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'अंग्रेजी माध्यम में बच्चे को इतना न डुबा दें कि बच्चा हिंदी से नफरत करने लग जाए'

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Published : Sep 14, 2019, 11:03 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 11:19 PM IST

Anurag Vijayvargiya interview

डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ने कहा कि हमें अपने बच्चों को हिंदी के संस्कार सिखाने चाहिए न कि अंग्रेजी के. हिंदी भाषा के प्रति बच्चों में घृणा पैदा न करें.

शिमला: देशभर में शनिवार को हिंदी दिवस मनाया गया. हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने हिंदी भाषा में दस से अधिक किताबें लिख चुके और दो किताबों के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके डॉ. अनुराग विजयवर्गीय से खास बातचीत की. ईटीवी से बातचीत के दौरान अनुराग विजयवर्गीय ने कहा कि हिंदी भाषा की शुरूआत घर से ही होती है.

डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ने कहा कि हमें अपने बच्चों को हिंदी के संस्कार सिखाने चाहिए न कि अंग्रेजी के. हिंदी भाषा के प्रति बच्चों में घृणा पैदा न करें. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी माध्यम में बच्चे को इतना न डूबा दें कि बच्चा हिंदी से नफरत करने लग जाए.

डॉ. अनुराग विजयवर्गीय हिमाचल प्रदेश आयुर्वेद विभाग में नाड़ी रोग निदान विशेषज्ञ हैं. डॉ अनुराग ने एमडी आयुर्वेद की पढ़ाई 1999 में गुजरात के जामनगर से की है. इसे डॉ अनुराग का हिंदी भाषा से प्रेम ही कह सकते हैं कि उन्होंने अनुमति लेकर हिंदी भाषा में आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांत और दर्शन का शोध पत्र लिखा. ये पहली बार था की ति,ी तो शोध पत्र हिंदी में लिखने की अनुमति मिली.

डॉ. अनुराग अब तक आयुर्वेद पर 10 किताबें लिख चुके हैं. सभी किताबें हिंदी में लिखी हैं. डॉ. अनुराग अपना पूरा काम हिंदी में ही करने के साथ आने वाली युवा पीढ़ी को हिंदी भाषा के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

डॉ. अनुराग विजयवर्गीय.

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Intro:शिमला। हिंदी भाषा में दस से अधिक किताबें लिख चुके और दो पुस्तकों के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके डॉ अनुराग विजयवर्गीय ने कहा कि हिंदी भाषा की शुरुआत घर से ही होती है। हमें अपने बच्चों को हिंदी के संस्कार सिखाने चाहिए ना कि अंग्रेजी के। हिंदी भाषा के प्रति बच्चों में घृणा पैदा न करें । अंग्रेजी माध्यम में बच्चे को इतना ना डुबेये कि बच्चा हिंदी से नफरत करने लगे।


Body:हिमाचल प्रदेश आयुर्वेद विभाग में नाड़ी से रोग निदान विशेषज्ञ के रूम में काम कर रहे डॉ अनुराग विजयवर्गीय ने एमडी आयुर्वेद तक कि पढ़ाई 1999 में गुजरात के जामनगर से की है। इसको डॉ अनुराग का हिंदी भाषा से प्रेम ही कह सकते हैं कि उन्होंने अनुमति लेकर हिंदी भाषा में आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांत और दर्शन का शोध पत्र लिखा। यह पहली बार संभव हो पाया कि उनको शोध पत्र हिंदी में लिखनी की अनुमति मिली।


Conclusion:डॉ अनुराग अभी तक आयुर्वेद पर 10 किताबें लिख चुके हैं। सभी किताबें हिंदी में लिखी है। डॉ अनुराग अपना पूरा काम हिंदी में ही करने के साथ आने वाली युवा पीढ़ी को हिंदी भाषा के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
Last Updated :Sep 14, 2019, 11:19 PM IST
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