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प्रदेश में 1.5 लाख करोड़ की वन संपदा, जंगल घटने से सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत

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Published : Dec 18, 2019, 10:38 AM IST

Updated : Dec 18, 2019, 11:09 AM IST

हिमाचल के जंगलों में लगभग डेढ़ लाख करोड़ की वन संपदा मौजूद है. वन मनुष्य को साफ हवा देते हैं. वन मनुष्य को आर्थिक रूप से समृद्ध भी बनाते हैं. आज वनों की संख्या लगातार कम हो रही जिस वजह से प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख रहे हैं.

Indo-German biodiversity programme
फॉरेस्ट इको सिस्टम सर्विसेज

शिमला: राजधानी शिमला में जर्मनी की सहायता से फॉरेस्ट इको सिस्टम सर्विसेज के तहत काम कर रही संस्था ने एक कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में जानकारी दी गई कि हिमाचल के जंगलों में लगभग डेढ़ लाख करोड़ की वन संपदा मौजूद है.

बता दें कि वन मनुष्य को साफ हवा देते हैं. वहीं, मनुष्य को आर्थिक रूप से समृद्ध भी बनाते हैं. इसके अलावा प्राकृतिक श्रोतों को जीवित रखने में भी वनों का महत्वपूर्ण योगदान है. सर्वे के अनुसार प्रदेश में अनेक स्थानों पर प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने का मुख्य कारण जंगलों में पेड़ों की घटती संख्या है. प्राकृतिक जल स्रोतों के सोर्सिंग क्षेत्र का सही पता लगाकर जंगलों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट

इसको करने से प्रदेश के गांव में पानी की कमी नहीं होगी. इसके अलावा सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो जाएगा. हिमाचल प्रदेश में 27 फीसदी तक हरित आवरण है और इसे 33 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. प्रदेश सरकार का वन विभाग लगातार पौधारोपण के कार्यक्रम भी चला रहा है.

वन विभाग के जन संपर्क अधिकारी अनीश कुमार शर्मा ने कहा कि विभाग प्रदेश में हरित आवरण बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहा है. इसके लिए विभाग कई योजनाएं चला रहा है जिनमें सामुदायिक वन स्मृद्धि योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना और वन समृद्धि योजना शामिल है. उन्होंने कहा कि वनों की सहायता से मृदा और पानी संरक्षण पर भी विभाग काम कर रहा है.

Intro:हिमाचल के जंगलों में लगभग डेढ़ लाख करोड़ की वन संपदा मौजूद है. अगर एक पेड़ की बात करें तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब ढाई करोड़ रुपये के लाभ मनुष्य को पहुंचता है। यह बात शिमला में आयोजित एक कार्यशाला में सामने आई है। कार्यशाला का आयोजन प्रदेश में जर्मनी की सहायता से फारेस्ट इको सिस्टम सर्विसेज के तहत काम कर रही संस्था ने किया था।


Body:वन जहां मनुष्य को साफ हवा देते हैं वहीं आर्थिक रूप से समृद्ध भी बनाते हैं. इसके अलावा प्रकृतिक श्रोतों को जीवित रखने में भी वनों का महत्वपूर्ण जोगदान है. सर्वे के अनुसार प्रदेश में अनेक स्थानों पर प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने का मुख्य कारण वहां के जंगलों में पेड़ों की घटती संख्या है. अगर प्रकृतिक जल स्रोतों के सोर्सिंग क्षेत्र का सही पता लगाकर जंगलों को सुरक्षित रखा जाए तो हिमाचल के गांव में कभी भी पानी की कमी नहीं होगी। इसके अलावा सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो जाएगा। हिमाचल प्रदेश में 27 फीसदी तक हरित आवरण है और इसे 33 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। इस दिशा में प्रयास भी चल रहा है। इसके लिए प्रदेश सरकार का वन विभाग लगातार प्रयास भी कर रहा है। समय समय पर पौधा रोपण कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं।


Conclusion:वन विभाग के जन सम्पर्क अधिकारी अनीश कुमार शर्मा ने कहा कि विभाग प्रदेश में हरित आवरण बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहा है. इसके लिए जनता के सहयोग से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. सामुदायिक वन स्मृद्धि योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना और वन समृद्धि योजना शामिल है. उन्होंने कहा कि वनों की सहायता से मृदा और पानी संरक्षण पर भी विभाग काम कर रहा है।
Last Updated : Dec 18, 2019, 11:09 AM IST
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