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सुखविंद्र सिंह सुक्खू बने कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन, पहले राजा वीरभद्र संभालते थे ये जिम्मा

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Published : Apr 26, 2022, 9:49 PM IST

हमीरपुर से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू को (Sukhvinder Singh Sukhu) हाईकमान ने आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया है. यह बड़ी (Himachal Congress Campaign Committee) जिम्मेदारी मिलने के बाद वह टिकट आवंटन की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य होंगे. सुखविंद्र सिंह सुक्खू को संगठन में लगभग 30 साल का अनुभव है. 8 साल तक एनएसयूआई, 10 साल तक युथ कांग्रेस और 6 साल तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे.

Sukhvinder Singh Sukhu
हिमाचल कांग्रेस कैंपेन कमेटी

हमीरपुर: हमीरपुर से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू को हाईकमान ने आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया है. यह बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद वह टिकट आवंटन की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य होंगे. कांग्रेस हाईकमान ने बाकायदा इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दी है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू वर्तमान में हमीरपुर जिले के नादौन विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं और प्रदेश कांग्रेस के दो बार प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं.

आपको बता दें कि कांग्रेस में कैंपेन कमेटी के पद को (Himachal Congress Campaign Committee) महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे पहले इस पद पर दिवंगत कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह जिम्मेदारी निभाते आ रहे थे. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद प्रदेश में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनावों के लिए सुखविंद्र सिंह सुक्खू को अब बड़ी जिम्मेवारी दी गई है. साल 2012 और 2017 के चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ही इस भूमिका में नजर आए थे.

वीरभद्र सिंह से अलग राह पर चलते रहे सुक्खू- हिमाचल कांग्रेस के वीरभद्र काल में सुखविंद्र सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) एकमात्र नेता जो विचार ना मिलने पर 'राजा साहब' की नीतियों पर मुखर होकर बोलते थे. यह कहना गलत नहीं होगा कि वीरभद्र के दौर में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए वह कांग्रेस में एक साथ तो थे लेकिन कई बार वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी नजर आते थे. कई (Political journey of Sukhvinder Singh Sukhu) मुद्दों पर वैचारिक मतभेद होने से इन दोनों नेताओं में कई बार अनबन सार्वजनिक भी हुई.

दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर कटाक्ष करने से नहीं चूकते थे, तो सुक्खू भी आसानी से पीछे नहीं हटते थे. वीरभद्र के दौर में जब दिल्ली हाईकमान भी राजा से पंगा नहीं लेती थी तो प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सुखविंद्र सिंह सुक्खू कई मुद्दों पर एक दूसरे के आमने-सामने नजर आए. हिमाचल कांग्रेस में वीरभद्र सिंह के एक छत्र राज में सुक्खू यसमेन खुद अलग रखने में सफल हुए. संभवत यही वजह रही कि वह कांग्रेस हाईकमान की नजरों में भी वीरभद्र के बाद सबसे मजबूत नेता आंके गए.


संगठन में लंबा अनुभव और 68 विधानसभा क्षेत्रों में पकड़- सुखविंद्र सिंह सुक्खू को संगठन में लगभग 30 साल का अनुभव है. 8 साल तक एनएसयूआई, 10 साल तक युथ कांग्रेस और 6 साल तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. संगठन के शीर्ष पदों पर उनका यह लंबा अनुभव ही वीरभद्र काल के बाद सर्वोच्च पद के लिए उनकी दावेदारी को हाईकमान के समक्ष मजबूत कर रहा है. हिमाचल कांग्रेसछह बार के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह प्रदेश के मास लीडर माने गए हैं. वीरभद्र के बाद संगठन की दृष्टि से सुखविंद्र सिंह सुक्खू ही अब एक ऐसे नेता कांग्रेस में माने जाते हैं जिनका प्रभाव 68 विधानसभा क्षेत्रों में संगठन की दृष्टि से अन्य नेताओं से कहीं बेहतर माना जाता है.

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