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मशरूम की ये किस्म हड्डियों के रोग के लिए रामबाण, CSIR पालमपुर ने दो महीने में इजाद की तकनीक

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Published : Dec 21, 2019, 5:46 PM IST

Updated : Dec 21, 2019, 7:16 PM IST

सिटाके मशरूम
Shiitake Mushroom

लोगों को अब शरीर में विटामिन-डी की पूर्ति के लिए धूप में बैठने की जरूरत नहीं रहेगी. सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिकों ने सिटाके मशरूम तैयार किया है जो विटामिन-डी से भरपूर है.

पालमपुर: देश-विदेश के लोगों को अब शरीर में विटामिन-डी की पूर्ति के लिए धूप में बैठने की जरूरत नहीं रहेगी. सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिकों ने सिटाके मशरूम तैयार किया है जो विटामिन-डी से भरपूर है.

मशरूम को सुखाकर इसके कैप्सूल बनाकर लोग इसका सेवन कर सकते हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में अधिकतर लोगों में विटामिन की कमी है. इससे बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है. हालांकि कुदरती तौर पर विटामिन-डी का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य का प्रकाश है. वर्तमान में लोग अपने काम में इतना व्यस्त हैं कि उन्हें सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पाता.

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वहीं, अधिकतर लोग सन स्क्रीन का उपयोग कर धूप से बचते हैं. हालांकि भारत में विदेशों की भांति सन-बाथ लेने की प्रथा नहीं है. इससे भारत के लोग विटामिन-डी की कमी से अधिक प्रभावित हैं. विटामिन-डी की कमी से सबसे अधिक लोग बुढ़ापे में हड्डियां कमजोर होने की शिकायत करते हैं.

इसी को मद्देनजर रखते हुए सीएसआईआर हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद नई तकनीक तैयार कर विटामिन-डी की कमी को पूरा करने का प्रयास किया है. संस्थान में सिटाके नामक मशरूम तैयार किया गया है. इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-डी की उपलब्धता है.

संस्थान ने इसे सुखाकर कैप्सूल बनाकर ग्राहकों को परोसने की तकनीक इजाद की है. इसके तहत 500 मिली ग्राम कैप्सूल का सेवन करने से सारे दिन में विटामिन की कमी को दूर होगी. संस्थान का दावा है कि इस कैप्सूल से धूप के अभाव में विटामिन-डी की कमी से हड्डियों की समस्या से जूझ रहे मरीजों को सहायता मिलेगी.

वैसे तो मशरूम को पौष्टिक आहार से युक्त माना गया है. इसमें फोलिक एसिड व लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो लाल रक्त कण बनाने में मदद करते हैं. मशरूम को सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसे उगाने के लिए अधिक भूमि की जरूरत नहीं होती. अब संस्थान की ओर से विकसित सिटाके नामक मशरूम की किस्म से किसानों को इससे काफी लाभ होने की संभावना है.

इसके तहत गरीब लोगों को भी कम लागत में विटामिन-डी की कमी दूर करते में सहायता मिलेगी. संस्थान निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि संस्थान ने विटामिन-डी से भरपूर कैप्सूल की तकनीक विकसित की है. इसे सिटाके मशरूम की मदद से बनाया गया है. इसके बाजार में आने पर लोगों को अन्य दवाइयों की जगह शाकाहारी दबाई उपलब्ध होगी.

