पांव में फ्रैक्चर होने के बावजूद भी नहीं रुकने दिया टीकाकरण अभियान, PM मोदी ने की सराहना

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Published : Sep 6, 2021, 3:49 PM IST

टीकाकरण अभियान

सोमवार को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य के स्वास्थ्यकर्मियों और वैक्सीन का लाभ उठा चुके लोगों के साथ वर्चुअल संवाद किया.इस दौरान उन्होनें जिला ऊना की स्वास्थ्यकर्मी कर्मो देवी से भी बात की. प्रधान मंत्री ने कर्मो देवी की सराहना करते हुए कहा कि आप जैसे कर्मचारियों की मेहनत से ही हिमाचल वैक्सीनेशन की पहली डोज़ का लक्ष्य पूरा करने में सफल रहा है.

शिमला: जिला ऊना से स्वास्थ्य कर्मी कर्मो देवी ने 22 हजार 500 लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगाई है. कर्मो देवी ने प्रधाम नंत्री को बताया कि इस दौरान उनकी टांग फ्रैक्चर हो गई थी. जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें 4 हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी थी, लेकिन वह एक सप्ताह बाद ही काम पर लौट गई. प्रधान मंत्री ने कर्मो देवी से पूछा कि पहली डोज लगाने में किन परेशानियों का सामना करना पड़ा. इसपर कर्मो देवी ने कहा कि शुरुआत में लोगों को समझाना काफी कठिन था, लेकिन धीरे-धीरे लोगों की समझ मे आ गया कि कोरोना से बचाव का यही एकमात्र विकल्प है.

उन्होंने कहा कि इसके बाद जैसे अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज लगती गई लोगों को समझाना आसान होता गया. वैक्सीन की सप्लाई निरंतर उपलब्ध करवाने के लिए कर्मो देवी ने प्रधान मंत्री काआभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही वैक्सीन की सप्लाई निरंतर होती रही तो हिमाचल जल्द ही दूसरी डोज़ लगाने में भी अव्वल स्थान पर रहेगा.

वहीं, प्रधान मंत्री ने शिमला जिले के डोडरा कवार में अपना सेवाएं दे रहे डॉ. राहुल से भी बात की, डॉ. राहुल ने प्रधान मंत्री को बताया कि कई दिक्कतों के बावजूद कोरोना वेक्सीन की पहली डोज का शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया. उन्होंने बताया कि यहां अलग-अलग बोलियां होने के कारण लोगों को लोकल बोलियों में समझाया गया. इसके अलावा पंधर जैसे स्थान पर वैक्सीन पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को 8 घंटे पैदल चलना पड़ा.

जाखा पहुंचने के लिए भी स्वास्थ्य कर्मियों को 10 घंटे पैदल सफर करना पड़ा. डोडरा कवार के अधिकांश क्षेत्र में इंटरनेट की सुविधा भी नहीं है जिसके कारण पहले स्वास्थ्य कर्मी गांव में जाकर लोगों से समय मांगते थे फिर ग्रामीणों को इकट्ठा करके उनसे डेटा लिया जाता था, फिर यह डेटा कई किलोमीटर पैदल चलकर ऑफिस आकर अपलोड किया जाता था. इसके बाद फिर दोबारा गांव जाकर लोगों का टीकाकरण किया जाता था. डॉक्टर राहुल ने बताया कि इन सब दिक्कतों के बावजूद हिमाचल में वैक्सीन बिल्कुल भी खराब नहीं होने दी गई.

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