कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के उपमंडल बंजार में बीते दिनों में बारिश और बाढ़ के चलते जहां कहीं सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए. वहीं, गाड़ा पारली पंचायत के अधिकतर गांवों का संपर्क कट गया है. बाढ़ के कारण पैदल रास्ते भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं. जिसके चलते ग्रामीणों का अब अपने गांव से निकलना ही मुश्किल हो गया है. गाड़ा पारली पंचायत के अगर बात करें तो यहां पर शाकटी, मरोड़ और शूगाड़ गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. ऐसे में 2 दिन पैदल चलकर ग्रामीणों का एक दल ढालपुर पहुंचा और उन्होंने जिला प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत करवाया.
25 के बजाए 75 किलोमीटर पैदल करना पड़ रहा सफर: दरअसल, ग्रामीणों ने आशुतोष को अवगत करवाया की पहले ही सड़क मार्ग से शाकटी, मरोड़ पहुंचने के लिए 25 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता था, लेकिन अब वह पूरा रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है. जिसके चलते अब उन्हें 25 के बजाए 75 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है और इस सफर को पूरा करने के लिए उन्हें 2 दिन लग रहे हैं. वहीं, अभी स्कूल में छुट्टियां हैं, लेकिन स्कूल खुलने के बाद बच्चे किस तरह से अपने स्कूल जाएंगे. यह भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
'नालों पर झूला पुल की व्यवस्था की जाएगी, लेकिन पैदल रास्ते बनाने में भी अभी काफी समय लगेगा. जिला प्रशासन से आग्रह किया गया है कि यहां पर घोड़ों के माध्यम से राशन भेजने की व्यवस्था की जाए, ताकि ग्रामीणों को बरसात के इस मौसम में दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.' :- आशुतोष, डीसी, कुल्लू
'जल्द अस्थाई पुलों की हो व्यवस्था': गाड़ा पारली पंचायत के पूर्व प्रधान भाग चंद का कहना है कि पैदल रास्तों के साथ-साथ नालों पर जो पुल बने हुए थे वह सब बह गए हैं. वहीं, इस बारे जिला प्रशासन से भी आग्रह किया गया है कि वे यहां पर जल्द से जल्द अस्थाई पुलों की व्यवस्था करें और पैदल रास्ते का भी निर्माण करें, ताकि शाकटी, मरोड़ और शुगाड के लोगों को आवागमन में सुविधा मिल सके. वहीं, ढालपुर पहुंची गाड़ा पारली पंचायत की प्रधान यमुना देवी ने बताया कि तीनों गांव तक पहुंचने के लिए कोई भी रास्ता नहीं बचा है. पहाड़ी के खतरनाक रास्तों को पार कर ग्रामीण अपने राशन और अन्य सामान को लेने के लिए सैंज पहुंच रहे हैं.
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