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जोगिंद्रनगर के धर्म सिंह ने मुर्गी पालन से आर्थिकी की मजबूत, दूसरों के लिए बने प्रेरणा स्रोत

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Published : Aug 6, 2019, 11:22 AM IST

जोगिंद्रनगर के धर्म सिंह के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना मददगार साबित हुई है. धर्म सिंह के लिए मुर्गी पालन आज आर्थिकी का एक प्रमुख स्रोत बन गया है.

मुर्गी पालन

मंडी: जोगिंद्रनगर उपमंडल के गांव अथराह निवासी धर्म सिंह के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना मददगार साबित हुई है. धर्म सिंह मुर्गी पालन से हर महीने औसतन 25 हजार रुपये घर बैठे कमा रहे हैं. साथ ही एक स्थानीय व्यक्ति को भी 6 हजार रुपये प्रतिमाह पर रोजगार दे रहे हैं.

बता दें कि ग्राम पंचायत ब्‍यूंह के गांव अथराह निवासी धर्म सिंह के लिए मुर्गी पालन आज आर्थिकी का एक प्रमुख स्त्रोत बन गया है. गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग से वर्ष 2012 में चुतुर्थ श्रेणी पद से सेवानिवृत 69 वर्षीय धर्म सिंह के लिए सेवानिवृति के बाद बिना सरकारी पेंशन परिवार का खर्चा वहन करना न केवल मुश्किल होने लगा बल्कि दिनों-दिन आर्थिक तंगी बढ़ती गई.

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वर्ष 2016 में उन्हें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपली के गांव कुराटी में आयोजित किसान जागरूकता शिविर में शामिल होने का मौका मिला. इस दौरान उन्हें न केवल मुर्गीपालन के बारे जानकारी हासिल हुई बल्कि पशु पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं को भी जानने का अवसर मिला. जिसके बाद उन्होंने मुर्गी पालन को अपनाने का निर्णय लिया.

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धर्म सिंह का कहना है कि उन्हें विभाग द्वारा सुंदरनगर स्थित मुर्गीपालन प्रशिक्षण संस्थान में वैज्ञानिक मुर्गीपालन बारे एक हफ्ते का प्रशिक्षण प्रदान किया गया. प्रशिक्षण के बाद सिंतबर, 2016 में 200 चूजों की क्षमतायुक्त मुर्गी बाड़े का निर्माण किया व पहली खेप विभाग के माध्यम से सुंदरनगर हैचरी से ली.

इस बीच उनके 35 चूजों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई, लेकिन हिम्मत न हारते हुए वर्ष 2017 में मुर्गी बाड़े का विस्तार करते हुए 2 हजार चूजे पालने का निर्णय लिया. इसके बाद पशु पालन विभाग द्वारा उन्हे पांच हजार ब्रायलर चूजा योजना के तहत एक हजार चूजों की खेप व पक्षी आहार प्राप्त हुआ.

उनका कहना है कि ब्रायलर चूजा पालन के तहत उन्होंने सिर्फ 15 महीनों में ही लगभग चार लाख रूपये व औसतन 25 हजार रूपये प्रतिमाह आय अर्जित की है.

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वहीं, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिंद्रनगर डॉ. अनीश कुमार का कहना है कि धर्म सिंह एक प्रगतिशील किसान हैं. धर्म सिंह मुर्गी पालन से घर बैठे अच्छी कमाई कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार पांच हजार ब्रायलर कुक्कुट इकाई स्थापना के तहत स्वरोजगार शुरू करने को पांच हजार चूजे प्रति लाभार्थी को पांच किश्तों में प्रदान किए जाते हैं.

जिस पर 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, वर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है, जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को खुद वहन करना होता है. इसके अलावा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के अंतर्गत स्वरोजगार शुरू करने को एक दिन की आयु के चूजे को प्रति लाभार्थी 21 रुपये की दर से वितरित किया जाता है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए घर पर ही रोजगार के साधन सृजित करने का आह्वान किया है.

ये भी पढ़ें-मौत का सफर करने को मजबूर ग्रामीण, जान हथेली पर रखकर पार करनी पड़ती है उफनती सरयाली खड्ड

डॉ. अनीश कुमार ने कहा कि धर्म सिंह मुर्गीपालन से न केवल अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने हैं. उनका कहना है कि वैज्ञानिक तरीके से पूरी मेहनत व लग्न के साथ इस कार्य को किया जाए तो घर बैठे ही रोजगार का यह एक बेहतरीन साधन हो सकता है.

