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अंतरराष्ट्रीय मिंजर महोत्सव का आगाज, बहन ने भाई की कमीज के बटन पर बांधी सुनहरी मिंजर

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Published : Jul 25, 2021, 7:37 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 2:49 PM IST

अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले (international minjar festival) का आगाज हो चुका है. इस दौरान बड़े ही सादा और रस्मी तरीके से मेले का आगाज किया गया. मेले के पहले दिन बहन अपने भाईयों की कमीज के बटन पर रेशम और तिल्ले की सुनहरी मिंजर बांध के अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है.

minjar festival chamba
minjar festival chamba

चंबा: कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में मेलों और त्योहारों पर पाबंदियां लगी हुई हैं, लेकिन परंपराओं का निर्वहन करते हुए कुछ मेलों को परंपरागत तरीके से निभाने का प्रशासन और सरकार द्वारा फैसला लिया गया है. इसी के तहत लक्ष्मी नाथ, रघुवीर और भगवान हरि राय को मिंजर अर्पित करने के साथ आज चंबा के अंतरराष्ट्रीय मिंजर महोत्सव 2021 (international minjar festival) का आगाज हुआ है. मिंजर मेला 25 जुलाई से 1 अगस्त तक चलेगा.

मिंजर मेले की शुरुआत हमेशा हर साल राष्ट्रपति के जरिए की जाती है, लेकिन कोरोना के साए के चलते इस बार भी स्थानीय विधायक पवन नय्यर ने इसका शुभारंभ किया. बड़े ही सादा और रस्मी तरीके से इस मेले का आगाज किया गया. मेले के पहले दिन बहन अपने भाइयों की कमीज के बटन पर रेशम और तिल्ले की सुनहरी मिंजर बांध के अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. बाद में अगले रविवार को नारियल और फल के साथ मिंजर को रवि नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है.

इस मौके पर आज सुबह नगर परिषद कार्यालय से शोभायात्रा निकाली गई जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों और मीडिया कर्मियों के अलावा नगर परिषद के कुछ सदस्यों ने भाग लिया. सबसे पहले भगवान लक्ष्मी नाथ के मंदिर में मिर्जा परिवार द्वारा बनाई गई रेशम की मिंजर अर्पित की गई. उसके बाद अखंड चंडी महल में रघुवीर भगवान को मिंजर अर्पित की गई. इसके बाद हरि राय मंदिर में मिंजर अर्पित कर इस ऐतिहासिक चौगान मैदान में ध्वजारोहण कर इस कार्यक्रम का आगाज किया गया. इस अवसर पर कुंजड़ी मल्हार गायन का भी आयोजन हुआ. यह सभी कार्यक्रम पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हुए ताकि कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन ना हो.

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श्रावण माह के दूसरे रविवार से शुरू होकर तीसरे रविवार को रावी नदी में मिंजर विसर्जन के साथ खत्म होने वाले मेले का अपना प्राचीन वैभवशाली इतिहास है. दसवीं शताब्दी में त्रिगत (कांगड़ा) के राजा, दुग्गरों, कीरों और सामन्तों आदि पर विजय प्राप्त करके राजा साहिल वर्मा ने जब चंबा के अपने राज्य की सीमा में प्रवेश किया तो प्रजा ने उन्हें मक्की और धान की बालियां (मंजारियां) भेंट करके उनका स्वागत और सत्कार किया. राजा साहिल वर्मा ने भेंट में प्राप्त मंजरियों को अपने राजमहल में संग्रहित कर दिया और चंबा की प्राचीन परंपरा का अनुसरण करते हुए इरावती नदी के उफान को शांत करने, अच्छी वर्षा और भरपूर पैदावार के लिए इरावती (आधुनिक रावी नदी) में मंजरियों को प्रवाहित करने की प्रचलित प्रथा के अनुसार उन्हें विसर्जित कर दिया.

इस अवसर पर राजमहल से रावी नदी तक शोभायात्रा निकाली गई. राजा की शाही सवारी के साथ सैनिकों की टुकड़ियों, राज दरबारी और प्रजा भी शामिल हुई. मिंजर शोभा यात्रा को भव्यता प्रदान करने का पूरा श्रेय राजा पृथ्वी सिंह को जाता है. उन्होंने राजसी वैभव का प्रदर्शन करते हुए राजसी आफतावी (सूर्य) चिन्ह के अलंकार या विशाल झंडों, पारंपरिक वेशभूषा से सुसज्जित प्रजा, सैन्य टुकड़ियों और स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ रावी नदी में मिंजर प्रवाहित करने की प्रथा का आगाज किया जो अब तक जारी है. मक्की की बालियों की मिंजर से जरी-तिल्ले तक के मिंजर के सफर की कहानी अत्यंत गौरवशाली और आधुनिक परिवेश के लिए प्रेरणादायक है.

राजा पृथ्वी सिंह ने मुगल सम्राट शाहजहां के दरबार में घुड़दौड़ प्रतियोगिता जीतने के बाद शाहजहां के सल्तनत कोष से धन धान्य, बुद्धि और अमन की प्रतीक शालिग्राम या रघुवीर की प्रतिमा प्राप्त की. शाहजहां को इस प्रतिमा के साथ असीम लगाव था. उन्होंने इस प्रतिमा के साथ अपने राजदूत के रूप में मिर्जा शफी बेग को चंबा भेजा. मिर्जा शफी बेग जरी-तिल्ले या गोटे के माहिर कारीगर थे. उन्होंने अपनी कला निपुणता दिखाते हुए धान या मक्की के अनुरूप जरी और सोने की तारों से सुंदर मिंजर बनाकर राजा को भेंट की. यह कलाकृति देखकर राजा बहुत खुश हुआ. उन्होंने भेंट में प्राप्त मिंजर रघुवीर भगवान और लक्ष्मीनारायण को चढ़ाई. यही परंपरा आज भी कायम है. मिर्जा शफी बेग के वंशज पीढ़ी दर पीढ़ी सुच्चे गोटे की मिंजर बनाते हैं और श्रावण माह के दूसरे रविवार को शोभायात्रा के साथ रघुवीर और लक्ष्मीनारायण के मंदिरों में इन मिंजरों को चढ़ाने के बाद मिंजर मेले की शुरूआत होती है.

मिर्जा परिवार के वंशज एजाज मिर्जा ने बताया कि राजा पृथ्वी सिंह के कार्यकाल से यह परंपरा इसी तरह से निभाई जा रही है. इस बार कोरोना के साए के दौरान भी परंपरा को निभाते हुए भगवान लक्ष्मी नाथ रघुवीर और हरिराय भगवान को मिंजर अर्पित की गई. वहीं, चंबा डीएसपी अभिमन्यु ने बताया कि कोविड-19 की वजह से सादे और परंपरागत ढंग से मिंजर मेले का आगाज हुआ है. जिस समय शोभायात्रा निकाली गई, उस समय शहर के बाजार को बंद कर दिया गया था ताकि कोरोना के संक्रमण के खतरे से बचा जा सके. उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि मिंजर मेले का पूरा आनंद उठाएं, लेकिन कोविड के नियमों का पूरी तरह से पालन करें ताकि किसी भी तरह का कोई खतरा ना रहे.
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Last Updated : Aug 16, 2021, 2:49 PM IST
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