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पब्लिक प्लेस में पालतू कुत्तों से शौच करवाने पर रोक, हाईकोर्ट ने कहा: स्क्वाड बनाए MC शिमला

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Published : Jun 2, 2022, 11:22 AM IST

हिमाचल की राजधानी शिमला में पालतू कुत्तों से पब्लिक प्लेस में शौच करवाना अब लोगों को मंहगा पड़ सकता है. हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम क्षेत्र (Municipal corporation Shimla) के सार्वजनिक स्थानों पर पालतू कुत्तों द्वारा शौच करवाये जाने को नगर निगम अधिनियम और उपनियमों का उल्लंघन ठहराते हुए इसे रोकने के आदेश जारी (High court bans dogs defecation in Shimla) किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने जनहित में दायर एक याचिका को विस्तार देते हुए नगर निगम शिमला को इस मामले में एक स्क्वाड का गठन करने के आदेश दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal high court
हिमाचल हाईकोर्ट

शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला में पालतू कुत्तों से पब्लिक प्लेस में शौच करवाना अब लोगों को मंहगा पड़ सकता है. हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम क्षेत्र (Municipal corporation Shimla) के सार्वजनिक स्थानों पर पालतू कुत्तों द्वारा शौच करवाये जाने को नगर निगम अधिनियम और उपनियमों का उल्लंघन ठहराते हुए इसे रोकने के आदेश जारी (High court bans dogs defecation in Shimla) किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने जनहित में दायर एक याचिका को विस्तार देते हुए नगर निगम शिमला को इस मामले में एक स्क्वाड का गठन करने के आदेश दिए हैं.

कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि यह स्क्वाड सुबह 6 से 9 बजे तक निगम परिधि के सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के मालिकों द्वारा पालतू कुत्तों से शौच करवाने पर नजर रखे और निगम कानूनों के तहत उन के खिलाफ उचित कार्रवाई करे. अदालत ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि शिमला शहर दिन चढ़ते ही बदबूदार होने लगता है, जिसका मुख्य कारण गंदी और अस्वास्थ्यकर शौचालय होना है. ये याचिका एडवोकेट विजय अरोड़ा ने दाखिल की है.

इसके अलावा हाईकोर्ट (Himachal high court on MC Shimla) ने पानी के सभी प्राकृतिक जल स्त्रोत चाहे वह निजी भूमि के तहत आते हैं, उन्हें सार्वजनिक हित के लिए सरकारी सम्पति ठहराया है. अदालत ने नगर निगम को आदेश दिए हैं कि वह सभी तरह के जल स्रोतों की पहचान करें और यदि किसी निजी व्यक्ति या संस्था ने उस पर कब्जा किया है तो उसके सार्वजनिक इस्तेमाल की योजना तैयार कर कोर्ट के समक्ष रखे.

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