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ईयर इंडर 2019: हिमाचल की राजनीति में पूरी तरह से रहा BJP का नाम, कांग्रेस चारों खाने चित्त

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Published : Dec 29, 2019, 10:57 PM IST

साल 2019 हिमाचल राजनीति में पूरी तरह से बीजेपी के नाम रहा. देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड सुनामी के बीच भाजपा ने हिमाचल में जीत के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए. चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी करीब चार लाख से अधिक वोटों के मार्जन से जीत हासिल करने में सफल रहे.

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ईयर इंडर 2019: हिमाचल की राजनीति में पूरी तरह से रहा BJP का नाम, कांग्रेस चारों खाने चित्त

शिमला: साल 2019 हिमाचल राजनीति में पूरी तरह से बीजेपी के नाम रहा. देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड सुनामी के बीच भाजपा ने हिमाचल में जीत के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए. चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी करीब चार लाख से अधिक वोटों के मार्जन से जीत हासिल करने में सफल रहे.

हिमाचल के इतिहास में ये पहली बार है जब लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को कुल मतों के 70 प्रतिशत वोट पड़े हों. कांग्रेस और अन्य दल आम चुनाव में चारों खाने चित्त हो गए. कांगड़ा से किशन कपूर, शिमला से सुरेश कश्यप, मंडी से रामस्वरूप शर्मा और हमीरपुर से लगातार चौथी बार अनुराग ठाकुर ने रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की.

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कांगड़ा से भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर ने कांग्रेस प्रत्याशी पवन काजल को सबसे अधिक 4 लाख 77 हजार 623 मतों से हराकर एक तरफा जीत हासिल की. आम चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र हॉट सीट रही. जहां कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा ने हार का रिकॉर्ड बनाया. बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने आश्रय शर्मा को करीब साढ़े चार लाख वोटों से हराया. सुखराम परिवार का बार-बार दल बदलने का सिलसिला इस रिकॉर्ड तोड़ हार का सबसे बड़ा कारण रहा. मौका परस्त राजनीति के चलते सूबे की जनता मंडी के इस पंडित परिवार से खासा नाराज थी. जनता ने अपने मतों से ये नाराजगी जाहिर भी की.

सुखराम परिवार की महत्वकांक्षाओं के चलते अनिल शर्मा को जयराम कैबिनेट से भी हाथ धोना पड़ा. वहीं, इस चुनाव में जनता ने भी बढ़-चढ़ कर भागीदारी दर्ज करवाई. 17वें लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 71.74 वोटर टर्न आउट रहा.आम चुनाव के बाद प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पच्छाद और धर्मशाला के विधायक सांसद बनकर केंद्र की राजनीति में लॉन्च हुए. ऐसे में दोनों सीटों पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस ने नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा. उपचुनाव में दोनों सीटों पर एक बार फिर भाजपा ने अपना परचम लहराया.

पच्छाद में टिकट दावेदारी को लेकर भाजपा दो गुटों में बंटी हुई नजर आई. टिकट न मिलने पर बीजेपी की दयाल प्यारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. इसी दौड़ में बीजेपी के आशीष सिक्टा भी शामिल हुए, जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पार्टी से नाराज होकर नामांकन भरा, लेकिन बाद में अपना नाम वापिस ले लिया.

उपचुनाव में धर्मशाला से भाजपा के विशाल नैहरिया तो पच्छाद से रीना कश्यप विधायक बनीं. नैहरिया ने अपने प्रतिद्वंद्वी व भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी राकेश चौधरी को 6,758 मतों से हराया. धर्मशाला में कांग्रेस प्रत्याशी विजय इंद्र कर्ण की जमानत तक जब्त हो गई.

वहीं, पच्छाद से पहली महिला विधायक बनीं रीना कश्यप ने कांग्रेस के दिग्गज नेता गंगू राम मुसाफिर को कड़े मुकाबले में 2,808 मतों से हराया. जबकि भाजपा से बागी निर्दलीय प्रत्याशी दयाल प्यारी तीसरे स्थान पर रहीं.

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