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एचपीयू के वीसी सिकंदर कुमार की नियुक्ति को चुनौती, हाईकोर्ट में 30 जुलाई को होगी अंतिम सुनवाई

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Published : Jul 8, 2021, 9:55 PM IST

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ सिकंदर कुमार (Vice Chancellor Dr Sikander Kumar) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम सुनवाई (Final Hearing) 30 जुलाई को हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) में होगी. प्रार्थी ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को आदेश दिए जाए कि वह एचपीयू के वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए अपनी योग्यता अदालत को बताए और यदि उसकी योग्यता यूजीसी के रेगुलेशन के विपरीत पाई जाती है तो उस स्थिति में उसकी नियुक्ति रद्द की जाए.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ सिकंदर कुमार (Vice Chancellor Dr Sikander Kumar) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम सुनवाई 30 जुलाई को हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) में होगी. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर के समक्ष वीरवार को मामले पर लंबी बहस हुई लेकिन सभी पक्षकारों की ओर से बहस पूरी न होने के कारण अब आगामी अंतिम सुनवाई 30 जुलाई को होगी.

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के चांसलर की ओर से इस मामले में जवाब दायर के अनुसार वीसी की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी इस बात से अनभिज्ञ थी कि प्रोफेसर सिकंदर कुमार कॉस्ट ऑफ कल्टीवेशन स्कीम (Cost of Cultivation Scheme) में निदेशक पद पर भी रहे. सर्च कमेटी को दिए फॉर्म में इसका उल्लेख नहीं किया गया था.

प्रोफेसर सिकंदर ने अपने आवेदन में नोशनल एवं वास्तविक पदोन्नति के बारे में भी विशेष रूप से नहीं लिखा था. जिसके कारण ये तथ्य सर्च कमेटी के ज्ञान में नहीं था. विश्विद्यालय ही प्रोफेसर सिकंदर के शैक्षणिक योग्यता व अनुभव के बारे में अच्छे से बता सकता है.

प्रार्थी धर्मपाल ने याचिका में आरोप लगाया गया है कि वाइस चांसलर (Vice Chancellor) की नियुक्ति नियमों के विरुद्ध की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि प्रतिवादी वाइस चांसलर को यूजीसी द्वारा जारी रेगुलेशन के तहत 19 मार्च 2011 को प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया था.

29 अगस्त 2017 को हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (Himachal Pradesh University) के वाइस चांसलर के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए. प्रतिवादी ने चयन कमेटी (Selection Committee) को गुमराह करते हुए अपने आवेदन में अनुभव के बारे में गलत तथ्य दिए. प्रार्थी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को आदेश दिए जाए कि वह एचपीयू के वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए अपनी योग्यता अदालत को बताए और यदि उसकी योग्यता यूजीसी के रेगुलेशन के विपरीत पाई जाती है तो उस स्थिति में उसकी नियुक्ति रद्द की जाए.

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