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क्या इस बार राजपरिवार जीत पाएगा राजनीति का रण या फिर पहली बार राजनीति से रहेगा बाहर ?

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Published : Nov 6, 2022, 7:38 AM IST

जिला कुल्लू के भाजपा के कद्दावर नेता महेश्वर सिंह अपने राजनीतिक करियर में हमेशा सक्रिय रहे हैं, लेकिन हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में उनका टिकट कटने के बाद वे सिर्फ प्रचार तक ही सीमित रह गए हैं. ऐसे में बंजार विधानसभा क्षेत्र से महेश्वर सिंह के छोटे बेटे हितेश्वर सिंह भी पार्टी से बाहर हो गए हैं और वे आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. विधानसभा चुनाव 2022 में हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब क्या फिर से राजपरिवार राजनीति में वापसी कर पाएगा या फिर रूपी राजघराना का राजनीतिक करियर अपने अंतिम दौर पर है. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर. (Himachal Assembly Election 2022) (Hiteshwar Singh Independent candidate from Banjar)

Hiteshwar Singh Independent candidate from Banjar
महेश्वर का टिकट कटने के बाद हितेश्वर मैदान में

कुल्लू: जिला कुल्लू के भाजपा के कद्दावर नेता महेश्वर सिंह अपने राजनीतिक करियर में हमेशा सक्रिय रहे हैं, लेकिन हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में उनका टिकट कटने के बाद वे सिर्फ प्रचार तक ही सीमित रह गए हैं. ऐसे में बंजार विधानसभा क्षेत्र से महेश्वर सिंह के छोटे बेटे हितेश्वर सिंह भी पार्टी से बाहर हो गए हैं और वे आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. (Himachal Assembly Election 2022) (Hiteshwar Singh Independent candidate from Banjar)

साल 2012 के समीकरण एक बार फिर से साल 2022 के विधानसभा चुनावों में बनते नजर आ रहे हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी महेश्वर सिंह को कुल्लू से भाजपा के द्वारा टिकट दिया गया था, लेकिन बाद में उनका टिकट काट के सेवानिवृत्त शिक्षक नरोत्तम ठाकुर को दे दिया गया. इसका एक कारण यह माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान ने महेश्वर सिंह से साफ कहा था कि उन्हें कुल्लू से टिकट उसी सूरत में दिया जाएगा. जब बंजार से उनका बेटा हितेश्वर सिंह चुनावी रण छोड़ दे. (Royal family in politics in Kullu)

लेकिन हितेश्वर सिंह आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनावी रण में डट गया और उसे मनाने की भी काफी कोशिशें हुई. लेकिन सभी कोशिशें बेकार रही और इसका खामियाजा भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह को भुगतना पड़ा. ऐसे में अब राजघराने से हितेश्वर सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. क्योंकि विधानसभा का यह उनका पहला चुनाव है. अगर वह चुनाव को जीतने में कामयाब होते हैं, तो हितेश्वर सिंह का विधानसभा का सफर यहां से शुरू हो जाएगा. अगर हितेश्वर सिंह अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा संकट होगा.

इससे पहले भी रूपी राजघराना संगठन के हाशिये पर रहा है. इससे पहले महेश्वर सिंह व उनके छोटे भाई स्वर्गीय कर्ण सिंह के राजनीतिक रास्ते भी अलग-अलग हो गए थे. उस दौरान संगठन ने दोनों भाइयों को इतने हाशिए पर ला दिया कि उन्हें टिकट के लाले पड़ गए. ऐसे में महेश्वर सिंह ने भाजपा से अलग होकर अपनी पार्टी हिलोपा का गठन किया और कर्ण सिंह को भी बसपा से चुनाव लड़ना पड़ा था. हालांकि महेश्वर सिंह हिलोपा बनाकर अपनी जीत दर्ज करवाने में कामयाब हुए. लेकिन कर्ण सिंह बसपा से नहीं जीत पाए थे.

ऐसे में स्वर्गीय कर्ण सिंह को आखिर में कांग्रेस पार्टी का दामन थामना पड़ा और कर्ण सिंह अपनी जीत दर्ज करवाने में कामयाब रहे और वीरभद्र सरकार में मंत्री भी बने, लेकिन महेश्वर सिंह 5 साल और हिलोपा का विधायक रहने के बाद भाजपा में वापस चले गए. अब ऐसे में कुल्लू विधानसभा में जनता के बीच भी चर्चाओं का दौर जारी है कि क्या महेश्वर सिंह नरोत्तम के सारथी बनकर उसे चुनावी रण में जीत दिलवा सकते हैं या फिर हितेश्वर सिंह आजाद प्रत्याशी चुनाव जीतकर अपना करियर बचा सकते हैं.

विधानसभा चुनाव 2022 में हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब क्या फिर से राजपरिवार राजनीति में वापसी कर पाएगा या फिर रूपी राजघराना का राजनीतिक करियर अपने अंतिम दौर पर है. यह सब बातें चुनावों के नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगी. (Royal families in Himachal politics) (Himachal election 2022) (Maheshwar singh Family kullu)

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