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HP Assembly Elections: कांग्रेस में सभी को चाहिए Ticket, चुनावी साल में कहीं विकट न हो जाए सत्ता का रास्ता

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Published : Sep 3, 2022, 9:02 PM IST

Himachal Pradesh Congress: जब तक हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह मौजूद थे, कांग्रेस कई मामलों में बेफ्रिक रहती थी. वीरभद्र सिंह सारा चुनावी भार अकेले अपने कंधों पर उठा लेते थे. लेकिन अब परिस्थितियां बदली हुई हैं. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ये पहला फुल फ्लेज्ड विधानसभा चुनाव लड़ रही है और टिकट वितरण की पहली (Himachal Pradesh Congress ticket) बाधा पार करने की दहलीज पर है. पढ़ें पूरी खबर..

Himachal Pradesh Congress
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस

शिमला: हिमाचल में कांग्रेस ने इस बार नया प्रयोग किया. चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले कार्यकर्ताओं व नेताओं से टिकट के लिए आवेदन मांग लिए. इस बार टिकट के लिए कोई आवेदन शुल्क भी (Himachal Pradesh Congress ticket) नहीं रखा गया. फिर क्या था, आलम ये हुआ कि शिमला शहरी सीट से ही चालीस नेता व कार्यकर्ता चुनाव लड़ने के इच्छुक हो गए. कुल 68 सीटों के लिए करीब साढ़े तेरह सौ आवेदन आ गए. इस कवायद ने कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी रण से पहले ही विरोध की रणभेरी बजा दी है. कई जगह परिवार के एक से अधिक सदस्यों ने टिकट के लिए आवेदन कर दिया. ऐसे में चुनावी साल में कहीं कांग्रेस के लिए सत्ता का रास्ता विकट न हो जाए, ये सवाल भी पैदा हो गया है. चूंकि किसी भी चुनाव में विपक्षी दल पर मनोवैज्ञानिक बढ़त के लिए पहला कदम टिकट वितरण का होता है, लिहाजा इस मामले में सभी दल सोच-समझकर कदम बढ़ाते हैं.

ये सही है कि टिकट हासिल करने के लिए सभी को प्रयास करने और अपनी दावेदारी पेश करने का हक है, परंतु चुनाव में विनेबिलिटी सबसे बड़ा फैक्टर होता है. यहां बात हिमाचल कांग्रेस के टिकट वितरण प्रक्रिया के नए प्रयोग और उसके प्रभाव तथा परिणाम की है. हिमाचल में नवंबर महीने में चुनाव होने हैं. प्रदेश में राजनीति की ये परंपरा रही है कि यहां का मतदाता हर पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन करता है. इसी परंपरा को अपने पक्ष में मानते हुए कांग्रेस आश्वस्त है कि भाजपा का मिशन रिपीट कामयाब नहीं होगा. चुनावी साल में कांग्रेस ने अपने अभियान की शुरुआत नया अध्यक्ष चुनकर की है. प्रतिभा सिंह को कांग्रेस की कमान सौंपी गई.

जब तक हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह मौजूद थे, कांग्रेस कई मामलों में बेफ्रिक रहती थी. वीरभद्र सिंह सारा चुनावी भार अकेले अपने कंधों पर उठा लेते थे. यही नहीं, जीत के मंत्र भी वीरभद्र सिंह की चुनावी सभाओं से (Ticket distribution in Himachal Congress) सहज ही निकलते थे. वीरभद्र सिंह टिकट वितरण और टिकटों को फाइनल करने में भी अहम भूमिका निभाते थे. अपने समर्थकों के लिए तो वे टिकट का पक्का इंतजाम करते ही थे, अन्य नेता भी टिकट के लिए वीरभद्र सिंह की चौखट (Himachal Pradesh Congress) पर आते थे. लेकिन अब परिस्थितियां बदली हुई हैं. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ये पहला फुल फ्लेज्ड विधानसभा चुनाव लड़ रही है और टिकट वितरण की पहली बाधा पार करने की दहलीज पर है.

