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Kinnauri Apple: हिमाचल का किन्नौरी सेब अपनी खूबियों की वजह से है फेमस, जानें सभी खासियतें

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 5:27 PM IST

हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर का किन्नौरी सेब काफी प्रसिद्ध है. इसकी मांग भी आम सेब के मुकाबले ज्यादा रहती है, लेकिन इसकी खासियतें ऐसी हैं जो इसे अन्य सेबों के मुकाबले महंगा बनाती हैं. पढ़ें पूरी खबर... (Kinnauri Apple) (Himachal Pradesh Apple) (himachal pradesh kinnaur apple worldwide famous).

Kinnauri Apple
Kinnauri Apple

किन्नौर: हिमाचल का जिला किन्नौर जितना प्रसिद्ध अपने खूबसूरती के लिए जाना जाता है, उतना ही प्रसिद्ध फल फ्रूट व अन्य फसलों के लिए जाना जाता है. जिला किन्नौर एक जनजातीय क्षेत्र होने की वजह से यहां की परम्परा खान पान रहन सहन, बोली भी सबसे अलग है और यहां के फल फ्रूट व अन्य फसल की मांग पूरे विश्वभर में है, आइए आज किन्नौर जिले की परम्परा के अलावा यहां के प्रसिद्ध लाल सेब व इसकी खासियत से आपको अवगत करवाते हैं.

जनजातीय जिला किन्नौर हिमाचल प्रदेश के चीन सीमांत जिला है जो साल 1990 के बाद ही आर्थिक रूप से मजबूती तेजी से पकड़ता दिखा. इससे पूर्व यहां पर नकदी फसलों के नाम पर केवल प्राकृतिक रूप से जंगलों में मिलने वाला चिलगोजा था वह भी कुछ सीमित दायरे में था, लेकिन इसके अलावा भी मटर आलू की फसल निचले व ऊपरी क्षेत्रों मे लोगों के पास होती थी. जिसके दाम मंडियों में उतने ज्यादा नहीं थे और सड़क सुविधाएं नहीं होने से अधिकतर लोगों के मार्केट तक फसलें भी नहीं पहुंच पाती थी, लेकिन साल 1990 के बाद किन्नौर जिले ने बागवानी क्षेत्र में अपने आप को हिमाचल प्रदेश के अंदर पहचान दिलाना शुरू किया जब लोग पौराणिक तौर तरीकों से बाहर आकर सेब के बगीचों में नए किस्म के सेब के पौधे लगाने लगे और देखते ही देखते किन्नौर जिले ने पूरे प्रदेश देश व विश्व भर में सेब की बागवानी में अपनी पहचान बनाई और आर्थिक रूप से भी मजबूती पाई है.

Kinnauri Apple
किन्नौर का सेब अपनी प्राकृतिक मिठास, रंग, रसीलापन, कुरकुरेपन और लंबे समय तक शेल्फ जीवन के लिए जाना जाता है.

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हर साल लाखों की कमाई करते हैं बागवान: जिला किन्नौर के लगभग सभी ग्रामीण इलाकों में सेब की बागवानी की जाती है, लेकिन कुछ एक ग्रामीण इलाके हैं जहां ज्यादा ठंड होने की वजह से सेब के बगीचे सफल नहीं हुए हैं. जिसमें छितकुल, कुनो चारंग, आसरंग गांव हैं जो सबसे ऊंचे ग्रामीण इलाके हैं. जहां केवल मटर व आलू की फसल ही लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है और अन्य ग्रामीण इलाकों में लगभग सभी लोगों के अपने-अपने सेब के बगीचे हैं, जहां लोग हर साल लाखों की आजीविका सेब की फसल से कमाते हैं.

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किन्नौर के सेब की रहती है ज्यादा मांग

किन्नौर के सेब की रहती है ज्यादा मांग: जिला किन्नौर के सेब के पुरानी वैरायटी में रेड, रिचर्ड, रॉयल सेब है जो जिले की सबसे पुरानी वैरायटी है और इसकी कीमत आज भी सेब मंडियों में लोगों को मिलती है. हालांकि इसके अलावा भी सेब के नए किस्म अब लोग अपने खेतों में लगा रहे हैं और उन सेब की फसलों से भी बागवानों को मार्केट में अच्छे दाम मिल रहे हैं. जिला किन्नौर हिमाचल प्रदेश के सबसे ठंडे जिलों में से एक है और बर्फ के गलेशियरों के द्वारा निकले पानी से सिंचाई करते हैं व सेब में रासायनिक छिड़काव का प्रयोग बहुत कम करते हैं. जिस कारण किन्नौर के सेब की मांग मंडियों में सबसे ज्यादा है. किन्नौर का सेब अपनी प्राकृतिक मिठास, रंग, रसीलापन, कुरकुरेपन और लंबे समय तक शेल्फ जीवन के लिए जाने जाते हैं.

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इस साल जिले में पहले के सालों के मुकाबले सेब की फसल कम है, लेकिन उसके बावजूद भी बागवानों को मंडियों में सेब के मुंह मांगे दाम मिल रहे हैं. सितंबर महीने से जिले के निचले क्षेत्रों में सेब का सीजन शुरू होता है और अक्टूबर माह के अंतिम तिथि और कुछेक इलाकों में नवंबर माह की 10 तारीख तक सीजन चलता है और किन्नौर के सेब कोल्ड स्टोर में भी सबसे ज्यादा समय तक रहता है. जिससे ऑफ सीजन में भी किन्नौर का सेब लोगों की जीभ पर अपना स्वाद व लाल रंग बिखेरता है.

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ऑफ सीजन में भी किन्नौर का सेब लोगों की जीभ पर अपना स्वाद व लाल रंग बिखेरता है.

टापरी सेब मंडी के प्रेजिडेंट सरदार प्रवीण नेगी ने बताया कि अभी सेब मंडी में सेब की बड़ी पेटी जिसका वजन करीब 28 से 30 किलो है. उसकी कीमत 2500 से 3500 रुपये तक बिक रही है और गिफ्ट पेटी जिसका वजन करीब 10 से 11 किलो है उसके दाम भी 1500 से 1800 रुपये तक बिक रहे हैं, जबकि अगस्त व सितंबर महीने में बड़ी पेटी के दाम 4500 से 4800 रुपये मिले और गिफ्ट पेटी 2200 से 2500 तक बिकी.

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