकासात्मक कार्य किए. हालांकि इन कार्यों का कितना फायदा उनको मिलता है. यह तो आने वाले 8 दिसंबर को पता चल पाएगा जब चुनावी नतीजे आएंगे.
ग्रामीण क्षेत्र में विकास के कार्य ही रहे मुद्दे: शिमला ग्रामीण क्षेत्र में विकासात्मक कार्य ही बड़े मुद्दे रहे. कांग्रेस की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ही यहां करीब पंद्रह सौ करोड़ के विकासात्मक कार्य किए गए. इसके अलावा मौजूदा समय में भी कई कार्य यहां पर हुए हैं. विपक्ष ने भी विकासात्मक कार्यों को लेकर ही यहां वोट मांगे. विपक्ष मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्र की मोदी सरकार के नाम पर यहां वोट मांगते रहे.
भाजपा ने इस चुनाव में उतारे स्टार प्रचारक: भाजपा ने इस चुनाव में बड़े स्टार प्रचारक प्रचार के लिए उतारे. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सुन्नी में एक विशाल जनसभा कर रवि मैहता के लिए वोट मांगे. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जलोग में एक रैली कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की. इसके अलावा भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन ने भी इस इलाके में एक जनसभा कर भाजपा प्रत्याशी के लिए प्रचार किया. ऐसे में अब यह देखना है कि भाजपा के स्टार प्रचारक पार्टी क्या कांग्रेस को हैट्रिक लगाने से रोक पाएंगे.
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