कांग्रेस में टिकटों की छंटनी के बाद फाइल (Application for ticket in Himachal Congress) हाईकमान जाएगी. वहां से अंतिम मुहर लगेगी. उससे पहले ये देखना भी जरूरी है कि कई विधानसभाओं में टिकट करीब करीब पक्के हैं. उनमें बड़े नेताओं जैसे मुकेश अग्निहोत्री, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, रामलाल ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान, सुधीर शर्मा, विक्रमादित्य सिंह, आशीष बुटेल, भवानी सिंह पठानिया आदि के नाम शामिल हैं. इसी कड़ी में चालीस के करीब राजनेता ऐसे हैं, जिनके टिकट फाइनल बताए जा रहे हैं. कुछ विधानसभा क्षेत्रों में संकट पैदा होगा. मसलन, शिमला शहरी सीट पर पार्टी के लिए टिकट का वितरण आसान नहीं होगा. यहां से हरीश जनारथा वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं और अब प्रतिभा सिंह के भी नजदीकी हैं. यशवंत छाजटा भी दावेदार हैं. तर्क ये है कि हरीश जनारथा यहां से पूर्व में भी चुनाव मैदान में तीन बार उतरे, लेकिन जीत हासिल न कर सके.

ये अलग बात है कि निर्दलीय लड़कर भी जनारथा ने दूसरा स्थान हासिल किया और कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी जमानत जब्त करवा बैठे. इसी तरह बिलासपुर में टिकट की लड़ाई सड़क पर आ गई है. यहां वीरभद्र सिंह के करीबी रहे बंबर ठाकुर दहाड़ रहे हैं कि टिकट उन्हें ही मिलेगा. उधर, पूर्व विधायक तिलक राज शर्मा भी ताल ठोक रहे हैं. तिलक राज शर्मा ने शिमला में आकर प्रेस वार्ता भी की और अपने तेवर दिखाए. वहीं, भरमौर से पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी व उनके बेटे ने भी टिकट के लिए दावेदारी की है. मंडी सीट पर यदि अनिल शर्मा कांग्रेस में आ जाते हैं तो समीकरण दिलचस्प होंगे. अनिल शर्मा व उनके बेटे आश्रय शर्मा के टिकट का भी पेंच फंसेगा.

कौल सिंह ठाकुर व उनकी बेटी चंपा ठाकुर का भी टिकट वितरण करना आसान नहीं होगा. पिछली बार कांग्रेस का टिकट हासिल करने का आवेदन 25 हजार रुपए कीमत वाला था. तब केवल चार सौ के करीब लोगों ने आवेदन किया था. इस बार आवेदन निशुल्क था तो आंकड़ा तीन गुणा बढ़ गया. प्रदेश कांग्रेस मुखिया प्रतिभा सिंह का कहना है कि आवेदन करने का सभी को हक है. युवा विधायक विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि मैरिट के आधार पर और जीतने वाले को ही टिकट मिलेगा. सीनियर लीडर ठाकुर सिंह भरमौरी का कहना है कि सभी को आवेदन करने का हक है.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी उदय सिंह का कहना है कि कांग्रेस में ऑफ्टर वीरभद्र सिंह राजनीति में कई बदलाव आए हैं. टिकट वितरण इस बार आसान काम नहीं होगा. टिकट न मिलने से निराश नेता पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. कांग्रेस के रणनीतिकारों को इस बारे में सजग रहना होगा. कुल मिलाकर टिकट वितरण के मामले में कांग्रेस के लिए स्थितियां विकट हैं. खैर, कांग्रेस में टिकटों के लिए आवेदन की छंटनी के बाद सोमवार को दिल्ली में बैठक होनी है. उसके बाद तस्वीर कुछ और साफ होगी.

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