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बीपीएल मुक्त बनी बिलासपुर की ये पंचायत, ग्रामीणों ने भरी सहमति

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Published : Aug 5, 2019, 3:28 PM IST

बिलासपुर जिला के उपतहसील नमहोल के अंर्तगत आने वाली पंचायत सिकरोहा को बीपीएल मुक्त पंचायत घोषित किया गया है. लोगों ने अपनी पूर्ण सहमति देते हुए बीपीएल मुक्त पंचायत का प्रस्ताव पारित किया.

बीपीएल मुक्त

बिलासपुर: जिला के उपतहसील नमहोल की ग्राम पचयांत सिकरोहा में ग्राम सभा का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता पंचायत प्रधान जय प्रकाश शर्मा ने की. ग्राम सभा में पंचायत को बीपीएल मुक्त पंचायत का प्रस्ताव पारित करने के लिए वहां उपस्थित सभी लोगों की सहमति मिली.


पंचायत प्रधान जयप्रकाश शर्मा ने बताया कि अब सिकरोहा पंचायत में कोई गरीब परिवार नहीं रहा है. इस मौके पर पंचायत उप प्रधान धर्मपाल, बीडीसी सदस्य हेमराज, सचिव कश्मीर सिंह, कमल देव, संत राम, संजय कुमार, कांता देवी, मीरा देवी, कौशल्या देवी व कमला देवी सहित 158 लोग मौजूद रहे.

Intro:शर्मनाक ...जहाँ रखा गया #हिमाचल का नाम, उस भवन तक को संभाल नहीं सकी हुकूमत,पहचान खो रहा हिमाचल के नामकरण का साक्षी यह भवन

:-यहाँ कभी राजा #बघाट दुर्गा सिंह का सजता था दरबार
:-किसी सरकार ने नहीं ली सुध,जर्जर हालत में है दरबार हॉल,पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने की थी संग्राहलय बनाने की थी कोरी घोषणा
:-डॉ वाईएस परमार चाहते थे हिमालयन एस्टेट हो प्रदेश का नाम , पर नहीं माने राजा दुर्गा सिंह


जहां आज सोलन में लोक निर्माण विभाग है शायद ही हिमाचल का हर एक व्यक्ति जानता होगा कि,वो कभी बघाट रियासत के राजा का दरबारी हॉल हुआ करता था जहां वो लोगों की समस्याओं को सुना करते थे, लेकिन आज उसकी हालत इतनी बुरी है कि हर जगह से पानी की बूंदे टिप टिप कर गिरती है, सता आती रही लेकिन किसी ने भी इस बारे में कभी सुध नही ली।

Body:बता दें कि ये वहीं किला है जहां बघाट रियासत के 77वें राजा दुर्गा सिंह अपनी दरबारि सजाया करते थे, लेकिन आजादी के 72 वर्षों के बाद भी किसी सता ने इसे संजो कर रखने की जहमत नही की, ये वही रियासत है जहां 28 जनवरी 1948 को 28 रियासतों के राजाओं ने अपनी सता छोड़ हिमाचल के निर्माण के लिए हामी भरी थी,ये वही दरबार है जहा 28 रियासतों के राजाओं ने मिलकर दरबार हॉल में तिरंगा लहराया था, और उसी दिन हिमाचल का नामकरण हुआ था।
Conclusion:Voice over:-पहचान खो रहा हिमाचल के नामकरण का साक्षी यह भवन:-


मैं हिमाचल के नामकरण व गठन का गवाह हूं, लेकिन मेरी पहचान अव्यवस्था के अंधेरे में खोने लगी है। करीब सौ साल से इतिहास को समेटे खड़ा हूं। मेरे ही आंगन में प्रदेश के निर्माण की लकीरें कागजों पर खींची जाती है, लेकिन मुझ तक ये लकीरें नहीं पहुंच रही। अब वक्त व अव्यवस्था की मार से मेरा धैर्य जवाब देने लगा है। जी हां, मैं हूं सोलन का दरबार हॉल, जहां 26 जनवरी, 1948 को पहाड़ी रियासतों के शासकों व प्रजामंडल के नेताओं की बघाट रियासत (सोलन) में सभा बुलाई गई थी।


सभा में 28 रियासतों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बघाट के राजा दुर्गा ¨सह को सभा का अध्यक्ष चुना गया था। सोलन के गंज बाजार स्थित बघाट रियासत के दरबार हॉल यानी कचहरी भवन में तिरंगा लहराने के बाद सभा की कार्रवाई शुरू हुई। इसी अधिवेशन में रियासती संघ के हिमाचल प्रदेश व प्रजामंडल के हिमालय प्रांत नामों पर विचार विमर्श हुआ। रियासती संघ के नाम पर राजाओं ने समझौते पर प्रस्ताव रखा। अंत में रियासती संघ का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया, जिसका मैं यानी सोलन का दरबार हॉल गवाह बना। मेरी इमारत वक्त के थपेड़ों के साथ खस्ता हालत में पहुंच चुकी है। यहां लोक निमार्ण विभाग का एसई ऑफिस है, जहां कई निर्माण कार्यो की रूपरेखा बनाई जाती है। लेकिन मेरी दरारों को भरने की चिंता कोई नहीं कर रहा। मेरे संरक्षण के लिए शहर की कई संस्थाएं व इतिहासकार आवाज उठाते रहे हैं। मेरी सौ वर्ष से अधिक उम्र हो चुकी है और मुझे धरोहर बनाने की मांग भी उठ रही है। राज परिवार ने मुझे सरकार को सौंपा था। हिमाचल प्रदेश सोमवार को 72वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल का गठन हुआ था, जिसके बाद प्रदेश ने कई मुकाम हासिल किए।

Shot:-जहां हिमाचल के नाम पर मन्त्रणा हुई थी वो भवन आज जर्जर हालत में
आज वहाँ pwd आफिस चल रहा है लेकिन इतनी बुरी हालत है कि हर जगह से पानी टिप टिप हो रहा है।
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