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दुर्लभ वन्य प्राणियों की सैरगाह बना हिमाचल, मिली ये सुखद खबर

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Published : Mar 1, 2021, 3:46 PM IST

हिमाचल में दुर्लभ वन्य प्राणियों की बड़ी संख्या में मौजूदगी पाई गई है. प्रदेश में बड़ी संख्या में बर्फानी तेंदुए (स्नो लेपर्ड) ब्लूशिप, आइबैक्स, हिमालय थार भी पाए गए हैं. 10 साइट पर इनकी मौजूदगी के पुख्ता सुबूत मिले हैं.

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दुर्लभ वन्य प्राणी

शिमलाः हिमाचल में दुर्लभ वन्य प्राणियों की बड़ी संख्या में मौजूदगी पाई गई है. वैज्ञानिक आधार पर इनके प्राकृतिक आवासों का पता पहली बार चला है. सर्वे स्टडी नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन की ओर से किये गए सर्वे में प्रदेश के भागा, हिम, चंद्र, भरमौर, कुल्लू, मियार, पिन, बसपा, ताबो और हंगलंग में दुर्लभ वन्य प्राणियों की मौजूदगी पाई गई है.

प्रदेश में बड़ी संख्या में बर्फानी तेंदुए (स्नो लेपर्ड) ब्लूशिप, आइबैक्स, हिमालय थार भी पाए गए हैं. 10 साइट पर इनकी मौजूदगी के पुख्ता सुबूत मिले हैं. अकेले स्पीति में ही 810 ब्लूशिप और पिन वैली में 224 आइबैक्स हैं. इनमें से ब्लूशिप, आइबैक्स को स्नो लेपर्ड अपना शिकार बनाता है.

दुर्लभ वन्य प्राणियों की संख्या के संरक्षण पर जोर

जानकारी देते हुए रिसर्च पर वन्‍य प्राणी विंग की पीसीसीएफ अर्चना शर्मा ने कहा कि सर्वे के आधार पर अब दीर्घकालीन कार्य योजना बनाई जाएगी. जिसमें दुर्लभ वन्य प्राणियों की संख्या का पता लगाना सुखद है. सुरक्षित हिमालय प्रोजेक्ट के तहत इनके संरक्षण पर जोर रहेगा.

इन देशों में पाए जाते हैं ये दुर्लभ वन्य जीव

हिमाचल के अलावा भारत के कुछ क्षेत्रों में ही ये दुर्लभ वन्य जीव पाए जाते हैं. भारत के अलावा अफगानिस्तान, भूटान, चीन, कजाकिस्तान, किरगीस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, पूर्व सोवियत संघ और उजबेकिस्तान में स्नो लेपर्ड प्राकृति तौर पर मिलते हैं.

स्नो लैपर्ड की हिमाचल में एक की औसतन मूवमेंट

उन्होंने कहा कि स्नो लेपर्ड की हिमाचल में एक की औसतन मूवमेंट 40 वर्ग किलोमीटर से 100 वर्ग किलोमीटर है. इससे साफ है कि लाहौल का स्नो लेपर्ड अकसर तिब्बत क्षेत्र में घूमता है और वहां के कई बार हमारे इलाके में आते हैं. इनके लिए दो देशों की सीमाएं कोई मायने नहीं रखती हैं.

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