वही, संस्थान के वैज्ञानिक रक्षक कुमार ने कहा कि सिटाके मशरूम को प्राकृतिक रूप में उगाने को 8 से 12 महीने लगाते है जबकि हमारी तकनीक से सिटाके मशरूम 2 महीने मे उग कर तैयार हो जाता है

Intro:सिटाके मशरूम के कैप्सूल से मिलेगी विटामिन डी, सीएसआईआर - हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैैज्ञानिकों ने ईजाद की तकनीक, रोजाना कैप्सूल खाने से दूर होगी विटामिन डी की कमी, सिटाके मशरूम को प्राकृतिक रूप में उगाने में लगता है अधिक समय,संस्थान की तकनीक से दो महीने में तैयार होगा सिटाके मशरूम, उतरी पूर्वी राज्यो ने हासिल की तकनीक,किसान होगे मालामालBody:देश विदेश के लोगों को अब शरीर में विटामिन-डी की पूर्ति के लिए धूप में बैठने की आवश्यकता नहीं रहेगी। सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के वैैज्ञानिकों ने सिटाके मशरूम तैयार किया है जो विटामिन-डी से भरपूर है व इसको सुखाकर कैप्सूल के माध्यम से उपभोक्ताओं को परोसा जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के सर्वेक्षण अनुसार विश्व में अधिकतर लोगों में विटामिन की कमी पाई गई है। इससे बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। हालांकि कुदरती तौर पर विटामिल-डी का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य का प्रकाश है जो हर समय किसी को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कई संस्थानों में लोग सुबह से शाम तक कमरे के अंदर कार्य करते है व धूप में बैठने को समय नहीं मिलता। वहीं अधिकतर लोग सन स्क्रीन जैसी क्रीम को उपयोग कर धूप से बचते हैं। हालांकि भारत में विदेशो की भांति सन-बाथ लेने की प्रथा नहीं है। इससे भारत के लोग विटामिन-डी की कमी से अधिक प्रभावित हैं। विटामिन-डी की कमी से सबसे अधिक लोग बुढ़ापे में हड्डियां कमजोर होने की शिकायत करते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए सीएसआईआर हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद नई तकनीक तैयार कर विटामिन-डी की कमी को पूरा करने का प्रयास किया है। संस्थान में सिटाके नामक मशरूम तैयार किया है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-डी की उपलब्धता है। संस्थान ने इसे सुखाकर कैप्सूल बनाकर ग्राहकों को परोसने की तकनीक भी इजाद की है। इसके तहत 500-500 मिली ग्राम के कैप्सूल के माध्यम से एक कैप्सूल से सारे दिन में विटामिन की कमी को दूर करेगा। संस्थान का दावा है कि इस कैप्सूल से धूप के अभाव में विटामिन-डी की कमी से हड्डियों की समस्या से जूझ रहे मरीजों को सहायता मिलेगी। वैसे तो मशरूम को पोष्टिक आहार से युक्त माना गया है। इसमें फोलिक एसिड व लौह तत्व विद्यमान है, जो लाल रक्त कण बनाने में मदद करते हैं। देश विदेश में मशरूम को सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसे उगाने के लिए भी अधिक भूमि की जरूरत नहीं होती है। अब संस्थान की ओर से विकसित सिटाके नामक मशरूम की किस्म से किसानों को इससे काफी लाभ होने की संभावना है। इसके तहत गरीब लोगों को भी कम लागत में विटामिन-डी की कमी दूर करते में सहायता मिलेगी।Conclusion:संस्थान निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि संस्थान में विटामिन-डी से भरपूर कैप्सूल की तकनीक विकसित की है। इसे सिटाके मशरूम की मदद से बनाया गया है। इसके बाजार में आने पर लोगों को अन्य दवाइयों की जगह शाकाहारी दबाई उपलब्ध होगी। वहीं देश विटामिन-डी के मामले में सक्षम होगा। उन्होंने बताया कि नॉर्थ ईस्ट राज्यों ने संस्थान से उक्त तकनीक को हासिल किया है तथा इसका उद्योग के रूप में इस्तेमाल कर किसानों की आर्थिकी बढ़ाई जाएगी।


वही संस्थान के वैज्ञानिक रक्षक कुमार ने कहा कि सिटाके मशरूम को प्राकृतिक रूप में उगाने को 8 से 12 महीने लगाते है जबकि हमारी तकनीक से सिटाके मशरूम 2 महीने मे उग कर तैयार हो जाता है
Last Updated :Dec 21, 2019, 7:16 PM IST
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