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Himalayas Policy Campaign: शिमला डेवलप प्लान-2041 के विरोध में उतरे पर्यावरण संरक्षण समूह, हिमाचल आपदा का दिया हवाला

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 30, 2023, 7:25 AM IST

Shimla Development Plan 2041
शिमला डेवलप प्लान-2041

हिमालय नीति अभियान के तहत विभिन्न पर्यावरण संरक्षण समूह आगे आए और हिमाचल में बिना किसी प्लानिंग के अंधाधुंध निर्माण का विरोध जताया. इन पर्यावरण संरक्षण समूहों ने हिमाचल सरकार से शिमला विकास योजना-2041 को भी तुरंत प्रभाव से वापस लेने का आग्रह किया है. (Himalaya Policy Campaign) (Shimla Development Plan 2041)

शिमला: हिमालय नीति अभियान के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण समूहों ने हिमाचल सरकार से शिमला विकास योजना-2041 को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ हिमालय नीति अभियान ने हिमाचल हाइकोर्ट में एक याचिका भी दायर की, जिसमें हरित और मुख्य क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

विजन 2041 में प्रतिबंधित जगहों पर निर्माण: फरवरी 2022 में पूर्व सरकार द्वारा अप्रूव्ड शिमला विकास योजना पर एनजीटी ने रोक लगा दी थी और योजना को अवैध करार दिया था. ये शिमला में बेतरतीब निर्माण को विनियमित करने के लिए 2017 में पारित पहले के आदेशों के खिलाफ था. योजना 'विजन 2041' लागू होने पर 17 ग्रीन बेल्ट में कुछ प्रतिबंधों के साथ निर्माण होगा, जिन मुख्य क्षेत्रों में एनजीटी द्वारा निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें भी निर्माण किया जाएगा.

Shimla Development Plan 2041
शिमला

राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह: हिमाचल में पर्यावरण कार्यकर्ताओं, जन आंदोलनों और नागरिक समाजों के समूह एचएनए के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की और उन्हें मानसून के दौरान जान-माल के भारी नुकसान और उनके कारणों के बारे में जानकारी दी. एचएनए संयोजक घुमन सिंह ने केंद्र सरकार से हिमाचल आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि नुकसान इतना बड़ा है कि राज्य सरकार इसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर सकती है.

Shimla Development Plan 2041
शिमला डेवलप प्लान

मानव निर्मित आपदा! घुमन सिंह ने आपदा को 'मानव निर्मित आपदा' ठहराया. इसके लिए उन्होंने फोरलेन प्रोजेक्ट्स, जलविद्युत परियोजनाओं और ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में असुरक्षित और अनियमित निर्माण, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. प्रतिनिधिमंडल ने पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने और नीतियों के निर्माण में सभी की भागीदारी पर विशेष बल दिया.

भूकंप के खतरनाक जोन में हिमाचल: एचएनए प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि हिमाचल भूकंप के प्रति संवेदनशील क्षेत्र है. हिमाचल भूकंप के जोन 4 और 5 के अंतर्गत आता है. मगर बावजूद इन सबके, मिट्टी की स्थिरता और ताकत सर्वेक्षण के बिना ही शहरी क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण किया जा रहा है. जो रिजल्ट आपदा के रूप में निकल कर आ रहा है. एचएनए सदस्यों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेंगे और उन्हें आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाले संगठनों द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों पर रिपोर्ट देंगे.

Shimla Development Plan 2041
शिमला में अंधाधुंध निर्माण

हिमाचल आपदा का कहर: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान हुआ है. हालांकि विभिन्न संगठनों का मानना है कि ये प्राकृतिक नहीं अपितु मानव निर्मित आपदा है. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से 28 सितंबर तक भारी बारिश के कारण 293 लोगों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया था.

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