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सुखविंदर सरकार के गले की फांस बना कर्मचारी चयन आयोग, देरी से फैसला लेने पर फूट सकता है युवाओं का गुस्सा

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Published : Feb 5, 2023, 8:09 AM IST

Updated : Feb 5, 2023, 8:29 AM IST

हिमाचल कर्मचारी चयन आयोग सुखविंदर सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है. भर्ती पेपर लीक होने और उनकी बिक्री का धंधा पकड़े जाने के बाद कांग्रेस सरकार ने बोर्ड को निलंबित कर दिया था और दो तरह की जांच बिठाई है. लेकिन, देरी से फैसला लेने पर प्रदेश के युवाओं का गुस्सा फूट भी सकता है. पढे़ं पूरी खबर...

Himachal Staff Selection Commission
Himachal Staff Selection Commission

शिमला: व्यवस्था परिवर्तन का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार के लिए हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग का मसला गले की फांस बनता जा रहा है. भर्ती पेपर लीक होने और उनकी बिक्री का धंधा पकड़े जाने के बाद कांग्रेस सरकार ने बोर्ड को निलंबित कर दिया था. बोर्ड को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने दो तरह की जांच बिठाई है. हिमाचल स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने अपनी प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. वहीं, शिक्षा सचिव अभिषेक जैन ने अभी अपनी प्रशासनिक जांच की रिपोर्ट नहीं दी है. ऐसे में राज्य सरकार ये फैसला नहीं ले पा रही है कि कर्मचारी चयन आयोग को लेकर आगे क्या फैसला लेना है.

इस मसले को लेकर यदि सुखविंदर सिंह सरकार ने जल्द ही कोई निर्णायक फैसला नहीं लिया तो नौकरी की राह देख रहे युवाओं का गुस्सा फूट सकता है. इस समय कई नौकरियों को लेकर हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में प्रकियाएं विभिन्न चरणों में हैं. जिन युवाओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर नौकरी का सपना देखा है, वे परेशान हैं. दरअसल, पूर्व की सरकार के समय भी कई भर्तियों की प्रक्रिया अदालतों में फंसी रही. ऐसे में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के भीतर हताशा बढ़ रही है.

सत्ता में आने के बाद ही हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में प्रतियोगी परीक्षा का पेपर लीक हो गया. सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी और 28 दिसंबर को चयन आयोग को निलंबित कर दिया. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि जिन नौकरियों के लिए युवाओं ने पूर्व में पेपर दिए थे या जिन का रिजल्ट प्रोसेस में था, उन पर सरकार जल्द फैसला लेगी, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. इस समय पेपर लीक मामले में कर्मचारी चयन आयोग की कर्मचारी उमा आजाद व अन्य आरोपी जांच के दायरे में हैं.

विजिलेंस ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चयन आयोग में धांधली के तार बहुत दूर तक और बहुत सी परीक्षाओं से जुड़े हैं. वहीं, प्रशासनिक जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है. ऐसे में सुखविंदर सिंह सरकार को चयन आयोग के निलंबन की स्थिति को लेकर जल्दी ही कोई निर्णय लेना होगा. कारण ये है कि आने वाले समय में यदि नौकरियों की प्रक्रिया तेजी से पूरी नहीं हुई तो युवा वर्ग आंदोलन भी कर सकता है.

हमीरपुर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का गृह जिला है. हमीरपुर जिला को मुख्यमंत्री का पद मिला है और इसी संसदीय क्षेत्र से डिप्टी सीएम भी हैं. ऐसे में यदि हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को लेकर सरकार को जल्द ही फैसला लेने की जरूरत है. विजिलेंस की रिपोर्ट सरकार के पास आ गई है. अब सरकार प्रशासनिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने शिक्षा सचिव अभिषेक जैन से कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट मांगी है.

सरकार जानना चाहती है कि भर्ती प्रक्रिया के लिए किस तरह का रोडमैप अपनाया जाए, ताकि धांधली को पूरी तरह से रोका जा सके. इसके अलावा प्रशासनिक जांच में ये भी पूछा है कि बोर्ड की आगामी रूपरेखा कैसी होनी चाहिए. वहीं, विजिलेंस की एडीजीपी सतवंत कौर अटवाल ने अपनी रिपोर्ट में कई बिंदुओं पर सरकार का ध्यान खींचा है. विजिलेंस रिपोर्ट के अनुसार भर्तियों में धांधली विभिन्न स्तरों पर हुई है. इनकी कड़ियां एक के बाद एक करके जुड़ रही हैं और बहुत दूर तक जा रही हैं.

ये भी संभव है कि पूर्व में पेपर बेचे गए हों और अनैतिक तरीके से नौकरियां हासिल की गई हों. यदि जांच वहां तक गई तो कई तरह की अड़चने सामने आएंगी. इन सब के बीच सरकार के समक्ष लंबित पड़ी भर्तियों की प्रक्रिया थ्रू करने की चुनौती है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अभी हमीरपुर दौरे पर हैं. उसके बाद सीएम को 10 फरवरी को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के परिवार में एक शादी समारोह में शिरकत करने जाना है. इस तरह हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को लेकर अब फरवरी के पहले पखवाड़े के बाद ही कोई फैसला होने की उम्मीद है.

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Last Updated : Feb 5, 2023, 8:29 AM IST
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