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राजभवन पहुंचा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का मामला, बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल को फिर से खोलने के खिलाफ राज्यपाल को दिया ज्ञापन

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 15, 2023, 8:03 PM IST

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो)।

Himachal High Court Bar Association: हिमाचल हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल को फिर से बहाल करने के खिलाफ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को ज्ञापन दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

शिमला: सुखविंदर सिंह सरकार के हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को फिर से खोलने के निर्णय का विरोध तेज हो गया है. हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल को फिर से बहाल करने के खिलाफ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को ज्ञापन दिया है. बार एसोसिएशन का तर्क है कि ट्रिब्यूनल को बहाल करने से कर्मचारियों को न्याय मिलने में देरी होगी. साथ ही बार एसोसिएशन ने ज्ञापन में ट्रिब्यूनल को लेकर कई अन्य तथ्य भी राज्यपाल के समक्ष रखे हैं.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलकर भी ट्रिब्यूनल को बहाल करने का विरोध किया था. बार एसोसिएशन के सदस्यों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह किया है कि इस फैसले पर फिर से विचार किया जाए. एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का कहना है कि हिमाचल प्रदेश एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल को फिर से खोलना वादियों के हक में नहीं है. इससे उन्हें न्याय मिलने में और अधिक देरी होगी. ट्रिब्यूनल को पहले ही दो बार बंद किया जा चुका है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1986 में पहली बार ट्रिब्यूनल को गठन किया गया था. इसके बाद प्रेम कुमार धूमल सरकार के कार्यकाल में जुलाई 2008 में प्राधिकरण को बंद कर दिया गया. प्राधिकरण बंद होने के बाद करीब 25000 मामलों को हाई कोर्ट के लिए स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद वीरभद्र सिंह सरकार के समय में फरवरी 2015 में प्रशासनिक प्राधिकरण का पुन: गठन किया गया. इस तरह सेवा संबंधी सारे मामले बहाल किए गए प्रशासनिक प्राधिकरण को स्थानांतरित किए गए. जयराम सरकार सत्ता में आई तो अगस्त 2019 में फिर से प्राधिकरण को बंद कर दिया गया. प्राधिकरण बंद होने से करीब 24000 लंबित मामलों के अलावा निपटाए गए सारे मामलों का रिकॉर्ड हाई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया.

बार एसोसिएशन का कहना है कि प्राधिकरण के बंद होने के कारण ही हाई कोर्ट पर जो अतिरिक्त काम का बोझ आया, उसे देखते हुए उच्च न्यायालय में जजों की संख्या 13 से बढ़ाकर 17 की गई, ताकि मामलों का शीघ्र निपटारा किया जा सके. बार एसोसिएशन के अनुसार वर्ष 2008 के बाद से अब तक यहां कार्यरत अस्सी फीसदी स्टाफ रिटायर हो चुका है. साथ ही ट्रिब्यूनल को सुचारू रूप से चलाने के लिए कम से कम डेढ़ सौ पद क्रिएट किए जाने की जरूरत है. अभी 24, 000 से अधिक लंबित मामले दोबारा ट्रिब्यूनल के लिए स्थानांतरित किए जाएंगे जिनका वहां दोबारा से रजिस्ट्रेशन होगा. अप्रशिक्षित स्टाफ के कारण इस कार्य के लिए ही दो से तीन वर्ष का समय लग जाएगा. बार एसोसिएशन ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से आग्रह किया है कि वे सरकार से इस फैसले पर फिर से विचार करवाने के लिए दखल दें.

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