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Revolt of 1857 and kasauli cantonment: कसौली छावनी में भी भड़की थी 1857 के विद्रोह की चिंगारी

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Published : Jan 11, 2022, 8:14 PM IST

आजादी की 75वीं वर्षगांठ (75th anniversary of independence) पर ईटीवी भारत कसौली छावनी की उस दास्तां से आपको रूबरू करवाने जा रहा है जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं. आजादी के लिए पैदा होने वाली आग की पहली चिंगारी हिमाचल प्रदेश के कसौली में भड़की थी. कसौली छावनी से हिमाचल के क्रांतिकारी वीरों ने आजादी की जंग छेड़ी थी. कसौली छावनी के बारे में जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें.

Kasauli Cantonment in 1857 movement
1857 के आंदोलन में कसौली की भूमिका.

कसौली: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की भड़की चिंगारी को 150 से ज्यादा वर्ष पूरे हो चुके हैं. अंग्रेजों से भारत को आजाद करवाने के लिए हिमाचली जवानों को आज भी याद किया जाता है. देश में ब्रिटिश हुक्मरानों के खिलाफ चले आंदोलन की शुरुआत 1857 में कसौली (Kasauli Cantonment in 1857 movement) से हुई थी. छावनी क्षेत्र कसौली से भड़की चिंगारी में देश के कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुतियां दी. प्रदेश का सहयोग भी उस दौरान काम नहीं था और पहाड़ी जवानों की भी अहम भूमिका रही है.

हिमाचल के जवानों का बलिदान: अंग्रेजों का गढ़ कही जाने वाली कसौली छावनी से आजादी की पहली क्रांति 20 अप्रैल, 1857 को शुरू हुई थी. अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति पाने और आजादी के लिए हिमाचली जवानों ने भी इसमें अपने जीवन का बलिदान दिया था. 20 अप्रैल को अंबाला राइफल डिपो के 6 भारतीय सैनिकों ने कसौली पुलिस थाने को फूंक दिया था. इससे अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों को जेलों में ठूंस दिया और कई को फांसी पर चढ़ा दिया.

वीडियो रिपोर्ट.

सैनिकों ने उठाई विद्रोह की बंदूकें: विद्रोह की चिंगारी कसौली से डगशाई, सुबाथू, जतोग व कालका छावनियों में फैल गई. अंग्रेजों ने मेरठ, दिल्ली और अंबाला में भी विद्रोह की सूचना मिलते ही कसौली छावनी के सैनिकों को अंबाला कूच करने के आदेश दिए जिसे भारतीय सैनिकों ने नहीं माना और खुले तौर पर विद्रोह करके बंदूकें उठा लीं.

सेंध से बौखला गए ब्रिटिश अधिकारी: उस समय कसौली छावनी में भारतीय सैनिकों (Indian soldiers in Kasauli cantonment) द्वारा सेंध लगाने से ब्रिटिश अधिकारी बौखला गए थे. अंग्रेजों ने कई क्रांतिवीरों को पकड़कर जेलों में ठूंस दिया था. कई को फांसी पर चढ़ा दिया था. कसौली में क्रांति की ज्वाला से भड़की चिंगारी ने पूरे हिमाचल वासियों में आजादी की अलख जगा दी थी.

चार गुणा अंग्रेजी सेना को चटाई धूल: कसौली की तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर पी. मैक्सवेल ने इस घटना के बारे में लिखा है कि यह हैरानी की बात यह थी कि कैसे मुट्ठीभर क्रांतिकारियों ने अपने से चार गुणा अधिक अंग्रेजी सेना को धूल चटा दी थी. सिर्फ 45 भारतीय सैनिकों ने 200 अंग्रेज सैनिकों को हराया था. सूबेदार भीम सिंह बहादुर (Subedar Bhim Singh Bahadur) के नेतृत्व में नसीरी सेना ने कसौली में विद्रोह करते हुए 13 मई, 1857 को हमला कर धनकोष लूट लिया और जतोग कूच कर गए.

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पुलिस ने संभाली विद्रोह की बागडोर: नसीरी सेना के जतोग कूच करने के बाद विद्रोह की बागडोर स्थानीय पुलिस ने अपने हाथों में ले ली. दरोगा बुधसिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को काफी आतंकित किया. अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ लिया. बुधसिंह ने अंग्रेजों के हाथों मरने से भला अपने को गोली मारकर शहीद कर लिया.

किताबों में दर्ज है कसौली का इतिहास: कसौली छावनी से हिमाचल में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शुरू होने का उल्लेख पंजाब गजेटियर-1923, हैंडबुक ऑफ कसौली-1922, बघाट स्टेट गजेटियर हिमाचल के स्वतंत्रता सेनानी, सामान्य ज्ञान बुक, हिमाचल और 1857 का संग्राम सहित अन्य किताबों में किया गया है.

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