मंडी: डॉक्टर को धरती का भगवान कहते हैं. ये बात अमूमन डॉक्टर के पेशे के लिए कही जाती है और कई मौकों पर देश-दुनिया के डॉक्टर इसे सही भी साबित करते हैं. इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है हिमाचल प्रदेश के एक डॉक्टर ने, जो खुद मरीज बनकर बिस्तर पर लेटे थे लेकिन उन्होंने इसी हालत में अपने डॉक्टर होने का फर्ज निभाया.
डॉक्टर ने खुद के ऑपरेशन के बाद किया मरीज का इलाज
मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी का है. जहां डॉ. दुष्यंत ठाकुर जोनल अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं. दरअसल पैर में लगी एक चोट के बाद बीते शनिवार को जोनल अस्पताल में ही उनका ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन सफल रहा और उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया. लेकिन ऑपरेशन के बाद मरीज की तरह बेड पर लेटे-लेटे ही उन्होंने अपने डॉक्टर होने का फर्ज अदा किया और एक मरीज का इलाज किया.
64 साल के नारायण सिंह को सांस की बीमारी है. वो पहले भी जोनल अस्पताल मंडी में अपना इलाज करवा चुके हैं. जिसके बाद परिजनों ने उनका इलाज हिमाचल से लेकर पंजाब के अस्पतालों में करवाया था. परिजनों के मुताबिक शनिवार को मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में हालत बिगड़ने के बाद नारायण सिंह ने डॉक्टर दुष्यंत के पास ले जाने की जिद की थी. जिसके बाद परिजन नारायण सिंह को नेरचौक मेडिकल कॉलेज से निकालकर जोनल अस्पताल मंडी पहुंचे. जहां डॉक्टर दुष्यंत ठाकुर का कुछ देर पहले ही ऑपरेशन हुआ था.
डॉक्टर ने बिस्तर पर लेटे हुए की मरीज की जांच
जोनल अस्पताल मंडी में कार्यरत MBBS डॉ. दुष्यंत ठाकुर के पांव का शनिवार को ऑपरेशन हुआ था. दुष्यंत ठाकुर ने बताया कि "दोपहर करीब 12 बजे मुझे ऑपरेशन थियेटर से बाहर लाया गया. दोपहर करीब 2 बजे मुझे धर्मपुर निवासी 64 वर्षीय नारायण सिंह के परिजनों का फोन आता है. परिजन बताते हैं कि नारायण सिंह की हालत गंभीर बनी हुई है और वह उनसे ही उपचार करवाने की जिद कर रहे हैं. जिसके बाद मैंने उन्हें बुला लिया.
MBBS डॉ. दुष्यंत ने बताया "उस वक्त मैं खुद के पांव के ऑपरेशन के बाद वार्ड में शिफ्ट हुआ था. परिजनों का फोन आते ही पहले मुझे लगा कि मैं इस हालत में मरीज की जांच कैसे करूंगा लेकिन बतौर डॉक्टर मेरा पहला कर्तव्य यही है कि मरीज को उपचार दूं इसलिए मैंने मरीज को यहां आने के लिए बोल दिया. मैं कोशिश करता हूं कि मरीज की तन-मन-धन से मदद करूं"
"मरीज को उपचार देना मेरा पहला कर्तव्य"
डॉक्टर दुष्यंत ने कहा कि हमने लोगों के लिए डॉक्टरी की है और मैंने अपना फर्ज निभाया है. मरीज का इलाज करना ही एक डॉक्टर की पहली प्राथमिकता है. डॉक्टर दुष्यंत ने बेड पर लेटे-लेटे ही अपना कर्तव्य निभाया. मरीज को फेफड़ों की बीमारी थी जिस वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. डॉक्टर दुष्यंत ने अपने बेड पर लेटे-लेटे ही मरीज की रिपोर्ट देखी और मरीजका चेकअप करने के बाद भर्ती करवा दिया. वहीं मरीज नारायण सिंह को डॉक्टर दुष्यंत पर बहुत भरोसा है और इलाज के बाद उन्हें आराम भी है.
नारायण सिंह ने बताया "मुझे डॉक्टर दुष्यंत पर विश्वास है. डॉक्टर ने मुझे और मेरे भाई को बचाया है. उपचार मिलने के बाद पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं. डॉक्टर को दिखाने के बाद मेरे स्वास्थ्य पहले से 25 प्रतिशत सही हुआ है. अस्पताल में पहुंचते ही डॉक्टर ने मुझे तुरंत प्रभाव से इलाज दिया. मैं डॉक्टर के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं."
नारायण सिंह के दामाद सोहन सिंह ने कहा "डॉक्टर खुद बिस्तर पर हैं. सरकारी डॉक्टर होने के बाद भी उन्होंने इस हालत में बेहतर इलाज दिया हम उनके आभारी हैं. मेरे ससुर को एक साल से सांस की दिक्कत है उनका हम लुधियाना से लेकर मेडिकल कॉलेज नेरचौक में इलाज करवा चुके हैं. इसके पहले उनका इलाज मंडी के जोनल अस्पताल में चला हुआ था."
कुल मिलाकर डॉक्टर दुष्यंत ने एक बार फिर बताया है कि डॉक्टर को धरती का भगवान क्यों कहते हैं. साथ ही डॉक्टर दुष्यंत ने कई डॉक्टरों के लिए मिसाल भी पेश की है.
ये भी पढ़ें: यहां मिलेगी 1 लाख रुपए तक सैलरी, युवाओं के पास विदेश में नौकरी करने का सुनहरा मौका