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कुपोषण के खिलाफ जंग! कुपोषित बच्चों के लिए हिमाचल सरकार ने तैयार की एसओपी

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Published : Dec 7, 2021, 5:44 PM IST

Himachal government prepared SOP for malnourished children
फोटो.

कुपोषण के मामले में बेहतर काम करने वाले हिमाचल प्रदेश ने बच्चों में (Malnutrition among children of Himachal) कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए एसओपी (SOP for malnourished children in Himachal) तैयार की है.

शिमला: कुपोषण के मामले में बेहतर काम करने वाले हिमाचल प्रदेश ने बच्चों में (Malnutrition among children of Himachal) कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए एसओपी (SOP Himachal for malnourished children) तैयार की है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य में 18 हजार 925 आंगनबाड़ी के केंद्रों में 5 लाख 99 हजार 643 लाभार्थियों को पोषण ट्रैकर पर रजिस्टर किया जा रहा है. वहीं, अति कुपोषित व माध्यम कुपोषित बच्चों में कुपोषण प्रबंधन के लिए एनआरएचएम तथा महिला एवं बाल विकास विभाग ने मिलकर एसओपी यानी मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है.

मुख्यमंत्री मंगलवार को राज्य सरकार और नीति आयोग के पोषण (Malnutrition children in Himachal) और सहकारी संघ वाद विषय पर कार्यशाला में बोल रहे थे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को सबसे पसंदीदा पर्यटन गंतव्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है. उन्होंने कहा कि हिमाचल का लगभग प्रत्येक क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है, लेकिन बेहतर सम्पर्क सुविधा यहां सबसे प्रमुख चुनौती है.

उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार और उन्नयन के लिए 400 करोड़ रुपये, मंडी जिले में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रुपये और ज्वालामुखी मंदिर के लिए पेयजल और मल निकासी योजना के सुधारीकरण के लिए 20 करोड़ रुपये की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक राजस्व घाटे वाला राज्य (Himachal Pradesh a revenue deficit state) है और विभिन्न आधारभूत संरचना परियोजनाओं में निवेश के लिए राज्य के पास सीमित साधन हैं. ऐसे में इन परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए उदार सहायता की आवश्यकता है.

राज्य में रेल सम्पर्क बढ़ाने पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें भू-अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने इस विषय पर राज्य को क्षतिपूर्ति प्रदान करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे हिमाचल में रेल नेटवर्क को सुदृढ़ किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सत्त यातायात व्यवस्था को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से अपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी (electric vehicle policy in himachal) तैयार की है, ताकि हिमाचल प्रदेश को विद्युत गतिशीलता विकास और इलैक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में वैश्विक केन्द्र बनाया जा सके और विद्युत चालित वाहनों के लिए सार्वजनिक एवं निजी चार्जिंग आधारभूत संरचना तैयार की जा सके.

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इसके लिए विद्युत चालित वाहन निर्माता उद्योगों को अनुदान और प्रोत्साहन भी दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक सेवा क्षेत्र में व्यय कर रही है. उन्होंने कहा कि खाद्य एवं फल प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि किसानों और बागवानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सके.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने कहा कि भारत के संघात्मक ढांचे में केन्द्र एवं राज्यों के मध्य बेहतर सहयोग के लिए नीति आयोग की भूमिका और भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा बाह्य सहायता के लिए केन्द्र को प्रेषित प्रस्तावों को बहुत कम समय में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ स्वीकृति प्रदान करने के लिए केन्द्र एवं नीति आयोग का आभार व्यक्त किया.

उन्होंने कहा कि एक छोटा राज्य होने और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल ने अपनी लक्षित पात्र जनसंख्या को कोविड-19 टीकाकरण (Covid-19 vaccination in Himachal) का शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश मातृ एवं शिशु को बेहतर पोषण प्रदान करने का लक्ष्य प्राप्त कर देश में अग्रणी बनकर उभरा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर प्रयोग कर राज्य को सुशासन के क्षेत्र में और आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण, पारदर्शिता, जबावदेही, राज्य के सभी नागरिकों को आवश्यकतानुसार गुणवत्तापूर्ण व समयबद्ध सूचना उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के माध्यम से ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में कई पहल लागू की गई हैं और कुछ अन्य के क्रियान्वयन का कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक नागरिक का कल्याण प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और पब्लिक अफेयर्स सेंटर, बैंगलुरू ने हिमाचल को वर्ष 2017 और 2018 में छोटे और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में सुशासन में प्रथम स्थान और वर्ष 2019 में द्वितीय स्थान पर आंकते हुए इसे मान्यता दी है.

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