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हिमाचल की धरोधरः शिमला में बना था देश का पहला ऑटोमेटिक टेलीफोन एक्सचेंज

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Published : Feb 3, 2020, 1:56 PM IST

Updated : Feb 3, 2020, 3:01 PM IST

CTO the heritage building of shimla
देश का पहला ऑटोमेटिक टेलीफोन एक्सचेंज सीटीओ शिमला

शिमला में कई ऐसी ऐतेहासिक इमारतें हैं जो अपने आप में कई भारतीय इतिहास से जुड़ी कहानियों को संजोए हुए है. शिमला माल रोड पर स्थित बुहमंजिला इमारत सीटीओ से 19वीं सदी के बदलते भारत की दूर संचार की क्रांति का एक किस्सा जुड़ा हुआ है. सीटीओ का मतलब है सैंट्रल ट्रंक ऑफिस.

शिमला : अंग्रेजी शासन काल में समर कैपिटल कही जाने वाली हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला ऐतिहासिक धरोहरों की दृष्टि से काफी महत्व रखती है. शिमला में कई ऐसी ऐतेहासिक इमारतें हैं जो अपने आप में कई भारतीय इतिहास से जुड़ी कहानियों को संजोए हुए है.

रोजाना हजारों सैलानी और स्थानीय लोग शिमला माल रोड पर स्थित बीएसएनएल कार्यालय के बाहर से गुजरते हैं, लेकिन इसके इतिहास से शायद कम ही लोग वाकिफ होंगे. सीटीओ नाम से प्रसिद्ध इस बुहमंजिला इमारत से 19वीं सदी के बदलते भारत की दूर संचार की क्रांति का एक किस्सा जुड़ा हुआ है.

heritage building CTO shimla
शिमला की ऐतिहासिक धरोहर सीटीओ.

सीटीओ का मतलब है सैंट्रल ट्रंक ऑफिस. भारत ने जब आधुनिक उपकरणों की ओर इस देश ने अपना पहला कदम बढ़ाया, तो शिमला की इस इमारत में भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंज कार्यालय स्थापित किया गया था. जिसके बाद भारत को पहली बार फोन लाईन के जरिए इंग्लैंड से जोड़ा गया और इस टेलीफोन एक्सचेंज से फोन पर बात करने वाले तत्कालीन वायसरॉय पहले व्यक्ति बने.

सीटीओ से पहले ठीक इसी जगह पर 1870 में 'कोनी कोट' नाम की इमारत थी, जिसमें स्टेशन लाइब्रेरी को चलाई जाती थी. जिसे करीब बाद में 1920 के आसपास तोड़ कर सीटीओ की बिलडिंग बनाई गई और 1922 में भारत की सबसे पहली इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंज को शुरू किया गया.

heritage building CTO shimla
सैंट्रल ट्रंक ऑफिस शिमला.

उस समय इस बिल्डिंग को पीएंडटी यानी 'पोस्ट एंड टेलीग्राफ' से भी जाना जाता था. स्कोटिश आर्किटेक्चर में बनी इस इमारत के कुछ हिेस्से में 'ग्रे ऐशेलर पत्थर' का इस्तेमाल किया गया है. जो इसे शहर की बाकी इमारतों से अलग करता है.

heritage building CTO shimla
90 किलो वजनी ऐतिहासिक घड़ी.

शिमला के स्थानीय और लेखक सुमित राज ने बताया कि सीटीओ में लगे 'ग्रे ऐशेलर पत्थर' से ही पूरी इमारत को बनाया जाना था, लेकिन इमारत का बजट कम पड़ने के कारण सीटीओ के पहली मंजिल तक ही 'ग्रे ऐशेलर पत्थर' का इस्तेमाल किया गया और बाकी हिस्से में ईंटो का इस्तेमाल करना पड़ा.

heritage building CTO shimla
शिमला सीटीओ में लगा ग्रे ऐशेलर पत्थर.

वहीं, इस इमारत के मेन गेट के ऊपर लगी 90 किलो वजनी ऐतिहासिक घड़ी इस भवन की भव्यता और ऐतिहासिकता का प्रमाण है. इस ऐतिहासिक घड़ी के साथ-साथ सीटीओ में ब्रिटिशकाल में एक बजर भी लगाया गया था.

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आज भी इस बजर के साथ ही शिमला शहर में खासकर सरकारी दफ्तरों का कामकाज सुबह 10 बजे शुरू होता है और शाम के 5 बजे खत्म होता है. इस बजर का इस्तेमाल शहर के लोगों को आपातकालीन स्थिती में सचेत करने के लिए भी किया जाता है.

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लेखक सुमित राज ने बताया कि 90 के दशक में इस ऐतिहासिक घड़ी के खराब हो जाने के बाद यहां डिजिटल क्लॉक भी लगाई गई, लेकिन शिमला के लोगों ने इसका विरोध जताया. जिसके बाद सरकार ने फिर से पुरानी घड़ी को ठीक करवा कर सीटीओ लगवा दिया.

सीटीओ के एक कोने में आज भी लेटिन भाषा में एक शिलालेख नजर आता है. जिसके मुताबिक इस भवन में पहले टेलीफोन एक्सचेंज, फिर टेलीग्राफ विभाग और भारत मौसम विज्ञान विभाग का कार्यालय भी कुछ समय तक चलाया गया था और अब वर्तमान में इस भवन में बीएसएनएल ऑफिस चल रहा है.

Last Updated :Feb 3, 2020, 3:01 PM IST
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