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पालमपुर में सात कार्यालय बंद करने के खिलाफ कोर्ट पहुंचे BJP नेता, पार्टी अध्यक्ष ने भी दाखिल की है याचिका

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Published : Feb 3, 2023, 10:19 PM IST

Himachal High Court.
Himachal High Court.

हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा डिनोटिफाई किए गए दफ्तरों को लेकर अब भाजपा नेता त्रिलोक कपूर हाईकोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने पालमपुर में सात कार्यालय बंद करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और प्रदेश सरकार से इन्हें फिर से खोलने का आग्रह किया है.

शिमला: सुखविंदर सिंह सरकार द्वारा जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में खोले गए दफ्तरों को डिनोटिफाई करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अब भाजपा नेता त्रिलोक कपूर पालमपुर में सात कार्यालय बंद करने के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने सुखविंदर सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दी है. त्रिलोक कपूर ने याचिका के माध्यम से सरकारी दफ्तर बंद करने के फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती देते हुए उन्हें फिर से खोलने का आग्रह किया है.

याचिका कर्ता ने इसे जनहित का मुद्दा बताया है. भाजपा नेता त्रिलोक कपूर ने पालमपुर उपमंडल में बंद किए गए दफ्तरों को फिर से खोलने की मांग उठाई है. त्रिलोक कपूर ने याचिका में कहा कि मौजूदा सरकार का ये फैसला द्वेष की भावना से लिया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने मामले की सुनवाई शीतकालीन छुट्टियों के बाद निर्धारित की है. अदालत को बताया गया कि इस तरह का मामला पहले भी हाईकोर्ट में आया है. उस मामले में हिमाचल भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने भी याचिकाकर्ता त्रिलोक कपूर की तरह आरोप लगाए हैं.

अभी याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने जनता की मांग पर प्रदेश के सबसे बड़े जिला के महत्वपूर्ण उपमंडल पालमपुर में सात सरकारी दफतर खोले थे. इनमें उप तहसील चचेण, विकास खंड पालमपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडबाड़ी, उप स्वास्थ्य केंद्र टांडा-होल्टा, आयुर्वेदिक औषधालय मतेहड़, जलशक्ति विभाग का उप खंड बनूरी और आयुर्वेदिक अस्पताल ख्यानपट्ट थे, लेकिन सरकार ने गत 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश के आधार पर सभी कार्यालयों को बंद कर दिया.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व कैबिनेट के फैसलों को रद्द किया जाना गैर कानूनी है. याचिका में दलील दी गई कि सरकार की ओर से जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के फैसलों को निरस्त नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ता ने सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को रद्द करने की गुहार लगाई है.

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