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पुलिस कांस्टेबल ने की थी मारपीट, मामला दबाने के आरोप पर हाईकोर्ट ने गृह सचिव व SP मंडी से मांगा स्पष्टीकरण

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Published : Dec 6, 2022, 8:04 AM IST

मंडी के रत्ती इलाके में एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा एक महिला से दुर्व्यवहार व उसके पति से मारपीट के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य के गृह सचिव व एसपी मंडी से स्पष्टीकरण मांगा है. (High court sought clarification from SP Mandi)

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शिमला: जिला मंडी के रत्ती इलाके में एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा एक महिला से दुर्व्यवहार व उसके पति से मारपीट के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य के गृह सचिव व एसपी मंडी से स्पष्टीकरण मांगा है. अदालत ने रत्ती पुलिस स्टेशन के एसएचओ से भी इसी मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा है. (High court sought clarification)

दरअसल, हाईकोर्ट में रत्ती के रहने वाले दंपत्ति स्वर्णा अख्तर व उसके पति मोहम्मद यूसुफ ने याचिका दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्पष्टीकरण मांगा है. अदालत ने आठ दिसंबर को सभी से स्पष्टीकरण मांगा है याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार स्वर्णा अख्तर व उसके पति ने आरोप लगाया गया है कि 12 अगस्त 2022 को रात का भोजन करने के बाद वो सोने के लिए जा रहे थे तो उन्होंने अपने किराएदार के कमरे से शोर सुना. (High court sought clarification from SP Mandi)

वहां देखा तो प्रतिवादी पुलिस कांस्टेबल पवन कुमार जो उनकी साथ वाली बिल्डिंग में किराए पर रहता है, वह उनके किराएदार को पीट रहा था. जब स्वर्णा अख्तर ने आपत्ति जताई तो प्रतिवादी ने उसके प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया. यही नहीं, पवन कुमार ने धक्का देते हुए स्वर्णा अख्तर के साथ दुर्व्यवहार भी किया. इतने में प्रार्थी स्वर्णा अख्तर का पति मोहम्मद यूसुफ भी वहां आ गया. गुस्से में पवन ने मोहम्मद यूसुफ के मुंह पर मुक्का मारा जिससे उसके दांत टूट गए.

आसपास के लोग जब सहायता के लिए आए तो पवन कुमार वहां से चला गया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रार्थियों की ओर से पुलिस स्टेशन रत्ती में पवन कुमार के खिलाफ शिकायत की गयी मगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया. उल्टा यह कहा कि वे मुसलमान हैं और उस क्षेत्र के आतंकवादी हैं. (Home Secretary and SP Mandi)

उल्टे प्रार्थियों व उनके परिवार के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. वहीं, पुलिस ने पवन कुमार के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. प्रार्थियों की ओर से शिकायत पेश की गई थी, उसको भी पुलिस ने फाड़ दिया. प्रार्थियों की ओर से 23 सितंबर 2022 को ऑनलाइन कंप्लेंट की गई, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने प्रार्थियों को पुलिस स्टेशन में बुलाया गया और यह दबाव बनाया कि जो शिकायत दर्ज करवाई है उसे वापस ले लिया जाए. प्रार्थियों को धमकाया गया कि अगर वे शिकायत वापस नहीं लेते तो उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कर दी जाएगी. प्रार्थियों को मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते हुए 8 दिसंबर को सुनवाई तय की है.

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