Intro:मंडी। जोगिंद्रनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत ब्‍यूंह के गांव अथराह निवासी धर्म सिंह मुर्गी पालन से जुडक़र प्रतिमाह औसतन 25 हजार रूपये घर बैठे कमा रहे हैं। धर्म सिंह के लिए पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन विभाग की 5 हजार ब्रायलर चूजा योजना न केवल मददगार साबित हुई है बल्कि मुर्गी पालन आज उनके लिए आर्थिकी का एक प्रमुख स्त्रोत बन गया है। साथ ही एक स्थानीय व्यक्ति को भी 6 हजार रूपये प्रतिमाह पर रोजगार भी प्रदान किया है।


Body:लोक निर्माण विभाग से वर्ष 2012 में चुतुर्थ श्रेणी पद से सेवानिवृत 69 वर्षीय धर्म सिंह के लिए सेवानिवृति उपरान्त बिना सरकारी पेंशन परिवार का खर्चा वहन करना न केवल मुश्किल होने लगा बल्कि दिनोंदिन आर्थिक तंगी बढ़ती गई। ऐसे में वर्ष 2016 में उन्हे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपली के गांव कुराटी में आयोजित किसान जागरूकता शिविर में शामिल होने का मौका मिला तथा इस दौरान उन्हे न केवल मुर्गीपालन बारे जानकारी हासिल हुई बल्कि पशु पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं को भी जानने का सुअवसर मिला। इस दौरान उन्होने मुर्गी पालन को अपनाने का निर्णय लिया। धर्म सिंह का कहना है कि उन्हे विभाग द्वारा सुंदरनगर स्थित मुर्गीपालन प्रशिक्षण संस्थान में वैज्ञानिक मुर्गीपालन बारे एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण उपरान्त सिंतबर, 2016 में 200 चूजों की क्षमतायुक्त मुर्गी बाड़े का निर्माण किया तथा पहली खेप विभाग के माध्यम से सुंदरनगर हैचरी से प्राप्त हुई। इस बीच उनके 35 चूजों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई। लेकिन हिम्मत न हारते हुए वर्ष 2017 में मुर्गी बाड़े का विस्तार करते हुए 2 हजार चूजे पालने का निर्णय लिया। इसके बाद पशु पालन विभाग द्वारा उन्हे पांच हजार ब्रायलर चूजा योजना के तहत एक हजार चूजों की खेप व पक्षी आहार प्राप्त हुआ। उनका कहना है कि ब्रायलर चूजा पालन के तहत उन्होने मात्र 15 महीनों में ही लगभग चार लाख रूपये व औसतन 25 हजार रूपये प्रतिमाह आय अर्जित की है। 


बाइट - प्रगतिशील किसान धर्म सिंह


वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी जोगिंद्रनगर डा अनीश कुमार का कहना है कि धर्म सिंह एक प्रगतिशील किसान हैं तथा मुर्गी पालन से घर बैठे अच्छी कमाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार पांच हजार ब्रायलर कुक्कुट इकाई स्थापना के तहत स्वरोजगार शुरू करने को पांच हजार चूजे प्रति लाभार्थी को पांच किश्तों में प्रदान किये जाते हैं। जिस पर 60 प्रतिशत सरकारी अनुदान लाभार्थी को कुक्कुट बाड़ा, आहार, वर्तन व चूजों की कीमत पर दिया जाता है जबकि 40 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं वहन करना होता है। इसके अलावा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए बैकयॉर्ड पोल्ट्री स्कीम के अंतर्गत स्वरोजगार शुरू करने को एक दिन की आयु के चूजे को प्रति लाभार्थी 21 रूपये की दर से वितरित किया जाता है। उन्होने ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए घर पर ही रोजगार के साधन सृजित करने का आहवान् किया है।  


बाइट-  डा अनीश कुमार, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी


Conclusion:बता दें कि धर्म सिंह मुर्गीपालन से न केवल अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने हैं। उनका कहना है कि वैज्ञानिक तरीके से पूरी मेहनत व लग्न के साथ इस कार्य को किया जाए तो घर बैठे ही रोजगार का यह एक बेहतरीन साधन हो सकता है।

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